IMF ने भारत के GDP डेटा को क्यों दिया ‘C’ ग्रेड? जानें क्या है नया AIDIS सर्वे
भारत की आर्थिक ग्रोथ को मापने वाले GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) डेटा को लेकर हाल ही में बड़ा सवाल खड़ा हुआ है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के नेशनल अकाउंट्स डेटा को ‘C’ रेटिंग दी है, जिसे औसत से नीचे माना जाता है. इस रेटिंग के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या भारत की GDP गणना पद्धति अब पुरानी हो चुकी है और क्या इसमें बदलाव की जरूरत है.
IMF की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की GDP कैलकुलेशन में इस्तेमाल होने वाला बेस ईयर और कुछ सर्वे डेटा समय के साथ अपडेट नहीं हुए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था की वास्तविक तस्वीर पूरी तरह सामने नहीं आ पाती. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार नए बेस ईयर के साथ GDP गणना प्रणाली में बदलाव की तैयारी कर रही है. नया बेस ईयर हालिया आर्थिक संरचना, उपभोक्ता व्यवहार और निवेश पैटर्न को बेहतर तरीके से दर्शाएगा.
इस बदलाव में AIDIS (All India Debt and Investment Survey) की अहम भूमिका होगी. यह सर्वे देश के घरों की आय, कर्ज, बचत और निवेश से जुड़ा विस्तृत डेटा देता है. इससे यह समझने में मदद मिलती है कि घरेलू कर्ज कितना बढ़ा है, लोग कहां निवेश कर रहे हैं और उनकी वित्तीय स्थिति कैसी है.
इस नए डेटा का असर सिर्फ नीति-निर्माताओं तक सीमित नहीं रहेगा. सरकार इसी आधार पर टैक्स, सब्सिडी, ब्याज दर और सामाजिक योजनाओं से जुड़े फैसले लेती है. यानी GDP डेटा में बदलाव का असर आपकी नौकरी, लोन, निवेश और महंगाई तक पर पड़ सकता है.