कंपनी के लिए भाई से हुई खटपट, अपनाया अलग रास्ता और बन गई हर सेविंग किट में मौजूद रहने वाली भारत की नं.1 ब्लेड – Money9live
HomeBusinessA dispute with her brother over the company led to a different path and the creation of India's No. 1 blade, a staple in every shaving kit.
कंपनी के लिए भाई से हुई खटपट, अपनाया अलग रास्ता और बन गई हर सेविंग किट में मौजूद रहने वाली भारत की नं.1 ब्लेड
भारत में एक वक्त ऐसा भी था जब नाई उस्तरा में धार देने के लिए उसे किसी पत्थर पर घिसते थे. वे ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि बाजार में ब्लेड या तो महंगे होते थे या नहीं थे. कुछ कंपनियों ने ब्लेड बनाया, लेकिन एक साधारण सा नाई उसे खरीद नहीं सकता था. इसी कड़ी में एक कंपनी ऐसी भी आई जिसने इस मार्केट में क्रांति ला दी. उस क्रांति के जनक थे आर.के. मल्होत्रा और उस कंपनी का नाम था Topaz.
मल्होत्रा परिवार की खासियत थी कि वे भविष्य को पहले से भांप लेते थे. आर.के. मल्होत्रा और उनके भाई एस.एन. मल्होत्रा ऐसे प्रोडक्ट की कल्पना करते थे जो अभी बने भी नहीं थे. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एस.एन. मल्होत्रा (R.K के भाई) ने कानूनी विशेषज्ञता से 1960 में प्रिंस, 1965 में अशोक और 1968 में टोपाज जैसे नाम रजिस्टर कर लिए. टोपाज का नाम एस.एन. की पत्नी सुमन ने लियोन यूरिस के 1967 के उपन्यास से प्रेरित होकर सुझाया था. ये नाम सिर्फ शब्द नहीं थे, बल्कि आने वाले समय की तैयारी थी.
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1965 में मल्होत्रा ग्रुप ने भारत का पहला स्टेनलेस स्टील ब्लेड अशोक लॉन्च किया. स्वीडिश तकनीक के सहयोग से बना यह ब्लेड कार्बन ब्लेड से कहीं बेहतर था. आर.के. ने इसे मात्र 13 पैसे में बेचकर बाजार में तहलका मचा दिया, जबकि अन्य कंपनियां 15 पैसे में कार्बन ब्लेड बेच रही थी.अखबारों में आकर्षक विज्ञापनों से उन्होंने गुणवत्ता और किफायती कीमत का वादा किया. प्रिंस, पनामा और अशोक तीन ब्रांडों के साथ कंपनी तेजी से आगे बढ़ रही थी.
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सफलता के बावजूद आर.के. का मन नहीं भरा. वे एक प्रीमियम ब्लेड चाहते थे जिसे समाज का हर तबका अमीर से लेकर गरीब भी पसंद करे. लेकिन उनके बड़े भाई वी.पी. मल्होत्रा इसका विरोध कर रहे थे. उनका मानना था कि तीन ब्रांड काफी हैं, चौथा ब्रांड मौजूदा कारोबार को जोखिम में डालेगा. वे बोले, हमें और ब्लेड की जरूरत नहीं है. तीन ही ठीक चल रहे हैं. आर.के. के लिए यह सिर्फ एक उत्पाद नहीं था, बल्कि बाजार पर पूरी पकड़ बनाने का सपना था. इसी से उन्होंने ब्लेड इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया.
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भाई के विरोध के बाद भी आर.के. ने हार नहीं मानी. उन्होंने वी.पी. और एस.एन. को समझाया कि नया ब्लेड मौजूदा कारोबार को कमजोर नहीं करेगा, बल्कि मजबूत बनाएगा. वे बोले, जो चीज हमारा कारोबार बढ़ाए और प्रतिष्ठा बढ़ाए, वह खतरा नहीं, अवसर है. उन्होंने बताया कि विल्किंसन स्वॉर्ड जैसी विदेशी कंपनी से सहयोग लिया जा सकता है. अपनी इंजीनियरिंग स्किल, पहले से मौजूद स्टेनलेस ब्लेड और सबसे बड़ा हथियार अपना रोलिंग मिल का जिक्र किया. आर.के. का मानना था कि हम खुद स्टील स्ट्रिप बना सकते हैं, लागत कम कर सकते हैं और क्वालिटी पर पूरा कंट्रोल रख सकते हैं.
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टोपाज लॉन्च हुआ और जल्द ही भारतीय बाजार पर छा गया. प्रीमियम क्वालिटी, चमकदार धार और टिकाउपन ने इसे हर घर की शेविंग किट का हिस्सा बना दिया. एक समय था जब हर घर में टोपाज ब्लेड दिखता था. मल्होत्रा ग्रुप ने न सिर्फ बाजार पर कब्जा किया, बल्कि भारतीय उद्योग को आत्मनिर्भरता का नया मानक दिया. आर.के. मल्होत्रा की दृढ़ता ने साबित कर दिया कि अगर सपने को सच करने का जुनून हो, तो परिवार का विरोध भी साथ बन जाता है और असंभव दिखने वाला लक्ष्य भी हकीकत.