विराट कोहली ने बनाया ₹1050 करोड़ का साम्राज्य, क्रिकेट नहीं यहां से बरस रहा है पैसा

विराट कोहली सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक ऐसे बिजनेसमैन हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी के अनुशासन और नियंत्रण को धन निर्माण में बदल दिया. दिल्ली के एक साधारण परिवार से निकले इस लड़के ने कभी पैसे की पीछे नहीं भागा, बल्कि लंबे समय की सोच और स्मार्ट फैसलों से 2025 तक करीब ₹1,050 करोड़ की नेट वर्थ बना ली. उनकी कहानी बताती है कि असली अमीरी विज्ञापनों से नहीं, ओनरशिप से आती है.

विराट कोहली का जन्म पश्चिम दिल्ली के उत्तम नगर में एक साधारण परिवार में हुआ. उनके पिता वकील थे और मां घर संभालती थीं.आज के वक्त में कोहली सिर्फ के सफल क्रिकेटर ही नहीं हैं, बल्कि एक अच्छे बिजनेसमैन भी हैं. उन्होंने एक के बाद एक ब्रांड में निवेश किया जिसका परिणाम है कि वे हजारों करोड़ रुपये के मालिक हैं. 2015 में विराट ने चिजेल फिटनेस में करीब 90 करोड़ रुपये निवेश किया. उस समय भारत में ऑर्गेनाइज्ड जिम्स नई बात थे. विराट ने यह दांव इसलिए लगाया क्योंकि फिटनेस ने उनकी खुद की क्रिकेट करियर बचाई थी.
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इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, WROGN ब्रांड यूनिवर्सल स्पोर्ट्सबिज के साथ शुरू हुआ और जल्दी 350 से ज्यादा स्टोर्स तक पहुंच गया. यह सफलता थी, लेकिन विराट को एहसास हुआ कि चेहरा दिखाकर पैसा कमाना अच्छा है, लेकिन कंपनी का मालिकाना हक असली अमीरी लाता है. इस अनुभव ने उनका पूरा अप्रोच बदल दिया. यानी अब वे कम विज्ञापन, ज्यादा इक्विटी पर भरोसा करने लगे. इसके बाद उन्होंने उन ब्रांड्स पर फोकस किया जहां वे मालिक बन सकें.
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2017 में पुमा के साथ लॉन्च हुई One8 आज कपड़े, जूते, परफ्यूम और रेस्टोरेंट्स तक फैल चुकी है. लेकिन स्पोर्ट्सवियर बिजनेस स्केल करने में चुनौतियां हैं. इसमें कम मार्जिन, बड़ा कैपिटल और ऑपरेशंस की जरूरत होती है. 2025 में विराट ने One8 को अगिलिटास स्पोर्ट्स को बेच दिया और तुरंत 40 करोड़ रुपये वापस निवेश कर कंपनी में करीब 2 फीसदी स्टेक लिया. यह फैसला गजब का था सिंगल ब्रांड का रिस्क कम हुआ, प्लेटफॉर्म लेवल पर बड़ा अपसाइड मिला और स्पेशल शेयर्स से प्रोटेक्शन भी मिला.
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विराट पैसा हर जगह नहीं फेंकते. उनका पोर्टफोलियो सिर्फ उन क्षेत्रों तक सीमित है जो वे समझते हैं जैसे हेल्थ, स्पोर्ट्स और लाइफस्टाइल. डिजिट इंश्योरेंस में शुरुआती निवेश अब अरबों की वैल्यूएशन वाली कंपनी बन चुका है. ब्लू ट्राइब (प्लांट-बेस्ड मीट), रेज कॉफी, हाइपरआइस (रिकवरी टेक) और FC गोआ जैसे निवेश दिखाते हैं कि वे ट्रेंड की पीछे नहीं भागते.
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2006 में पिता की मौत के बाद क्रिकेट विराट के लिए जुनून से जिम्मेदारी बन गया. यही सोच उनके बिजनेस में झलकती है. क्विक फीस की बजाय लंबी इक्विटी, स्पेशलिस्ट्स पर भरोसा और ईगो से दूर फैसले. विराट की सफलता बताती है कि अमीरी रोजाना दिखने वाले अनुशासन से बनती है, न कि शॉर्टकट्स से. उनकी कहानी प्रेरणा है कि अगर आप नियंत्रण और धैर्य रखें, तो मैदान के बाहर भी सेंचुरी मार सकते हैं.
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