गोल्ड के बदले मिलेगा ज्यादा लोन! 2 लाख तक की कीमत पर राहत की तैयारी; NBFC शेयरों में तेजी

सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को गोल्ड लोन से जुड़े कुछ सुझाव पेश किए हैं. खासकर छोटे कर्जदारों के लिए बड़ी राहत की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन नए नियम क्या हैं, और कौन उठाएगा इसका फायदा? जानिएकिसे मिल सकती है छूट...

NBFC के शेयरों में तेजी Image Credit: FreePik

Gold Loan Guidelines: छोटे कर्जदारों को मुश्किल से बचाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को गोल्ड लोन पर जारी मसौदा गाइडलाइंस को लेकर अपनी सिफारिशें भेजी हैं. मंत्रालय का मानना है कि अगर आरबीआई की ओर से प्रस्तावित नए नियम बिना बदलाव लागू होते हैं, तो इससे छोटे मूल्य के गोल्ड लोन लेने वाले ग्राहकों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि इस तरह के ग्राहक आमतौर पर गरीब या मध्यम वर्ग से आते हैं. ऐसे में आरबीआई के सख्त नियमों का असर उनपर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है.

बता दें, सेंट्रल बैंक RBI ने पिछली पॉलिसी मीटिंग में गोल्ड लोन के नियमों को सख्त करने के लिए नई गाइडलाइन लाने की घोषणा की थी. इस घोषणा के बाद ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी की गई और और विभिन्न पक्षों से उनके सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी गई थीं.

2 लाख रुपये तक के लोन को मिल सकती है छूट

वित्तीय सेवा विभाग ने आरबीआई को सुझाव दिया है कि 2 लाख रुपये से कम के गोल्ड लोन लेने वाले कर्जदारों को नए नियमों से छूट दी जाए. मंत्रालय के अनुसार, छोटे गोल्ड लोन लेने वालों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ऐसे नियमों से उन्हें बचाया जाए, जिससे उनकी वित्तीय जरूरतें प्रभावित हों. मंत्रालय का मानना है कि अगर नियम ज्यादा सख्त होते हैं तो मध्यम लोगों को लोन लेने में दिक्कतें आ सकती हैं साथ ही उनके लिए लोन अदायगी भी मुश्किल हो सकती है.

मंत्रालय ने यह भी सिफारिश की है कि आरबीआई के नए दिशा-निर्देशों को लागू करने की समय-सीमा को बढ़ाकर 1 जनवरी 2026 कर दिया जाए. इससे बैंकों और एनबीएफसी को अपने परिचालन स्तर पर आवश्यक बदलाव करने का पर्याप्त समय मिलेगा.

क्यों जरूरी हुए नए नियम?

आरबीआई ने अप्रैल में गोल्ड लोन पर नए मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए थे. ये कदम एक संयुक्त निरीक्षण के बाद उठाया गया जिसमें कई खामियां उजागर हुईं- जैसे लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात में लापरवाही, जोखिम मूल्यांकन में कमी, एजेंटों का दुरुपयोग और नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी.

एलटीवी यानी लोन-टू-वैल्यू (Loan-to-Value) उस अनुपात को कहते हैं, जिसमें बैंक या फाइनेंशियल संस्था आपके गिरवी रखे गए सोने (या किसी संपत्ति) की कुल कीमत के मुकाबले कितना कर्ज देती है. आसान भाषा में कहें तो अगर आपने एक लाख रुपये मूल्य का सोना गिरवी रखा है और बैंक 75 हजार रुपये का कर्ज देता है, तो एलटीवी 75% हुआ. एलटीवी जितना ज्यादा होता है, ग्राहक को उतना अधिक कर्ज मिल सकता है, लेकिन इससे जोखिम भी बढ़ता है, इसलिए आरबीआई इसकी एक सीमा तय करता है.

अभी तक लोन की पूरी अवधि में एलटीवी 75 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए, जिसमें ब्याज भी शामिल है. इससे बुलेट रिपेमेंट जैसी संरचनाओं में कर्ज वितरण की मात्रा कम हो सकती है. लेकिन अगर आरबीआई सरकार के सुझाव मानती है तो संभावना है कि LTV में बढ़ोतरी हो सकती है जिससे कर्जधारकों को राहत मिलेगी.

आरबीआई कर रहा है सभी सुझावों की समीक्षा

वर्तमान में रिजर्व बैंक सभी हितधारकों से मिली प्रतिक्रियाओं की समीक्षा कर रहा है. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि उसमें DFS के सुझाव भी शामिल हैं, जिन्हें अंतिम दिशानिर्देश तय करने से पहले गंभीरता से लिया जाएगा.

यह भी पढ़ें: ब्रोकरेज के सारे अनुमानों को तोड़कर भागा Suzlon Energy, 13 फीसदी चढ़ा, जानें कौन कर रहा ड्राइव

गोल्ड लोन देने वाले शेयरों में तेजी

अगर RBI सरकार के सुझावों को मानकर इन गाइडलाइंस में लागू करता है, तो जाहिर है कि गोल्ड लोन देने वाली मुथूट फाइनेंस जैसी बड़ी NBFC को सबसे ज्‍यादा फायदा हो सकता है. DFS के सुझाव की खबर आने के बाद Muthoot Finance के शेयर 7 फीसदी तक चढ़ गए. वहीं Manappuram Finance ने भी 1.50 फीसदी की बढ़त दर्ज की. गोल्ड लोन देने वाली कंपनी IIFL Finance और ICICI Bank ने मामूली बढ़त दर्ज की. इसके अलावा खबर बाजार में आते ही Bajaj Finance, State Bank of India, IndusInd Bank के शेयरों ने भी रफ्तार पकड़ी.