Tejaswita Upadhyay

तेजस्विता उपाध्याय वर्तमान में मनी 9 में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं. बिजनेस, जेंडर और ह्यूमन राइट्स सेंगमेंट पर इनकी मजबूत पकड़ है. इसके अलावा हाशिये पर खड़े हर समुदाय पर रिपोर्ट करना इनका जज्बा है. इससे पहले यह क्विंट हिंदी, गांव कनेक्शन और स्पैन कम्यूनिकेशन जैसे संस्थानों में अहम पद पर रह चुकी हैं. इनका लगाव संगीत, साहित्य और नृत्य से है. तेजस्विता की एक स्टोरी, 'We The Change' को जेंडर सेंसिटिविटी के लिए 2024 के लाडली मीडिया अवार्ड्स में ज्यूरी एप्रीशिएशन सिटेशन से सम्मानित किया गया है.

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Tejaswita Upadhyay

ऑटो सेक्टर से जुड़ी एक कंपनी ने शेयर बाजार में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है. विस्तार योजनाओं और बैलेंस शीट को मजबूत करने के संकेतों ने निवेशकों का ध्यान खींचा है. आने वाले दिनों में यह कदम सेक्टर के लिए अहम माना जा रहा है.

कीमती धातुओं के बाजार में अचानक तेज हलचल देखने को मिली है. ऊंचे स्तरों के बाद निवेशकों का रुख बदला है, जिससे कीमतों में दबाव दिखा. वैश्विक बाजार के संकेत और मुनाफावसूली ने इस उतार-चढ़ाव को और तेज कर दिया है.

मुद्रा बाजार में एक बार फिर हलचल देखने को मिली है. वैश्विक संकेतों और निवेशकों की रणनीति में बदलाव का असर घरेलू करेंसी पर साफ दिखा. आने वाले दिनों में कुछ अहम आर्थिक आंकड़े बाजार की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

सरकार के एक बड़े नीतिगत फैसले ने शेयर बाजार में हलचल मचा दी है. जिस सेक्टर पर लंबे समय से चर्चा थी, वहां अचानक निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है. एक अपेक्षाकृत नई कंपनी इस बदलाव की सबसे बड़ी लाभार्थी बनकर उभरी है. यह कंपनी इसी साल शेयर बाजार में लिस्ट हुई थी और जिसने कुछ ही महीनों में निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दे दिया.

भारतीय स्टार्टअप जगत में इस साल कुछ ऐसा हुआ है जिसने निवेशकों और उद्यमियों दोनों का ध्यान खींचा है. शेयर बाजार की हलचल और नई लिस्टिंग्स ने कई चेहरों को चर्चा में ला दिया है. यह बदलाव भारत के बदलते स्टार्टअप परिदृश्य की ओर इशारा करता है.

कीमती धातुओं के बाजार में अचानक तेज हलचल देखने को मिली है. ऊंचे स्तरों के बाद निवेशकों के रुख में बदलाव आया, जिससे कीमतों की दिशा पलटती नजर आई. वैश्विक घटनाक्रम और मुनाफावसूली के संकेतों ने बाजार की चाल को प्रभावित किया है.

तेज उछाल के बाद एक प्रमुख सेक्टर में अचानक सुस्ती देखने को मिली है. हालिया नीतिगत फैसलों और आगे की संभावनाओं को लेकर निवेशकों का रुख बदला है. यह हलचल संकेत देती है कि बाजार में उत्साह के साथ सतर्कता भी लौट रही है.

भारत में एक पारंपरिक संपत्ति के मूल्य में आई हालिया तेजी ने घरेलू बचत संरचना और आर्थिक व्यवहार को लेकर नई चर्चा शुरू कर दी है. यह बदलाव केवल बाजार संकेत नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि वित्तीय अनिश्चितताओं के बीच भारतीय परिवार सुरक्षा और स्थिरता को किस रूप में देखते हैं.

सरकार का ₹44,700 करोड़ का यह निवेश सिर्फ नीतिगत ऐलान नहीं, बल्कि सेक्टर के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. शिपबिल्डिंग कंपनियों को लंबे समय तक ऑर्डर, पूंजी और नीति समर्थन मिलने की संभावना है. हालांकि, शेयर पहले ही अच्छा रिटर्न दे चुके हैं, इसलिए निवेश से पहले वैल्यूएशन और जोखिम को समझना जरूरी है.

नए साल से ठीक पहले बाजार की चाल सतर्क होती दिख रही है. सीमित कारोबारी सत्रों और अहम आर्थिक आंकड़ों के बीच निवेशकों की नजर घरेलू और वैश्विक संकेतों पर टिकी है. आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव के बीच बाजार का रुख इन्हीं फैक्टर्स से तय हो सकता है.