सरकार ने चुनिंदा प्लैटिनम ज्वेलरी के आयात पर लगाई रोक, 30 अप्रैल 2026 तक रहेगी पाबंदी, जानें वजह

सरकार ने घोषणा की है कि कुछ प्रकार की प्लैटिनम ज्वेलरी के इंपोर्ट पर प्रतिबंध (import curbs) लगाए जा रहे हैं. यह रोक फिलहाल अगले साल अप्रैल तक लागू रहेगी. Directorate General of Foreign Trade (DGFT) ने एक नोटिफिकेशन में कहा है कि प्लैटिनम ज्वेलरी की इंपोर्ट पॉलिसी Free से बदलकर Restricted कर दी गई है, जो 30 अप्रैल 2026 तक लागू रहेगी.

प्लेटिनम ज्वेलरी Image Credit:

सरकार ने प्लैटिनम ज्वेलरी के इंपोर्ट पर एक बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, Directorate General of Foreign Trade (DGFT) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया है कि प्लैटिनम ज्वेलरी की इंपोर्ट पॉलिसी Free से बदलकर Restricted कर दी गई है, जो 30 अप्रैल 2026 तक लागू रहेगी. यह निर्णय इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) द्वारा उठाई गई चिंताओं के बाद लिया गया है. जिसमें एसोसिएशन ने अधिकारियों का ध्यान इस बात पर दिलाया कि कुछ व्यापारी प्लैटिनम ज्वेलरी के नियमों का गलत तरीके से फायदा उठा रहे थे.

क्यों लिया गया यह फैसला?

दरअसल, सरकार की तरफ से यह फैसला India Bullion and Jewellers Association (IBJA) की शिकायत के बाद लिया गया है. IBJA ने सरकार को बताया था कि कुछ बुलियन डीलर्स प्लैटिनम अलॉय ज्वेलरी को ड्यूटी फ्री आयात कर रहे थे, जबकि उन उत्पादों में करीब 90 फीसदी हिस्सा सोने का होता था और सिर्फ थोड़ी मात्रा में चांदी व प्लैटिनम होता था. एसोसिएशन ने इसे import rule loophole बताते हुए सरकार से इसे बंद करने की मांग की थी. इसकी जानकारी Reuters ने अपनी रिपोर्ट में दी है.

वाणिज्य मंत्रालय ने अप्रैल से जून 2025 के बीच थाईलैंड जैसे देशों से unstudded silver jewellery यानी ऐसी ज्वेलरी जिसमें कोई भी रत्न (जैसे डायमंड, रूबी, एमराल्ड आदि) जड़ा हुआ न हो, के आयात में तेजी देखी थी. अधिकारियों ने पाया कि कई व्यापारी finished jewellery के नाम पर सस्ते दामों में माल आयात कर रहे थे, जिससे घरेलू दाम गिर रहे थे और रोजगार खतरे में पड़ रहे थे. भारत का ASEAN देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) है और थाईलैंड इस समूह का सदस्य है. इसी का फायदा उठाते हुए कुछ व्यापारी कर छूट का दुरुपयोग कर रहे थे.

प्लैटिनम ज्वेलरी में कैसे हो रहा था दुरुपयोग?

कुछ बुलियन डीलर्स और ज्वेलर्स भी प्लैटिनम आयात नियमों में मौजूद खामियों का फायदा उठाकर शुल्क (duty) से बच रहे थे. Mint की रिपोर्ट के मुताबिक, वे 4 फीसदी से 4.5 फीसदी तक का मुनाफा कमा रहे थे, जो कई करोड़ रुपये के बराबर था. प्लैटिनम ज्वेलरी के दैनिक इंपोर्ट की मात्रा इतनी बढ़ गई थी कि वह सालाना इंपोर्ट स्तर के बराबर पहुंच गई थी. ये कंसाइनमेंट मुख्य रूप से अमृतसर और दिल्ली एयरपोर्ट्स पर पहुंचते थे. बाद में इन ज्वेलरी को पिघलाकर प्लैटिनम बार बना लिया जाता था और घरेलू बाजार में बेचा जाता था, जिससे 6.4 फीसदी ड्यूटी से बचा जा रहा था.

चांदी के इंपोर्ट पर भी पहले लगा था प्रतिबंध

यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब सरकार ने तीन महीने पहले चुनिंदा सिल्वर ज्वेलरी के इंपोर्ट पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए थे. इसका उद्देश्य घरेलू निर्माताओं की सुरक्षा और रोजगार बनाए रखना था, खासकर त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग के बीच. सिल्वर ज्वेलरी के आयात पर यह रोक 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी. भारत में चीन, UAE और थाईलैंड से सिल्वर ज्वेलरी का आयात प्रमुख रूप से होता है.

अब आयातकों के लिए क्या बदलेगा?

सरकार के इस कदम के बाद अब प्लैटिनम ज्वेलरी को “Restricted” कैटेगरी में रखा गया है. इसका मतलब है कि अब कोई भी आयातक DGFT से लाइसेंस लिए बिना ऐसी ज्वेलरी को विदेश से नहीं मंगा सकेगा. यह कदम सरकार द्वारा रेवेन्यू लॉस रोकने और घरेलू ज्वेलरी उद्योग की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है.

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