Closing Bell: सेंसेक्स 139 अंक टूटकर और निफ्टी 24,850 से नीचे बंद, ऑटो और प्राइवेट बैंक के शेयर चमके
Closing Bell: भारतीय फ्रंटलाइन इंडेक्स एक और सत्र के लिए सीमित दायरे में रहे, क्योंकि मौजूदा जियो-पॉलिटिकल तनावों ने सेंटीमेंट को प्रभावित करना जारी रखा. निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत फैसले से पहले सतर्क नजर आ रहे हैं.
Closing Bell: पश्चिमी एशिया में बढ़ते तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद, वित्तीय और ऑटो शेयरों में बढ़त के कारण भारतीय शेयर बाजार बुधवार को शुरुआती गिरावट से उबरकर लगभग फ्लैट जोन में बंद हुआ. 18 जून को भारतीय इक्विटी इंडेक्स मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ तथा निफ्टी 24,850 से नीचे आ गया.
सेंसेक्स 138.64 अंक या 0.17 फीसदी की गिरावट के साथ 81,444.66 पर बंद हुआ और निफ्टी 41.35 अंक या 0.17 फीसदी की गिरावट के साथ 24,812.05 पर क्लोज हुआ. लगभग 1486 शेयरों में तेजी आई, 2342 शेयरों में गिरावट आई और 131 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ.
टॉप गेनर्स और लूजर्स
निफ्टी पर सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयरों में टीसीएस, अडानी पोर्ट्स, जेएसडब्ल्यू स्टील, एचयूएल, अडानी एंटरप्राइजेज शामिल हैं, जबकि इंडसइंड बैंक, ट्रेंट, टाइटन कंपनी, मारुति सुजुकी और एमएंडएम में बढ़त दर्ज की गई.
लाल निशान में इंडेक्स
सेक्टोरल मोर्चे पर, ऑटो, प्राइवेट बैंक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स को छोड़कर, अन्य सभी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए, जिसमें आईटी, मीडिया, मेटल, ऑयल एंड गैस, रियल्टी में 0.5-1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
13 प्रमुख सेक्टोरल इंडेक्स में से 11 लाल निशान पर बंद हुए, जिसमें टेक शेयर सबसे अधिक नुकसान में रहे. मई में खुदरा बिक्री में कमी आने के बाद अमेरिका में मंदी की आशंका फिर से उभर आई और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले निवेशक सतर्क नजर आ रहे हैं. नतीजतन, निफ्टी आईटी इंडेक्स 0.83 फीसदी गिर गया, जिससे इसकी तीन दिन की बढ़त का सिलसिला टूट गया.
निफ्टी एफएमसीजी, निफ्टी रियल्टी और निफ्टी पीएसयू बैंक सहित अन्य सेक्टोरल इंडेक्स भी 0.4% से 0.5% की लिमिट में नुकसान दर्ज करते हुए लाल निशान पर बंद हुए. बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
ऑटो शेयरों ने किया शानदार प्रदर्शन
बढ़त की बात करें तो ऑटो शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया, निफ्टी ऑटो इंडेक्स 0.37% की बढ़त के साथ बंद हुआ, जबकि ऐसी खबरें थीं कि भारत चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए रेयर अर्थ मैग्नैट के वैकल्पिक स्रोत के रूप में ऑस्ट्रेलिया पर विचार कर रहा है.