क्या होर्मुज स्ट्रेट बंद होने से भारत में मचेगी खलबली? सरकार ने किया साफ, बताया क्या होगा असर
ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव और अमेरिका के हमले के बाद होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की संभावना जताई जा रही है. यह वैश्विक तेल आपूर्ति के लिए अहम मार्ग है. भारत पर इसके प्रभाव को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बयान दिया है. इसी बीच भारत ने रूस और अमेरिका से तेल आयात बढ़ाया है, जिससे मध्य पूर्व पर निर्भरता घटी है.

Hormuz Strait: ईरान और इजरायल के बीच तनाव अपने चरम पर है. इसी बीच इसमें अमेरिका की भी एंट्री हो गई है. अमेरिका ने “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया है. इस हमले में ईरान के तीन प्रमुख परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया है. इसी बीच ईरान ने होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अब सवाल उठता है कि इसके बंद होने से भारत पर क्या असर पड़ेगा. इस घटनाक्रम पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का बयान सामने आया है. उन्होंने भारत पर संभावित असर को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
भारत पर क्या होगा प्रभाव
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और ईरान द्वारा होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की संभावना के बीच केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रविवार को आश्वस्त किया कि भारत की एनर्जी सप्लाई सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तेल इम्पोर्ट के स्रोतों में विविधता लाने के कारण इस संकट का भारत पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “हमने पिछले कुछ वर्षों में अपनी सप्लाई को डाइवर्सिफाई किया है और अब हमारी आपूर्ति का बड़ा हिस्सा होर्मुज स्ट्रेट से नहीं आता.”
क्यों महत्वपूर्ण है होर्मुज स्ट्रेट
होर्मुज स्ट्रेट फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के बीच स्थित एक संकरा समुद्री मार्ग है. यह वैश्विक तेल व्यापार का प्रमुख केंद्र है, जहां से दुनिया का लगभग 30 फीसदी तेल और एक-तिहाई LNG की सप्लाई होती है. यदि ईरान इसे बंद करता है, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. उन देशों पर इसका अधिक प्रभाव होगा, जो अपनी तेल आपूर्ति के लिए इस मार्ग पर निर्भर हैं.
भारत ने कैसे कम की निर्भरता
पुरी ने बताया कि भारत ने अपने तेल आयात के लिए वैकल्पिक मार्ग विकसित किए हैं और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास कई हफ्तों का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है. उन्होंने कहा, “हम अपने नागरिकों को ईंधन की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे.”
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ईरान-इजरायल तनाव पर नजर
मंत्री ने बताया कि भारत पिछले दो हफ्तों से ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव पर लगातार नजर बनाए हुए है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरानी संसद ने अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं पर हुए हमले (‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’) के बाद होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की मंजूरी दे दी है. हालांकि, अंतिम फैसला सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई की मंजूरी पर निर्भर करेगा.
भारत ने रूस से बढ़ाई तेल सप्लाई
इस बढ़ते तनाव के बीच भारत ने रूस और अमेरिका से अपने कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ा दी है. वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म Kepler के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रिफाइनरियों ने जून में रूस से प्रतिदिन 2 से 2.2 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात किया, जो पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक है. वहीं अमेरिका से भी मई के 280,000 BPD की तुलना में जून में 439,000 BPD आयात हुआ है. इसके उलट भारत का मध्य पूर्व से कच्चे तेल का इम्पोर्ट जून में 2 मिलियन BPD रहा, जो मई की तुलना में कम है.
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