Tejaswita Upadhyay

तेजस्विता उपाध्याय वर्तमान में मनी 9 में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं. बिजनेस, जेंडर और ह्यूमन राइट्स सेंगमेंट पर इनकी मजबूत पकड़ है. इसके अलावा हाशिये पर खड़े हर समुदाय पर रिपोर्ट करना इनका जज्बा है. इससे पहले यह क्विंट हिंदी, गांव कनेक्शन और स्पैन कम्यूनिकेशन जैसे संस्थानों में अहम पद पर रह चुकी हैं. इनका लगाव संगीत, साहित्य और नृत्य से है. तेजस्विता की एक स्टोरी, 'We The Change' को जेंडर सेंसिटिविटी के लिए 2024 के लाडली मीडिया अवार्ड्स में ज्यूरी एप्रीशिएशन सिटेशन से सम्मानित किया गया है.

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Tejaswita Upadhyay

प्राइमरी मार्केट में हाल की गतिविधियों ने निवेशकों का ध्यान तेजी से खींचा है. कई बड़ी कंपनियां अपनी सार्वजनिक पेशकशों की तैयारी में हैं, जबकि हाल के रुझान बाजार के उत्साह को और बढ़ाते दिख रहे हैं. नियामकीय मंजूरियों और संभावित लिस्टिंग्स को लेकर निवेशकों में नई चर्चा शुरू हो गई है.

सोने और चांदी के बाजार में इन दिनों असामान्य हलचल देखी जा रही है, जिसने निवेशकों और ग्राहकों दोनों का ध्यान खींच लिया है. वैश्विक संकेतों, मौसमी मांग और आर्थिक अनुमानों के बीच कीमती धातुओं में तेज रुझान दिखाई दे रहा है, जिससे बाजार में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

देश की उभरती एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में एक नाम इन दिनों तेजी से चर्चा में है. अत्याधुनिक तकनीक, ग्लोबल क्लाइंट्स और वर्टिकल इंटीग्रेशन मॉडल के कारण कंपनी को लेकर निवेशक उत्सुक हैं.

अक्टूबर के त्योहारी सीजन के बाद नंवबर में जीएसटी कलेक्शन के मोर्चे पर सुस्ती देखने को मिली है. डोमेस्टिक कलेक्शन जहां सालाना आधार पर 2.3 फीसदी घटकर 1.24 लाख करोड़ रुपये रहा. वहीं, ग्रॉस GST में 0.7 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है.

रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ बड़ी कंपनियों ने हाल के महीनों में अपनी नकदी स्थिति को लेकर बाजार का ध्यान तेजी से खींचा है. ये कंपनियां किस तरह से अपनी वित्तीय मजबूती बढ़ा रही हैं और इसका आगे के बिजनेस पर क्या असर पड़ेगा, यह जानना निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण होता जा रहा है.

भारत के परमाणु ऊर्जा सेक्टर में जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. सरकार द्वारा प्रस्तावित नए विधेयक में ऐसे प्रावधान शामिल किए जा रहे हैं, जो देश की ऊर्जा नीति की दिशा बदल सकते हैं. इन बदलावों का असर केवल घरेलू ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देखने को मिल सकता है. पूरी तस्वीर अभी सामने आना बाकी है.

मजबूत GDP ग्रोथ के बावजूद भारतीय रुपये ने दिसंबर की शुरुआत ऐतिहासिक कमजोरी के साथ की. बाजार में उतार-चढ़ाव, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक दबावों ने मिलकर माहौल और भारी बना दिया है. निवेशकों की निगाह अब अगले कुछ दिनों की चाल पर है कि क्या मुद्रा को कोई सहारा मिल पाएगा.

साल के आखिरी महीनों में प्राइमरी मार्केट में ऐसी हलचल दिख रही है जिसने निवेशकों और विश्लेषकों दोनों का ध्यान खींच लिया है. अगले कुछ सप्ताह में कई बड़ी और उभरती कंपनियां बाजार से पूंजी जुटाने की तैयारी में हैं.

नवंबर में विदेशी निवेशकों का रुख एक बार फिर बदलता दिखा. अक्टूबर की खरीदारी के बाद इक्विटी बाजार में उनकी गतिविधि अचानक धीमी पड़ गई और रुझान सतर्क हो गया. वैश्विक संकेतों से लेकर घरेलू वैल्यूएशन तक कई कारकों ने इस बदलाव को आकार दिया, जिससे बाजार की चाल दिलचस्प बन गई.

भारत के रियल एस्टेट बाजार में दो बड़े डेवलपर्स ने तिमाही आंकड़ों के साथ नई हलचल पैदा कर दी है. बिक्री की रफ्तार, नए लॉन्च और अलग-अलग बाजारों से आती मांग ने दोनों कंपनियों की दिशा और रणनीति में दिलचस्प अंतर दिखाया है. आने वाला दौर उद्योग के लिए बेहद अहम हो सकता है.