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2025 इन अरबपतियों के लिए रहा बुरा, शोहरत तो गई ही पैसा भी गया
कभी देश की इकोनॉमिक ताकत माने जाने वाले देश के कुछ चेहरे साल 2025 में जांच एजेंसियों, अदालतों और गंभीर आरोपों के कारण सुर्खियों में रहे. कहीं साम्राज्य ढहता दिखा तो कहीं सालों में बनाई गई साख पर सवाल उठे. आइए जानते हैं.
वैसे तो साल 2025 कई लोगों के लिए तरक्की, नाम और दौलत लेकर आया. किसी को नई पहचान मिली, किसी की कमाई बढ़ी तो किसी की शोहरत और ऊंचाई पर पहुंची. लेकिन यही साल भारत के कुछ बड़े और नामी अरबपतियों के लिए मुश्किलों भरा भी साबित हुआ. कभी देश की आर्थिक ताकत माने जाने वाले ये चेहरे इस साल जांच एजेंसियों, अदालतों और गंभीर आरोपों के कारण सुर्खियों में रहे. कहीं साम्राज्य ढहता दिखा तो कहीं सालों में बनाई गई साख पर सवाल उठे. आइए जानते हैं.
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अनिल अंबानी का सुनहरा दौर 2000 के दशक के मध्य से लेकर 2007-2008 तक रहा. इस समय वे दुनिया के सबसे अमीर लोगों में गिने जाते थे. उस दौरान रिलायंस कैपिटल का मार्केट कैप 70,000 करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया था. रिलायंस कम्युनिकेशन, रिलायंस इंफ्रा और रिलायंस पावर जैसे कारोबारों में जबरदस्त उछाल देखा गया. साल 2005 में हुए बंटवारे के बाद उनका कारोबारी साम्राज्य तेजी से बढ़ा.
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लेकिन साल 2025 उनके लिए भारी संकट लेकर आया. प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी के मामलों में बड़ी कार्रवाई की. मुंबई स्थित घर समेत करीब 9000 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की गईं. उन पर बैंकों से लोन लेकर फंड डायवर्ट करने के आरोप हैं. इसी सिलसिले में ईडी ने उनसे पूछताछ की और उनके खिलाफ कई दूसरी कानूनी जांच भी जारी हैं.
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बायजू रवींद्रन का पीक टाइम 2020 से 2022 के बीच रहा. उनकी कंपनी बायजूज उस दौर में दुनिया की सबसे मूल्यवान एडटेक कंपनियों में शामिल हो गई थी. कोविड महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई की मांग बढ़ने से 2022 में कंपनी की वैल्यूएशन 22 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई. इस दौरान कंपनी ने बड़े अधिग्रहण किए और IPL व FIFA जैसे प्लेटफॉर्म पर भारी मार्केटिंग की.
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लेकिन 2022 के बाद हालात बदलने लगे. आक्रामक विस्तार और अधिग्रहण के लिए लिया गया भारी कर्ज कंपनी पर बोझ बन गया. फाइनेंशियल रिपोर्ट्स में देरी हुई और 2021-22 में 8,245 करोड़ रुपये का घाटा सामने आया. निवेशकों ने पारदर्शिता पर सवाल उठाए. अग्रेसिव सेल्स टैक्टिक्स और रिफंड न देने के आरोपों से ग्राहकों का भरोसा भी कमजोर पड़ा. 2023 तक स्थिति और बिगड़ गई. प्रवर्तन निदेशालय ने FEMA उल्लंघन की जांच शुरू की. साल 2025 में हालात और गंभीर हो गए, जब अमेरिकी कोर्ट ने बायजू रवींद्रन पर 1 बिलियन डॉलर यानी करीब 9 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया.
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चंदा कोचर ने 1984 में एक ट्रेनी के तौर पर ICICI बैंक में करियर शुरू किया था. उनके साथ साथ ICICI बैंक ने भी तेजी से तरक्की की और एक छोटी फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी से देश के बड़े बैंकों में शुमार हो गया. 2009 में चंदा कोचर को बैंक का एमडी और सीईओ बनाया गया. बैंक की ग्रोथ में उनकी भूमिका की काफी सराहना हुई. फोर्ब्स की दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं की लिस्ट में उन्हें लगातार 7 बार जगह मिली. टाइम मैगजीन ने 2015 में उन्हें 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शामिल किया. साल 2011 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान मिला, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.
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लेकिन बाद के वर्षों में एक बड़े लोन घोटाले ने उनकी छवि पर गहरा असर डाला. साल 2025 में यह मामला फिर सुर्खियों में रहा, जब उन्हें Videocon Group को लोन देने के बदले रिश्वत लेने का दोषी पाया गया. इस घोटाले के चलते उनकी वर्षों में बनाई गई साख और विरासत पर गंभीर सवाल खड़े हो गए.
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राणा कपूर Yes Bank के सह संस्थापक और पूर्व सीईओ रहे हैं. उन्होंने 2004 में Yes Bank की स्थापना की थी. बैंकिंग सेक्टर में उन्हें एक अनुभवी और प्रभावशाली बैंकर माना जाता था. लेकिन बाद में उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे. इन मामलों में उन्हें गिरफ्तार किया गया. अप्रैल 2024 में उन्हें जमानत जरूर मिल गई, लेकिन साल 2025 में भी उनके खिलाफ कानूनी मामले चल रहे हैं और उनकी मुश्किलें पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं.