स्टेबलकॉइन और GENIUS Act: क्या 2030 तक बदल जाएगी ग्लोबल पेमेंट और फाइनेंशियल सिस्टम की तस्वीर?
स्टेबलकॉइन एक तरह की डिजिटल करेंसी है. इसमे बिटकॉइन या एथेरियम की तरह कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं होती. बल्कि डॉलर जैसी करेंसी से जुड़ी रहती है ताकि इसकी वैल्यू स्थिर रहे. हाल ही में अमेरिका में GENIUS Act लाया गया है जो स्टेबलकॉइन के लिए साफ नियम तय करता है. जैसे इन्हें कौन जारी करेगा, इनके पीछे कितना रिजर्व होगा और लोग इन्हें आसानी से कैश में बदल पाएंगे. इसका मतलब है कि अब यह करेंसी ज्यादा भरोसेमंद और सुरक्षित मानी जाएगी. स्टेबलकॉइन का सबसे बड़ा फायदा क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट में हो सकता है. विदेश में पैसे भेजने की प्रक्रिया आज भी महंगी और धीमी है, लेकिन स्टेबलकॉइन से यह कुछ मिनटों में और कम खर्च में हो सकता है. यही वजह है कि JPMorgan, Visa और Mastercard जैसी बड़ी कंपनियां इसमें दिलचस्पी दिखा रही हैं. अगर नियम मजबूत रहे और कंपनियां इसे अपनाती रहीं, तो 2030 तक स्टेबलकॉइन आम लोगों, बिजनेस और खासकर उभरते बाजारों के लिए एक मुख्य वित्तीय साधन बन सकते हैं.