भारत की एथनॉल पॉलिसी से महंगा होगा रसोई तेल? समझिए पूरी कहानी

भारत सरकार ने पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिश्रण (E20) का लक्ष्य रखा है. इस नीति के चलते किसान परंपरागत तिलहन फसलों जैसे सोयाबीन और मूंगफली की बजाय अब मक्का और धान की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. इसका सीधा असर घरेलू तेल उत्पादन पर पड़ सकता है. यदि तेलहन फसलों का उत्पादन घटता है तो भारत को ज्यादा मात्रा में खाद्य तेल आयात करना पड़ेगा. यह घरेलू रसोई तेल की कीमतों में तेजी ला सकता है.

वहीं, एथनॉल उत्पादन से निकलने वाला सह-उत्पाद डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्यूबल्स (DDGS) बाजार में बड़े पैमाने पर आ रहा है. इसका इस्तेमाल पशु चारे में होता है, जिससे सोयाबीन खली जैसे पारंपरिक तेलबीज आधारित चारे की मांग पर असर पड़ सकता है. इससे किसानों को तेलबीज फसलों से होने वाली कमाई घट सकती है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार का यह कदम ईंधन लागत को कम करने और आयात बिल घटाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इसकी कीमत आम घरों की रसोई से चुकानी पड़ेगी. यानी पेट्रोल सस्ता करने के बदले क्या खाना पकाने का तेल महंगा हो जाएगा. यही भारत की एथनॉल नीति की असली चुनौती है.