प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापानी PM के साथ की बुलेट ट्रेन की सवारी, तस्वीरों में देखें पूरा सफर – Money9live
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापानी PM के साथ की बुलेट ट्रेन की सवारी, तस्वीरों में देखें पूरा सफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जापान के पीएम शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर दो दिवसीय दौरे पर हैं. मोदी ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य भारत-जापान की विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है. पिछले 11 वर्षों में दोनों देशों के रिश्ते गहरे हुए हैं. अब फोकस अर्थव्यवस्था, निवेश और AI व सेमीकंडक्टर जैसे नए तकनीकी सहयोग पर है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के दो दिन के दौरे पर शनिवार को जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ मिलकर शिंकानसेन बुलेट ट्रेन में यात्रा की. यह ट्रेन बहुत तेज चलती है और जापान की खास पहचान है. दोनों नेता टोक्यो से सेंडाई तक साथ गए. इस यात्रा ने भारत और जापान की दोस्ती को और मजबूत दिखाया.
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मोदी ने जापान में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय ट्रेन ड्राइवरों से मुलाकात की. इशिबा ने इस मुलाकात की तस्वीरें X पर साझा कीं और इसे भारत-जापान के सहयोग का गर्व भरा पल बताया. यह दिखाता है कि दोनों देश न सिर्फ बड़े स्तर पर, बल्कि छोटे-छोटे क्षेत्रों में भी मिलकर काम कर रहे हैं.
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ट्रेन की सैर के अलावा, दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर बात की. इनमें रक्षा, अर्थव्यवस्था और नई तकनीक जैसे विषय शामिल थे. इशिबा ने X पर लिखा, “हमने रक्षा और अर्थव्यवस्था जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की. कल मैं आपके साथ शिंकानसेन और सेमीकंडक्टर से जुड़े काम देखने जाऊँगा.” यह बातचीत दिखाती है कि दोनों देश भविष्य में और करीब से काम करना चाहते हैं.
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मोदी का सेंडाई में सबसे खास कार्यक्रम था एक आधुनिक सेमीकंडक्टर फैक्ट्री का दौरा. यह फैक्ट्री ताइवान की कंपनी पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (PSMC), जापान की SBI होल्डिंग्स और अन्य जापानी कंपनियों ने मिलकर बनाई है. इसका नाम है जापान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (JSMC). यह फैक्ट्री जापान के मियागी प्रांत के ओहिरा गांव में बनी है.
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यह फैक्ट्री 12 इंच के सेमीकंडक्टर वेफर्स बनाएगी, जो इलेक्ट्रॉनिक चीजों के लिए बहुत जरूरी होते हैं. शुरुआत में यह 40 नैनोमीटर तकनीक पर काम करेगी और बाद में 28 नैनोमीटर और 55 नैनोमीटर तकनीक पर भी. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों और नई तरह की गाड़ियों में होगा.
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जब यह फैक्ट्री पूरी तरह शुरू होगी, तो हर महीने करीब 40,000 वेफर्स बनाएगी. इससे जापान को अपने देश में चिप्स बनाने में मदद मिलेगी और भारत-जापान के तकनीकी रिश्ते और मजबूत होंगे. यह यात्रा सिर्फ ट्रेन की सैर या फैक्ट्री के दौरे तक सीमित नहीं थी। यह भारत और जापान की गहरी दोस्ती का प्रतीक थी.
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दोनों देश तकनीक, रक्षा और अर्थव्यवस्था में मिलकर काम कर रहे हैं। यह दौरा दिखाता है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ मिलकर भविष्य की नई संभावनाएँ तलाश रहे हैं.