भारत के बैंकों पर बढ़ते डिफॉल्ट्स का दबाव: क्या आने वाला है अगला बड़ा क्रेडिट संकट?

भारत का बैंकिंग सेक्टर इन दिनों दबाव में है क्योंकि अनसिक्योर्ड लोन यानी पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और एमएसएमई लोन में लगातार डिफॉल्ट बढ़ रहे हैं. पिछले कुछ सालों में इन लोन पर डिफॉल्ट रेट सिर्फ 0.2% से बढ़कर 3.2% तक पहुंच गया है. यह ट्रेंड बैंकों और नियामकों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है. असल समस्या तेज़ी से बढ़ते आसान कर्ज़ की है. बढ़ती खपत और छोटे व्यवसायों की कमजोर स्थिति के कारण लोग और कंपनियां एक साथ कई लोन ले रहे हैं. शुरुआत में इससे क्रेडिट बूम तो आया, लेकिन चुकाने की क्षमता उतनी नहीं बढ़ी. खासकर एमएसएमई सेक्टर महंगाई, कमज़ोर कैश फ्लो और घटती मांग से जूझ रहा है, जिसके चलते कर्ज़ चुकाना मुश्किल हो रहा है. इससे बैंकों का पोर्टफोलियो-एट-रिस्क (PAR) लगातार बढ़ रहा है, यानी डिफॉल्ट की संभावना और गहरी होती जा रही है. अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो बैंकों को क्रेडिट नीतियां सख्त करनी पड़ेंगी और आम कर्ज़दारों को उच्च ब्याज दरों का सामना करना पड़ सकता है. सवाल यह है कि क्या यह क्रेडिट बूम आने वाले समय में बैंकिंग संकट का रूप ले सकता है?