ब्रिक्स के ‘नोट’ पर ताजमहल, जानें क्यों नाराज हो गए लोग

कई लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा कि भारत ताजमहल से बेहतर प्रतिनिधि सांस्कृतिक प्रतीक चुन सकता था. पुतिन ने कहा कि डॉलर ग्लोबल फाइनेंस में सबसे महत्वपूर्ण करेंसी बनी हुई है. लेकिन इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से मुद्रा में भरोसा कम होता है.

ब्रिक्स Image Credit: Twitter

रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में एक प्रतीकात्मक ब्रिक्स बैंकनोट का अनावरण किया गया. इस नोट के सामने आने के बाद ग्लोबल फाइनेंस को एक नया आकार देने की चर्चा की शुरुआत हो गई है. ब्रिक्स बैंकनोट पर ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के झंडे छपे हैं. नोट को ब्रिक्स देशों की सीमा पार लेन-देन में अमेरिकी डॉलर के विकल्प तलाशने की सामूहिक महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक बताया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में कहा कि हम ब्रिक्स देशों के बीच वित्तीय एकीकरण को बढ़ाने के प्रयासों का स्वागत करते हैं. स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और आसान सीमा पार लेनदेन हमारे आर्थिक सहयोग को मजबूत करेंगे. लेकिन ब्रिक्स के बैंकनोट पर ताजमहल की तस्वीर देख, सोशल मीडिया पर लोग भड़क उठे.

नोट पर ताजमहल की तस्वीर

दरअसल, ब्रिक्स में अनावरण किए गए प्रतीकात्मक बैंकनोट पर कई देशों की सांस्कृतिक से जुड़ी तस्वीरें थीं. नोट पर ईसा मसीह, चर्च, चीनी ड्रैगन और भारत के ताजमहल की तस्वीर छपी थी. ब्रिक्सबैंक नोट शुरू करने के कॉन्सेप्ट का स्वागत किया गया, लेकिन कुछ लोगों ने भारत के प्रतिनिधि प्रतीक के रूप में ताजमहल की तस्वीर पर आशंका व्यक्त की है और यह काफी विवाद और बहस का कारण बन रहा है.

कई लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा कि भारत ताजमहल से बेहतर प्रतिनिधि सांस्कृतिक प्रतीक चुन सकता था. विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई लोगों ने टिप्पणी की है कि ओम प्रतीक, अशोक चक्र, कोणार्क सूर्य मंदिर, मदुरै मीनाक्षी मंदिर जैसे प्रतीक बेहतर फिट होते.

सोशल मीडिया पर लोगों ने कुछ ऐसे रिएक्शन दिए हैं

पुतिन ने कहा विकल्प तैयार कर रहे हैं

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शिखर सम्मेलन में यह स्पष्ट कर दिया कि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर को पूरी तरह से खारिज नहीं कर रहे हैं, बल्कि अगर डॉलर तक पहुंच सीमित रहती है तो वे विकल्प तैयार कर रहे हैं. पुतिन ने कहा कि डॉलर ग्लोबल फाइनेंस में सबसे महत्वपूर्ण करेंसी बनी हुई है. लेकिन इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से मुद्रा में भरोसा कम होता है.

उन्होंने कहा कि ब्रिक्स डॉलर के खिलाफ नहीं लड़ेगा, लेकिन अगर स्थिति की जरूरत पड़ी तो वैकल्पिक तरीकों की तलाश करेगा. उन्होंने कहा कि अगर वे हमें रोकते हैं, तो हम विकल्प खोज लेंगे. उन्होंने ब्रिक्स द्वारा अपनाए जा रहे व्यावहारिक नजरिए को लेकर बात की. उन्होंने कहा क यह ब्रिक्स के भीतर एक अधिक स्वतंत्र आर्थिक सिस्टम स्थापित करने के बढ़ते प्रयास को उजागर करता है, जो पश्चिमी वित्तीय स्ट्रक्चर पर कम निर्भर है.

हालांकि, पीआईबी फैक्ट चेक ने कहा कि अभी इस बैंक नोट को कॉमन करेंसी के रूप में नहीं अपनाया गया है. यह एक प्रतीकात्मक ब्रिक्स बैंकनोट है.