अनिल अंबानी की Reliance Defence बनाएगी गोला बारूद, जर्मन कंपनी Diehl Defence से हुई डील

अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली Reliance Defence और जर्मनी की Diehl Defence ने भारत में 155 मिमी वल्केनो प्रिसिजन गाइडेड म्युनिशन के उत्पादन के लिए 10,000 करोड़ रुपये के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. समझौते के तहत सेना और नौसेना के काम आने वाली तोपों के गोले भारत में बनाए जाएंगे.

Diehl के सीईओ के साथ अनिल अंबानी Image Credit: X/diehl

Make In India और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास जारी हैं. इसी सिलसिले में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस डिफेंस ने जर्मन कंपनी Diehl Defence के साथ लॉन्ग रेंज गाइडेड आर्टिलरी शेल बनाने के लिए समझौता किया है. रिलायंस डिफेंस असल में रिलायंस इन्फ्रा की सहायक कंपनी है. जर्मन कंपनी के साथ मिलकर यह कंपनी Vulcano Ammunition System का निर्माण करेगी.

रिलायंस इंफ्रा और जर्मन कंपनी Diehl दोनों ने इस सौदे की जानकारी दी है. जर्मनी कंपनी डाइहल डिफेंस ने बताया कि इस रणनीतिक समझौता के तहत वल्केनो 155 मिमी प्रेसिजन-गाइडेड म्यूनिशन सिस्टम का भारत में उत्पादन किया जाएगा. एक एडवांस्ड आर्टिलरी शेल है, जिसका इस्तेमाल जमीनी सेना और नौसेना कई तरह की तोंपों के लिए करती हैं. इससे लंबी दूरी तक अचूक निशाना लगाया जा सकता है.

क्या है Vulcano system?

डाइहल डिफेंस ने बताया कि इस सौदे के तहत Vulcano 155mm system का भारत में निर्माण किया जाएगा. असल में Vulcano Munition तोप यानी आर्टिलरी में इस्तेमाल होने वाले साधारण गोले की तरह नहीं होता है. बल्कि, इन्हें सटीक निशाना लगाने के लिए अत्याधुनिक लेजर और जीपीएस-गाइडेड बनाया जाता है. यह भारतीय रक्षा बलों के लिए ऐसी स्थिति में बेहद कारगर साबित होगा, जहां सटीकता से हमला करना अहम होता है.

क्या होगी रिलायंस की भूमिका?

रिलायंस डिफेंस भारत में डाइहल डिफेंस के लिए प्राइम कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर मैन्युफैक्चरिंग को लीड करेगी. वहीं, जर्मन कंपनी इसके लिए टेक्नोलॉजी और सिस्टम-लेवल की एक्स्पर्टीज मुहैया कराएगी. मैन्युफैक्चरिंग के लिए महाराष्ट्र के रत्नागिरी के वटद औद्योगिक क्षेत्र में एक नई ग्रीनफील्ड फैसिलिटी बनाई जाएगी, जो धीरूभाई अंबानी डिफेंस सिटी का हिस्सा होगी.

मेक इन इंडिया को क्या फायदा?

इस सौदे का फायदा दूसरे भारतीय कारोबारों को भी मिलेगा, क्योंकि 10 हजार करोड़ के इस समझौते के तहत गोला बारूद बनाने के लिए 50 फीसदी कच्चा माल भारत से ही खरीदा जाएगा. यह सौदा भारत सरकार के मेक इन इंडिया और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर किया गया है.

क्या बोले कंपनी के CEO?

डाइहल डिफेंस के सीईओ हेल्मुट रॉश ने कहा कि यह डिफेंस डील रिलायंस के साथ जारी हमारी साझेदारी को और गहरा करेगी. वहीं, अनिल अंबानी ने कहा कि हमें गाइडेड म्यूनिशन टेक्नोलॉजी में दुनिया की सबसे मशहूर कंपनियों में शामिल डाइहल डिफेंस के साथ साझेदारी करने पर गर्व है. यह रणनीतिक गठबंधन न केवल भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाएगा, बल्कि रिलायंस डिफेंस को ग्लोबल सप्लाई चेन में एक अहम खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करेगा.