5 साल, 4000 कारीगर और 1800 करोड़ के लागत से तैयार हुआ अयोध्या का राम मंदिर, 1000 वर्षों तक अडिग रहेगा धरोहर

अयोध्या राम मंदिर का मुख्य निर्माण पूरा हो चुका है और परिसर को 1000 साल टिकाऊ बनाने के लिए विशेष इंजीनियरिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. शेष कार्य 2026 तक पूरा होने की योजना है.

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सिर्फ धार्मिक भावनाओं का प्रतीक नहीं, बल्कि देश की आधुनिक इंजीनियरिंग और प्राचीन वास्तुकला का अनोखा संगम भी बन गया है. करीब 4,000 से अधिक कारीगरों और विशेषज्ञों ने पांच वर्षों तक लगातार काम करते हुए इस भव्य मंदिर को आकार दिया है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) से लेकर भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ( Indian Institute of Astrophysics) तक, कई शीर्ष संस्थानों के इंजीनियरों ने मंदिर को इस तरह तैयार किया है कि यह अगले 1,000 साल तक समय, मौसम और प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सके.
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25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में ध्वज-रोहण कर मुख्य निर्माण पूर्ण होने का संकेत दिया. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निर्माण समिति प्रमुख नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि प्रमुख ढांचा पूरा हो चुका है, जबकि लैंडस्केपिंग, चार किलोमीटर लंबी बाहरी दीवार और ऑडिटोरियम का काम 2026 के अंत तक पूरा होने की योजना है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते वक्त उन्होंने बताया कि शुरुआती दान में मिले 3,000 करोड़ रुपये में से लगभग 1,800 करोड़ रुपये निर्माण में खर्च हुए हैं.
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तीन मंजिला मंदिर 161 फीट ऊंचा, 235 फीट चौड़ा और 360 फीट लंबा है. इसे पूरी तरह बांसी पहाड़पुर के बलुआ पत्थर से बनाया गया है. लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया गया ताकि मंदिर की उम्र कम न हो. यहां तक कि बंदरों और पक्षियों को दूर रखने के लिए लगाए गए जाली (जालियां) भी टाइटेनियम की बनी हैं, जिनका वजन 12.5 टन है.
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भूतल पर करीब 160 स्तंभों पर देवी-देवताओं की नक्काशी की गई है. यहीं राम लला की कृष्ण शिला से बनी मूर्ति स्थापित है. मंदिर में कुल 47 दरवाजे हैं, जिनमें से 14 सोने से मढ़े गए हैं. पहली मंजिल पर राम दरबार है, जहां श्वेत संगमरमर से राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां हैं. नगरी शैली में बने इस मंदिर में नृत्य, रंग, गूढ़, कीर्तन और प्रार्थना, कुल पांच मंडप भी हैं.
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मुख्य परिसर से बाहर दो-मंजिला 750 मीटर लंबी और 14 फीट मोटी पारकोटा दीवार है. नीचे की मंजिल पर सूर्य, शिव, भगवती, गणेश, हनुमान और माता अन्नपूर्णा के मंदिर बनाए गए हैं, जबकि ऊपर की मंजिल परिक्रमा मार्ग है. इसके अलावा, परिसर में सप्त ऋषि-सवशिष्ठ, विश्वामित्र, वाल्मीकि, अगस्त्य, निषाद राज, अहल्या और माता शबरी, के मंदिर भी शामिल हैं.
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मंदिर की नींव 14 मीटर गहरी है, जिसमें 1.32 लाख क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट और 24,000 ग्रेनाइट पत्थरों की परतें लगाई गईं. यह बहु-परत संरचना मिट्टी की नमी और संभावित बाढ़ से मंदिर को सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई है. 70 एकड़ परिसर में से 20 एकड़ निर्माण और 50 एकड़ खुला क्षेत्र है. अब पंचवटी, यानी बंदरों और पक्षियों के लिए प्राकृतिक क्षेत्र, तथा अन्य हरित क्षेत्र का काम चल रहा है.
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