टाटा ट्रस्ट्स में घमासान! बोर्ड मीटिंग से पहले अमित शाह से मिले नोएल टाटा और एन चंद्रशेखरन, क्या है मामला?

Tata Trusts में बढ़ते विवाद के बीच नोएल टाटा और एन चंद्रशेखरन ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से दिल्ली में मुलाकात की है. यह मुलाकात 10 अक्टूबर को होने वाली टाटा समूह की बोर्ड बैठक से ठीक पहले हुई है. बताया जा रहा है कि कई ट्रस्टी अधिक नियंत्रण चाहते हैं.

नोएल टाटा Image Credit: TV9 Bharatvarsh

10 अक्टूबर को टाटा समूह की बोर्ड बैठक होनी है. इस बैठक से ठीक पहले टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन मंगलवार शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिले हैं. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक यह बैठक टाटा ट्रस्ट्स में गवर्नेंस और बोर्ड अपॉइंटमेंट को लेकर चल रहे विवाद के बीच हुई है. वहीं, सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि मीटिंग में टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन वेनु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा भी मौजूद थे. यह मुलाकात शाह के दिल्ली स्थित आवास पर हुई, जहां वित्त मंत्री सीतारमण ने भी चर्चा में भाग लिया.

टाटा ट्रस्ट का इकोनॉमी पर असर

टाटा ट्रस्ट असल में टाटा सन्स में करीब 66 फीसदी हिस्सेदारी रखता है. टाटा सन्स टाटा समूह की तमाम कंपनियों की सबसे बड़ी हिस्सेदार है और सभी कंपनियों पर नियंत्रण रखती है. टाटा समूह का कुल मार्केट कैप करीब 180 अरब डॉलर से ज्यादा है, इसमें 400 कंपनियां शामिल हैं, जिनमें 30 लिस्टेड हैं. टाटा समूह का देश पर कितना असर है, इस बात का अंदाजा इससे लगता है कि टाटा समूह 11 लाख से ज्यादा कर्मचारियों के साथ देश में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा नियोक्ता है. वहीं, देश के कुल टैक्स रेवेन्यू में टाटा समूह का योगदान 2 फीसदी से ज्यादा है, जबकि GDP में हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी है. टाटा समूह की तमाम कंपनियों पर टाटा ट्रस्ट्स का नियंत्रण है. वहीं, इस ट्रस्ट पर नियंत्रण को लेकर ट्रस्टियों के बीच घमासान मचा है.

क्या है विवाद?

रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रस्ट के भीतर दो धड़े बन गए हैं. एक धड़ा नोएल टाटा के समर्थन में है, जिन्हें रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया. दूसरा धड़ा चार ट्रस्टीज का है, जिनकी अगुवाई मेहली मिस्त्री कर रहे हैं. मेहली का ताल्लुक शापूरजी पल्लोनजी परिवार से है, जो टाटा सन्स में करीब 18.37 फीसदी हिस्सा रखता है. मिस्त्री मानते हैं कि उन्हें अहम मामलों में शामिल नहीं किया गया और उन्हें टाटा सन्स बोर्ड के निर्णयों पर पर्याप्त जानकारी नहीं दी जा रही.

बोर्ड सीट्स पर टकराव

मुख्य विवाद टाटा सन्स के बोर्ड की सीट्स और गवर्नेंस स्ट्रक्चर को लेकर है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि ट्रस्टीज के बीच मतभेद ने टाटा ट्रस्ट्स और टाटा सन्स के बीच तनाव पैदा कर दिया है. इसकी वजह से टाटा समूह को चलाने वाले 156 साल पुराने ट्रस्ट की सुरक्षा और स्थिरता को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है.

सरकार की भूमिका और आगे का रास्ता

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार के सामने मुख्य सवाल यह है कि क्या वह किसी एक व्यक्ति को इस ग्रुप पर नियंत्रण लेने की अनुमति दे सकती है. टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज के बीच विवाद का असर टाटा सन्स के संचालन पर भी पड़ता है, जिसके नियंत्रण में पूरा टाटा समूह आता है. ऐसे में टाटा ट्रस्ट्स का विवाद पूरे देश के कॉर्पोरेट परिदृश्य पर असर डाल सकता है. ऐसे में इस मामले में सरकार मूकदर्शक बनकर नहीं बैठी रहना चाहती है. ट्रस्ट के इस विवाद को हल करने में सक्रिय भूमिका में है, ताकि देश की इकोनॉमी मे अहम योगदान देने वाले इस समूह की स्थिरता बनी रहे.