IAS की नौकरी नहीं आई रास…खड़ा किया करोड़ों का साम्राज्य, Unacademy-Sabziwala के फाउंडर भी लिस्ट में शामिल

आपके पास वो नौकरी है जिसके लिए लाखों युवा रात-दिन एक कर देते हैं. फिर भी एक दिन आप उठते हैं और कहते हैं बस, अब कुछ और करना है. ज्यादातर लोग इसे पागलपन कहेंगे. लेकिन कुछ लोग इसे अपना सपना पूरा करने का रास्ता मानते हैं. भारत में कुछ ऐसे IAS और IPS अधिकारी हुए हैं जिन्होंने अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ दी और कुछ ऐसा बनाया जो लाखों लोगों की जिंदगी बदल रहा है.

डॉक्टर और 2000 बैच के IAS अधिकारी डॉ. सैयद सबाहत अजीम की जिंदगी उस दिन बदल गई जब उनके पिता की मौत गलत इलाज की वजह से हो गई. उन्होंने सोचा अगर मेरे साथ, एक डॉक्टर और IAS के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम आदमी का क्या? बस यहीं से शुरू हुआ उनका मिशन. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और 2010 में Glocal Healthcare Systems शुरू किया. आज Glocal छोटे शहरों में किफायती अस्पताल चलाता है जहां कंप्यूटराइज्ड सिस्टम की मदद से 42 आम बीमारियों का इलाज करता है.
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IIT कानपुर के ग्रैजुएट राजन सिंह ने तिरुवनंतपुरम में 3500 पुलिसकर्मियों की कमान संभाली. आठ साल शानदार सेवा के बाद उन्हें लगा कि अब कुछ अलग करना है. कॉर्पोरेट दुनिया में थोड़ा अनुभव लेने के बाद 2016 में उन्होंने ConceptOwl शुरू किया . एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जहां बिना टीचर के क्लासरूम में बच्चे एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करते हैं. आज हजारों छात्र उनके प्लेटफॉर्म की वजह से अपने सपनों के करीब पहुँच रहे हैं.
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1982 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी प्रवेश शर्मा ने 34 साल शानदार सेवा के बाद 2016 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में उनका गहरा अनुभव था. उन्होंने Sabziwala शुरू किया. एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो सीधे किसानों से ताजी सब्जियां और फल उपभोक्ताओं तक पहुंचाता है और दोनों को उचित दाम दिलाता है. बाद में इसे Kamatan में बदला.
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रोमन सैनी ने 16 साल की उम्र में AIIMS का एंट्रेंस क्लियर किया. MBBS के दौरान ही रिसर्च पेपर पब्लिश किया. फिर पहली कोशिश में UPSC पास करके मध्य प्रदेश में सबसे कम उम्र के कलेक्टर बने. लेकिन वहां भी उनका दिल नहीं लगा. उन्होंने IAS छोड़ दी और Unacademy शुरू किया. एक ऐसा फ्री ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जहां लाखों छात्र IAS और दूसरी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. आज Unacademy करोड़ों युवाओं की उम्मीद बन चुका है.
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1979 बैच के IAS अधिकारी विवेक कुलकर्णी ने कर्नाटक सरकार में IT और बायोटेक्नोलॉजी सेक्रेटरी रहते हुए राज्य को टेक हब बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. 22 साल सेवा के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और 2005 में अपनी पत्नी के साथ Brickwork India शुरू किया. एक ऐसा आउटसोर्सिंग कंपनी जो दुनिया भर की कंपनियों को वर्चुअल असिस्टेंट देती है. आज उनके क्लाइंट 116 देशों में हैं. साथ ही उन्होंने Brickwork Ratings शुरू की जो भारत की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक है.
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