पैसा बचाना भी है और उड़ाना भी! किस मुश्किल में है नई पीढ़ी?

नयी पीढ़ी का पैसा मैनेजमेंट आज दो चरम सीमाओं के बीच फंसा दिखाई देता है- एक तरफ फ्यूचर के लिए सेविंग और दूसरी तरफ लाइफस्टाइल का मजा लेने की चाह. सोशल मीडिया की लगातार चमक-दमक ने FOMO को जन्म दिया है, जहां मिलेनियल और जेन-जी को लगता है कि अगर उन्होंने अभी खर्च नहीं किया तो वे किसी बड़े अनुभव से चूक जाएंगे. इसी दबाव में वे इमोशनल स्पेंडिंग, ओवरस्पेंडिंग, और लाइफस्टाइल इन्फ्लेशन का शिकार हो रहे हैं. बढ़ती कॉस्ट ऑफ लिविंग, बढ़ती EMI, किराया, और अनिश्चित जॉब माहौल ने युवाओं की फाइनैन्शियल एंग्जायटी को पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा दिया है.

नतीजा यह है कि सेविंग की जगह फैनसी गैजेट, ट्रैवल, डाइनिंग आउट, और सोशल-मीडिया-अप्रूव्ड लाइफस्टाइल को प्राथमिकता मिल रही है. खास बात यह है कि ये पीढ़ी इन्वेस्ट भी कर रही है, लेकिन कई बार FOMO-ड्रिवन इन्वेस्टमेंट जैसे- ट्रेंडिंग स्टॉक, क्रिप्टो, या शॉर्ट-टर्म हाई-रिस्क फैसलों में. इस वजह से लॉन्ग-टर्म फाइनैन्शियल सिक्योरिटी पीछे छूट जाती है. कुल मिलाकर, भारतीय युवाओं का मौजूदा फाइनैन्स बिहेवियर एक ऐसे दौर से गुजर रहा है जहां सेविंग बनाम लाइफस्टाइल चॉइस की लड़ाई हर महीने के बजट को प्रभावित कर रही है.