इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर से जुड़ी एक कंपनी को बड़ा प्रोजेक्ट मिलने से बाजार में हलचल तेज हो गई है. सड़क और हाईवे से जुड़े कामों में कंपनी की पकड़ और मजबूत होती दिख रही है, जिसका असर निवेशकों की दिलचस्पी पर पड़ सकता है.
फार्मा सेक्टर के एक शेयर में अचानक तेज हलचल देखने को मिली है. अंतरराष्ट्रीय संस्थान से जुड़ा एक कारोबारी अपडेट और मजबूत ऑर्डर संकेतों ने निवेशकों का ध्यान इस स्टॉक की ओर खींच लिया है. यूनिसेफ से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट को बाजार आमतौर पर भरोसेमंद और स्थिर आय का संकेत मानता है, क्योंकि इसमें सख्त गुणवत्ता मानक और लंबी अवधि की सप्लाई शामिल होती है.
मेटल सेक्टर से जुड़ा एक पीएसयू स्टॉक अचानक बाजार की सुर्खियों में आ गया है. वैश्विक कमोडिटी संकेतों और बढ़ती कीमतों के बीच इस शेयर में तेज हलचल देखने को मिली, जिसने निवेशकों का ध्यान खींचा है. 26 दिसंबर 2025 को ट्रेडिंग के दौरान हिन्दुस्तान कॉपर के शेयरों में करीब 7 से 9 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई.
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को लेकर एक बड़ा मील का पत्थर सामने आया है. बदलते वैश्विक हालात और सुरक्षा जरूरतों के बीच भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में अहम प्रगति दर्ज की है. इसी के साथ आयात पर निर्भरता काफी हद तक कम हो गई है.
ज्वेलरी सेक्टर की दिग्गज कंपनी 'Titan' को लेकर बाजार में हलचल तेज है. नए कारोबार की तैयारी और मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड ने निवेशकों का ध्यान खींचा है. शेयर की चाल और रणनीतिक संकेत इसे चर्चा में बनाए हुए हैं. कंपनी के स्टॉक ने 52 वीक हाई का नया रिकॉर्ड बनाते हुए 3,977 रुपये का स्तर छू लिया.
सरकार की एक संभावित नीति पहल ने उभरते टेक सेक्टर में हलचल बढ़ा दी है. बजट से जुड़ी उम्मीदें, स्वदेशी तकनीक पर जोर और डिफेंस जरूरतों के मेल ने कुछ चुनिंदा कंपनियों को निवेशकों की नजर में ला दिया है. सरकार का नया पैकेज मौजूदा PLI स्कीम से अलग होगा. इसमें सिर्फ प्रोडक्शन पर इंसेंटिव नहीं, बल्कि कैपेक्स यानी फैक्ट्री, मशीनरी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश को भी सब्सिडी दी जाएगी.
कीमती धातुओं के बाजार में आज हलचल बढ़ी हुई दिख रही है. वैश्विक संकेत, महंगाई की चिंता और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम निवेशकों की रणनीति तय कर रहे हैं. घरेलू बाजार में भी इन फैक्टर्स का असर महसूस किया जा सकता है. MCX पर सोने ने नया रिकॉर्ड बनाया.
अधूरे घरों और फंसे निवेश को लेकर एक नई सरकारी पहल आकार ले रही है. इसका मकसद उन परियोजनाओं को दोबारा रफ्तार देना है, जिनका बोझ सालों से आम लोगों और मिडिल क्लास खरीदारों पर बना हुआ है.
खाद्य और पेय पदार्थों की लेबलिंग को लेकर एक नया नियामकीय संदेश सामने आया है. इसका सीधा असर उन उत्पादों पर पड़ सकता है, जो सेहत के नाम पर बेचे जाते हैं और जिनके नाम उपभोक्ताओं को भ्रम में डाल सकते हैं.
फार्मा सेक्टर से जुड़ी एक मिडकैप कंपनी इन दिनों बाजार की नजर में है. ब्रोकरेज रिपोर्ट, एक्सपोर्ट से जुड़े नए संकेत और बिजनेस मॉडल की मजबूती इसे निवेशकों के लिए चर्चा का विषय बना रहे हैं. कंपनी का मुख्य फोकस CDMO बिजनेस पर है और यहीं से इसकी लॉन्ग टर्म ग्रोथ की कहानी निकलती है.