Squid Game की तरह शुरू होता है ये खेल, बेरोजगार और स्टूडेंट्स सॉफ्ट टारगेट; अगले आप तो नहीं?

नेटफ्लिक्स की चर्चित सीरीज ‘स्क्विड गेम’का दूसरा सीजन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम कर रहा है. अगर आपने पहला सीजन भी देखा है तो गेम के नियम आपको बखूबी मालूम होंगे. पैसे की लालच में हर कोई खेल में शामिल हो जाता है लेकिन आखिरकार वह खेल जानलेवा साबित होता है. ऐसा ही एक खेल भारत में खेला जा रहा है.

भारत में आ गया ये 'जानलेवा' खेल Image Credit: Catherine Ivill - AMA/Getty Images

सोचिए, अगर ‘स्क्विड गेम’ जैसे काल्पनिक खेल असल जिंदगी में भी मौजूद हों! नेटफ्लिक्स की चर्चित सीरीज ‘स्क्विड गेम’ में बेरोजगार और जरूरतमंद लोगों को लालच देकर ऐसे खेल में शामिल किया जाता है, जहां हर कदम पर उनका जीवन दांव पर लगा होता है. यह फिक्शन था, लेकिन ‘Pig Butchering Scams’ जैसे साइबर अपराध ने इसे हकीकत बना दिया है.

‘पिग बुचरिंग स्कैम’ या ‘इन्वेस्टमेंट स्कैम’ में बेरोजगार युवा, हाउसवाइफ, स्टूडेंट्स और जरूरतमंद लोगों को सुनियोजित तरीके से शिकार बनाया जाता है. शुरुआत में उन्हें मामूली मुनाफा दिखाकर फंसाया जाता है, लेकिन धीरे-धीरे उनकी कमाई लूट ली जाती है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में जनता को इस खतरनाक ‘स्कैम’ से सतर्क रहने की चेतावनी दी है.

कहां से हुई ‘Pig Butchering Scam’ की शुरूआत?

‘Pig Butchering Scams’ की शुरुआत 2016 में चीन में हुई थी. इसे मैंडरिन भाषा में ‘Sha Zhu Pan’ कहा जाता है, जिसका मतलब है ‘सूअर को मारने का खेल.’ यह नाम इस प्रक्रिया से लिया गया है जिसमें जानवर को मारने से पहले उसे ज्यादा मोटा और मूल्यवान बनाया जाता है. इसी तरह, इस स्कैम में ठग पहले निवेशकों को छोटे-छोटे निवेश पर मुनाफा दिखाकर लालच देते हैं और फिर उनके बड़े निवेश को हड़प लेते हैं.

कैसे शिकार बनाते हैं ठग?

साइबर अपराधी सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स, गूगल सर्विस प्लेटफॉर्म, गूगल विज्ञापन और फेसबुक स्पॉन्सर्ड एड्स के जरिए शिकार से संपर्क करते हैं. पीड़ित को ‘दोस्ती’ का भरोसा देकर धीरे-धीरे उन्हें फर्जी ऑनलाइन ट्रेड्स और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के लिए प्रेरित किया जाता है. यह साइबर अपराध निवेशकों को फर्जी ऑनलाइन ट्रेड्स और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर फंसाता है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे अपराधी क्रिप्टो स्पेस की जटिलता और निवेशकों के तुरंत मुनाफे की इच्छा का फायदा उठाते हैं.

‘होस्ट’ या ठग फर्जी ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर निवेशकों को यह विश्वास दिलाते हैं कि वे लाभ कमा रहे हैं. इसके बाद वे निवेशकों को बड़े पैमाने पर निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. जब पीड़ित अपने पैसे निकालने का प्रयास करते हैं तो उन्हें पता चलता है कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं. अधिकांश लेनदेन ब्लॉकचेन के जरिए होते हैं, ऐसे में पैसा निकालना बेहद मुश्किल हो जाता है.

भारत में ऐसे कितने मामले सामने आए हैं?

नेशनल साइबरक्राइम थ्रेट एनालिटिकल यूनिट ने मार्च 2024 तक 37,500 से अधिक शिकायतें दर्ज की हैं, जिनमें 42 फीसदी शिकायतें व्हाट्सएप से संबंधित हैं. आंकड़ों के अनुसार, व्हाट्सएप के जरिए 14,746, टेलीग्राम के जरिए 7,651, इंस्टाग्राम के जरिए 7,152, फेसबुक के जरिए 7,051 और यूट्यूब के जरिए 1,135 धोखाधड़ी की गई हैं.

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मंत्रालय ने इसके बारे में अगाह करते हुए कहा कि यह अपराध एक वैश्विक समस्या है, जो बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर स्लेवरी से जुड़ी हो सकती है. सरकार गूगल के साथ साझेदारी कर संदिग्ध डिजिटल लेंडिंग ऐप्स को फ्लैग करने, फ्री होस्टिंग डोमेन के दुरुपयोग की रिपोर्टिंग और बैंकिंग मैलवेयर पर खुफिया जानकारी साझा कर रही है. भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर भी ऐसे अपराधों से निपटने के लिए क्षमता निर्माण पर काम कर रहा है.

खुद को ऐसे रखें सुरक्षित

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