डॉक्टर-एमआर Nexus पर सरकार का एक्शन, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के सरकारी हॉस्पिटल में प्रवेश पर रोक
केंद्र सरकार ने मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स (एमआर) के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों से मिलने पर प्रतिबंध लगाया है. सरकार के अनुसार, यह कदम मरीजों के हितों की रक्षा और एथिकल स्टैंडर्ड को बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है. एमआर अक्सर अस्पताल परिसर में डॉक्टरों से मिलकर अपनी कंपनी की दवाओं को प्रिस्क्राइब करने के लिए डॉक्टरों को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे मरीजों को महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं.
केंद्र सरकार ने मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स (एमआर) के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों से मिलने पर प्रतिबंध लगाया है. सरकार के अनुसार, यह कदम मरीजों के हितों की रक्षा और एथिकल स्टैंडर्ड को बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है. अब कोई भी एमआर केंद्रीय सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों से नहीं मिल सकेगा.
DGHS का नया निर्देश
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों को निर्देशित किया है कि वे अस्पताल परिसर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स को प्रवेश की अनुमति न दें. यह आदेश पहले जारी निर्देशों के संदर्भ में ही है, जिसमें एमआर के अस्पतालों में प्रवेश पर रोक लगाई गई थी. DGHS ने संस्थानों के प्रमुख अधिकारियों को इस निर्देश का सख्ती से पालन करने के लिए कहा है.
क्यों लगा प्रतिबंध?
एमआर अक्सर अस्पताल परिसर में डॉक्टरों से मिलकर अपनी कंपनी की दवाओं को प्रिस्क्राइब करने के लिए डॉक्टरों को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे मरीजों को महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं. सरकार इस प्रकार के डॉक्टर और एमआर के बीच के नेक्सस को समाप्त करना चाहती है, ताकि मरीजों को उचित और किफायती उपचार मिल सके.
MR का काम क्या?
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स दवा कंपनियों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, जैसे डॉक्टरों और नर्सों, के बीच पुल की तरह काम करते हैं. वे नई दवाओं या मशीनों के बारे में जानकारी देते हैं और उन्हें प्रमोट करते हैं. इस प्रक्रिया में, एमआर डॉक्टरों को अपनी कंपनी की दवाएं प्रिस्क्राइब करने के लिए मोटिवेट करते हैं, जिससे कभी-कभी मरीजों को अनावश्यक और महंगी दवाएं लेनी पड़ती हैं. सरकार ने इस गठजोड़ को तोड़ने के लिए यह कदम उठाया है.
यह निर्णय मरीजों के हितों की रक्षा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
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