सुजलॉन का रिवाइवल प्लान बना संजीवनी बूटी, इस तरकीब से हुई कर्जमुक्त, क्या दोबारा बनेगा एनर्जी किंग
रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी सुजलॉन एनर्जी आजकल दोबारा सुर्खियों में हैं. इसके शेयरों में इन-दिनों उछाल देखने को मिल रहा है. कंपनी को एक के बाद एक कई ऑर्डर मिल रहे हैं. इससे कंपनी की स्थिति मजबूत हुई है. हालांकि कुछ साल पहले कंपनी कर्ज में थी, लेकिन अब ये इससे उबर चुकी है, तो कैसे कंपनी हुई कर्जमुक्त, क्या थी रणनीतियां जानें डिटेल.
Suzlon Energy Share Price: रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी सुजलॉन एनर्जी के शेयर इन-दिनों अपट्रेंड में हैं. पिछले हफ्ते कंपनी को एम्पिन एनर्जी से मिले लगातार तीसरे ऑर्डर के बाद शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली थी. जानकार आगे भी इसमें बढ़त की उम्मीद कर रहे हैं. एनर्जी सेक्टर की ये दिग्गज कंपनी एक समय पहले तक कर्ज में डूबी थी, लेकिन कंपनी के रिवाइवल प्लान और सॉलिड रणनीति के दम पर ये कर्जमुक्त हो गई है. इतना ही नहीं कंपनी नए ऑर्डर के दम पर लगातार आगे बढ़ रही है. जिसका असर इसके शेयरों में भी देखने को मिल रहा है. तो कौन-सा है वो प्लान जो बना कंपनी के लिए संजीवनी बूटी, जानें पूरी डिटेल.
उतार-चढ़ाव के बीच बनाया मुकाम
Suzlon Energy की स्थापना 1995 में हुई थी. कंपनी ने वैश्विक स्तर पर अपनी खास पहचान बनाई है, मगर 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी और 17,500 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ ने कंपनी को हिलाकर रख दिया. मगर अब 2025 में सुजलॉन पूरी तरह कर्जमुक्त हो गई है. वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही में कंपनी का एबिटा 81% बढ़ गया, जबकि मुनाफा भी 213% उछलकर 2,071 करोड़ रुपये तक पहुंचा गया. कंपनी की गाड़ी पटरी पर लौटने से मैनेजमेंट भविष्य की नीतियों को लेकर काफी आशान्वित है. कंपनी अपने कारोबार को और बड़ा करने पर फोकस कर रही है.
कैसे मिला कर्ज से छुटकारा?
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के सीईओ जे.पी. चालासानी कंपनी का कर्ज उतारने की दिशा में 2017 को टर्निंग पॉइंट मानते हैं, चूंकि उस समय भारत में 5 गीगावाट विंड एनर्जी की स्थापना हुई थी, जिसमें सुजलॉन का हिस्सा 1.8 गीगावाट था. उस समय रिवर्स बिडिंग सिस्टम ने विंड एनर्जी की दरों को नीचे लाकर कंपनियों पर दबाव डाला. इससे कंपनी का ब्रेक-ईवन पॉइंट 1,500 मेगावाट से घटाकर 600-700 मेगावाट कर लिया गया. इसके अलावा मैनपावर और ऑपरेशंस को री-ऑर्गनाइज किया. नतीजतन 2023 में राइट्स इश्यू और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट से कर्ज खत्म किया गया. इतना ही नहीं मार्च 2025 तक कंपनी के पास 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी दर्ज की गई. इस तिमाही में कंपनी ने दशक का सबसे ज्यादा मुनाफा दर्ज किया.
कंपनी के लिए ये चीजें रहीं टर्निंग प्वाइंट
- 2005 में 1,500 करोड़ रुपये के IPO से शुरू हुआ सुजलॉन का सफर अब नए शिखर छू रहा है. कर्जमुक्त बैलेंस शीट, रिकॉर्ड मुनाफा और रिन्यूएबल एनर्जी में भारत की महत्वाकांक्षा ने सुजलॉन को निवेशकों का चहेता बना दिया है.
- सुजलॉन को कर्ज और रिवर्स बिडिंग के कारण लो विंड टैरिफ के चलते दबाव झेलना पड़ा था. मगर कंपनी सुजलॉन ने बड़े पैमाने पर रीस्ट्रक्चरिंग करके और सही ऑपरेशन से मानव संसाधन और उत्पाद गुणवत्ता को बनाए रखा.
- नई बिडिंग प्रक्रिया के तहत टैरिफ बढ़ाने से विंड कंपनियों के लिए बड़ी राहत मिली, इससे सुजलॉन को भी फायदा मिला.
- सुजलॉन ने फंड जुटाने, कर्ज कम करने और विस्तार करने के लिए ओवरड्राइव पर काम किया और मुनाफे को बढ़ाया.
- सुजलॉन की ओर से संचालन और रखरखाव कंपनी रेनॉम के अधिग्रहण किया इससे मुनाफे में स्थिरता आई.
शेयरों का प्रदर्शन
Suzlon Energy के शेयरों का हाल देखें तो 27 जून को ये 2.93% की बढ़त के साथ 66.30 रुपये पर ट्रेड करता नजर आया. 6 महीने में इसके शेयरों में 4.85% की बढ़त देखने को मिली. एक साल में इसके शेयरों ने 24.47% और 5 साल में 1,454.57% का धमाकेदार रिटर्न दिया है.
यह भी पढ़ें: आशीष कचोलिया ने इस स्टॉक से बनाई दूरी, फिर भी कंपनी का दम बरकरार, 3 महीने में दिया 61.90% रिटर्न
भारत सरकार के लक्ष्य से कंपनी को मिलेगा बूस्ट
भारत सरकार ग्रीन एनर्जी को लगातार बढ़ावा दे रही है, ऐसे में देश का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल करना तय किया है. वर्तमान में यह 226.75 गीगावाट से दोगुना है. सुजलॉन जो 17 देशों में 20.9 गीगावाट और भारत में 15 गीगावाट की स्थापना के साथ ग्लोबल लीडर है, इस मौके को भुनाने को तैयार है. विश्लेषकों का मानना है कि 100 गीगावाट विंड एनर्जी के लक्ष्य में सुजलॉन की अहम भूमिका होगी. इसका ऑल-टाइम हाई ऑर्डर बुक और मजबूत डिलीवरी पाइपलाइन FY25-27 में 47% की वार्षिक एबिटा ग्रोथ की उम्मीद है.