कबाड़ रीसाइकिल कर ये 5 कंपनियां बना रहीं तगड़ा साम्राज्य, एक ने दिया 3900% से ज्यादा का मल्टीबैगर रिटर्न

अब मेटल रीसाइक्लिंग सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि निवेश के नजरिए से भी एक बड़ा मौका बन चुकी है. भारत की ये 5 कंपनियां टेक्नोलॉजी, ग्रोथ और सरकारी नीतियों की वजह से 2025 में निवेशकों को बेहतर रिटर्न दे सकती हैं. देखें पूरी लिस्ट.

रीसाइकिल स्टॉक्स Image Credit: @Money9live

Recycling Stocks in India: अब निवेश के लिए खदानों में सोना ढूंढने की जरूरत नहीं, ये कहना सही होगा कि असली मौका कबाड़खानों में छिपा हो सकता है! दरअसल, मेटल रीसाइक्लिंग सेक्टर तेजी से उभर रहा है. यह वो इंडस्ट्री है जो पुराने, फेंके गए मेटल को दोबारा इस्तेमाल लायक बनाकर एक नया बाजार खड़ा कर रही है. आज ये कंपनियां सिर्फ पर्यावरण ही नहीं बचा रहीं, बल्कि मुनाफा भी कमा कर दे रही हैं. अगर आप एक निवेशक हैं और ऐसे शेयर की तलाश में हैं जिनमें आने वाले समय में असली ग्रोथ दिखे, तो ये रिपोर्ट आपके लिए है. नीचे हम उन 5 भारतीय मेटल रीसाइक्लिंग कंपनियों की जानकारी दे रहे हैं, जिनके 2025 में चमकने के पूरे आसार हैं.

Gravita India Ltd

1992 में शुरू हुई ग्राविटा इंडिया आज भारत की सबसे बड़ी लीड रीसाइक्लिंग कंपनियों में से एक है. कंपनी का फोकस है लीड, एल्युमिनियम, प्लास्टिक और रबर रीसाइक्लिंग पर. इसकी खासियत कस्टम लीड अलॉय, रेड लीड, लीड ऑक्साइड है जो इंडस्ट्रियल और बैटरी कंपनियों को सप्लाई किए जाते हैं. इन हाई-मार्जिन प्रोडक्ट्स से कंपनी की कमाई का 46 फीसदी हिस्सा आता है. FY27 तक इसे 50 फीसदी करने का लक्ष्य है. भारत के अलावा कंपनी के प्लांट्स घाना, श्रीलंका, ओमान, डोमिनिकन रिपब्लिक, रोमानिया जैसे देशों में भी हैं.

इससे इतर, कंपनी के आगामी प्लान भी हैं. कंपनी लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग की ओर बढ़ रही है. इसका पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है और FY26 की पहली छमाही में इसे शुरू करने की योजना है. स्टॉक ने पिछले 5 साल में अपने निवेशकों को 3,984 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है.

स्टॉक और वित्तीय स्थिति:

Pondy Oxides & Chemicals Ltd

1995 में बनी इस कंपनी का फोकस है सेकेंडरी लीड और अलॉय मैन्युफैक्चरिंग. यह कंपनी स्क्रैप से लीड, एल्यूमिनियम, कॉपर और इनके अलॉय बनाती है. इसके ग्राहक– अमरा राजा बैटरीज, टाटा, ग्लेनकोर, सेबैंग ग्लोबल बैटरी (कोरिया) आदि हैं. POCL का ब्रांड London Metal Exchange (LME) में लिस्टेड है. कंपनी अपनी लीड रीसाइक्लिंग कैपेसिटी 204,000 MTPA तक बढ़ा रही है. इस स्टॉक ने पिछले 5 साल में 1,425 फीसदी का रिटर्न दिया है.

स्टॉक और वित्तीय स्थिति:

Eco Recycling Ltd

भारत की पहली ई-वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी, जो लैपटॉप, मोबाइल, बैटरी और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को रीसायकल करती है. कंपनी डेटा डिस्ट्रक्शन, ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग, बैटरी रीसाइक्लिंग जैसी सर्विसेज देती है. इसकी रीसाइक्लिंग कैपेसिटी 31,200 MTPA है. सरकार की PLI स्कीम से कंपनी को और बढ़त मिलने की उम्मीद है. 2025 तक 6,000 MTPA की लिथियम बैटरी रीसाइक्लिंग यूनिट शुरू की जाएगी (C-MET के साथ मिलकर). इस स्टॉक ने पिछले 5 साल में लगभग 1,710 फीसदी का रिटर्न दिया है.

स्टॉक और वित्तीय स्थिति:

Nupur Recyclers Ltd

2019 में शुरू हुई यह कंपनी फेरस और नॉन-फेरस मेटल स्क्रैप का इंपोर्ट और प्रोसेसिंग करती है. इसके प्रोडक्ट्स एल्युमिनियम जोर्बा, ब्रास स्क्रैप, जिंक डाईकास्ट आदि हैं. 2024 में कंपनी ने Frank Metals Recyclers में 80 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी. इस स्टॉक ने पिछले 5 साल में 1,425 फीसदी का रिटर्न दिया है. इस स्टॉक ने पिछले 5 साल में 238 फीसदी का रिटर्न दिया है.

स्टॉक और वित्तीय स्थिति:

Nile Ltd

1984 में बनी यह कंपनी मुख्य रूप से लीड और लीड अलॉय रीसाइक्लिंग करती है. इसके मुख्य ग्राहक- अमरा राजा बैटरीज और मंगल इंडस्ट्रीज हैं जो मिलकर 100 फीसदी बिक्री करते हैं. कंपनी के दो प्रमुख प्लांट- चोटूप्पल (32,000 TPA) और तिरुपति (75,000 TPA) हैं. हालांकि, ARBL अपनी खुद की स्मेल्टर यूनिट लगा रही है, जिससे बिक्री पर असर हो सकता है. इस स्टॉक ने पिछले 5 साल में 560 फीसदी का रिटर्न दिया है.

स्टॉक और वित्तीय स्थिति:

Equitymaster की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेटल रीसाइक्लिंग क्षेत्र की कंपनियां टेक्नोलॉजी-बेस्ड, स्केलेबल (तेजी से बढ़ने लायक) और ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी हैं, जिनका अब तक का ग्रोथ रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है. सरकार की कई योजनाएं जैसे Extended Producer Responsibility (EPR), बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट नियम, नॉन-फेरस मेटल रीसाइक्लिंग फ्रेमवर्क और सर्कुलर इकोनॉमी पर जोर – इस सेक्टर के लिए लंबे समय में फायदेमंद ट्रेंड तैयार कर रही हैं. इन कंपनियों पर नजर बनाए रखना आने वाले समय में एक अच्छा लॉन्ग-टर्म निवेश मौका बन सकता है. हालांकि, निवेश से पहले किसी भी कंपनी की फंडामेंटल स्थिति, कॉरपोरेट गवर्नेंस और वैल्यूएशन को ध्यान से जांचना बहुत जरूरी है, ताकि समझदारी से निवेश का फैसला लिया जा सके.

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डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.

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