भारत में डेली कितना यूज होता है पेट्रोल-डीजल-LPG ; युद्ध से किल्लत का कितना खतरा !

भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 फीसदी आयात करता है. होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) के ब्लॉक होने की स्थिति में भारत पर गहरा असर पड़ सकता है. यह भी संभव है कि देश में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी हो. चलिए जानते हैं कि भारत हर दिन कितना पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की खपत करता है और होर्मुज के बंद होने से भारत पर क्या असर पड़ेगा.

Daily use of lpg, disel, petrol in india Image Credit: Canva/ Money9

Strait of Hormuz Block: ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिकी हमले के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चर्चा तेज हो गई कि ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को ब्लॉक कर सकता है. ईरान की भौगोलिक स्थिति इसे रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बनाती है. अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) के अनुसार, 2024 और 2025 की पहली तिमाही में होर्मुज के रास्ते होने वाली तेल आपूर्ति वैश्विक समुद्री तेल व्यापार का एक‑चौथाई से अधिक और ग्लोबल ऑयल एंड पेट्रोलियम उत्पादों की खपत का लगभग पांचवां हिस्सा थी. यानी 25 फीसदी व्यापार इसी रास्ते से होता है. ऐसे में भारत जैसे देश, जो अपनी जरूरत का लगभग 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, पर इसका क्या असर होगा? आइए जानते हैं कि भारत में प्रतिदिन कितना पेट्रोलियम, लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (LPG) और डीजल की खपत होती है, और होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने की स्थिति में भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

रोजाना भारत में पेट्रोल, डीजल और LPG की खपत कितनी होती है?

भारत अपनी कच्चे तेल जरूरत का 85 फीसदी आयात करता है. यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, जहां केवल अमेरिका और चीन ही इससे आगे हैं. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एवं एनालिसिस सेल (PPAC) के अनुसार, इस साल मई महीने में भारत में 26,60,000 मीट्रिक टन एलपीजी, 85,93,000 मीट्रिक टन डीजल और 37,82,000 मीट्रिक टन पेट्रोल की खपत हुई. यानी रोजाना औसतन 89,000 मीट्रिक टन एलपीजी, 2,86,000 मीट्रिक टन डीजल और 1,26,000 मीट्रिक टन पेट्रोल की खपत हुई. भारत में आयातित कच्चे तेल का एक बड़ा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते आता है. इसलिए, होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने पर आयातित कच्चे तेल की सप्लाई प्रभावित होगी, जिससे देश में पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.

उत्पादमासिक खपत (मीट्रिक टन)रोजाना खपत (मीट्रिक टन)
एलपीजी26,60,00089,000
डीजल85,93,0002,86,000
पेट्रोल37,82,0001,26,000
Source – पेट्रोलियम प्लानिंग & एनालिसिस सेल

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होर्मुज के बंद होने से भारत पर क्या होगा असर?

ईआईए (EIA) का अनुमान है कि साल 2024 में होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर जाने वाले कच्चे तेल और कंडेनसेट का 84 फीसदी और एलपीजी का 83 फीसदी एशियाई बाजारों में पहुंचा है. इसमें भारत, चीन और जापान के बाजारों की हिस्सेदारी सबसे अधिक रही, जो 2024 में होर्मुज के सभी कच्चे तेल और कंडेनसेट प्रवाह का संयुक्त 69 फीसदी हिस्सा था. इसलिए, इसके बंद होने से भारत प्रभावित होगा, लेकिन भारत ने इसका विकल्प भी ढूंढ लिया है. भारत रूस, अमेरिका, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों से भी तेल खरीदता है, इसलिए ऐसा नहीं है कि उसे पर्याप्त तेल और गैस नहीं मिल पाएगी. समस्या कीमतों में उतार-चढ़ाव को लेकर होगी.

भारत ने निर्भरता घटाई

इस बढ़ते तनाव के बीच भारत ने रूस और अमेरिका से अपने कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ा दी है. वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म Kepler के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रिफाइनरियों ने जून में रूस से प्रतिदिन 2 से 2.2 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात किया, जो पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक है. वहीं अमेरिका से भी मई के 2,80,000 BPD की तुलना में जून में 4,39,000 BPD आयात हुआ है. इसके उलट भारत का मध्य पूर्व से कच्चे तेल का इम्पोर्ट जून में 2 मिलियन BPD रहा, जो मई की तुलना में कम है.

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