रेपो रेट में कटौती के बाद क्या चुने: FD या डेट फंड; जानें कहां कितना नफा-नुकसान?
RBI ने कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 1 फीसदी और रेपो रेट में 0.50 फीसदी की कटौती की. जिसका असर सीधा निवेशकों को इंवेस्टमेंट पर भी देखने को मिल सकता है. इंवेस्टमेंट प्लान भी पड़ता है. अब ऐसे में यही सवाल उठता है कि निवेशक, निवेश के लिए अब FD को चुनें या डेट म्यूचुअल फंड को?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में दो बड़े मौद्रिक फैसले लिए. कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में सितंबर तक 1 फीसदी की कटौती और रेपो रेट में 0.50 फीसदी की कमी. इन दोनों का मकसद बाजार में नकदी बढ़ाना और कर्ज को सस्ता बनाना था. इस फैसलों के बाद फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और डेट म्यूचुअल फंड की चर्चा तेज हो गई है. अब ऐसे में यही सवाल उठता है कि अब पैसा कहां लगाएं फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में या डेट म्यूचुअल फंड में?
CRR और रेपो रेट कटौती का असली असर क्या है?
CRR (Cash Reserve Ratio) में कटौती का मतलब है कि बैंकों को अब अपने जमा पैसों का छोटा हिस्सा ही रिजर्व बैंक के पास रखना होगा. इससे उनके पास ज्यादा पैसा बचेगा जिसे वो लोन देने या निवेश करने में इस्तेमाल कर सकते हैं. रेपो रेट कटौती का मतलब है कि बैंक अब RBI से सस्ते में लोन ले सकते हैं. जब बैंकों का उधार लेना सस्ता हो जाता है, तो वे भी ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन देने लगते हैं.
FD या डेट फंड?
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)
- FD निवेश का पुराना तरीका है जिसे आमतौर पर सेफ माना जाता है.लेकिन अब उसकी ब्याज दरों में गिरावट का दौर है
- ब्याज दरों में गिरावट: बैंक अब ज्यादा ब्याज नहीं देंगे क्योंकि उनके पास नकदी बढ़ने वाली है
- टैक्स का असर: FD से मिलने वाला ब्याज आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता है.
- रियल रिटर्न नेगेटिव: अगर FD पर 7 फीसदी ब्याज मिल रहा है और आप 30 फीसदी टैक्स स्लैब में हैं, तो टैक्स कटने के बाद रिटर्न सिर्फ 4.9 फीसदी के आसपास होगा. जबकि महंगाई करीब 5.1–5.3 फीसदी चल रही है. यानी आपका पैसा असल में बढ़ नहीं रहा.
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डेट म्यूचुअल फंड
- डेट फंड ऐसे फंड होते हैं जो सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड और अन्य फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. इनकी खास बात यह है कि ये ब्याज दरों में बदलाव से सीधे प्रभावित होते हैं.
- ब्याज दर में कटौती का फायदा: जब RBI ब्याज दर घटाता है, तो पुराने बॉन्ड की कीमत बढ़ जाती है. डेट फंड इनसे फायदा कमाते हैं.
- NAV में बढ़त: बॉन्ड की कीमतें बढ़ने पर फंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) भी बढ़ती है.
- टैक्स में राहत: अगर आप डेट फंड में 3 साल या उससे ज्यादा निवेश करते हैं, तो आपको इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. यानी महंगाई के अनुसार टैक्स कम देना पड़ता है.
किसे चुनें?
यदि आपको पैसे की पूरी सेफ्टी चाहते हैं और आप रिस्क नहीं लेना चाहते, तो FD आपके लिए सही हो सकता है. वहीं, आप महंगाई को मात देना चाहते हैं, थोड़ा-बहुत मार्केट रिस्क सह सकते हैं और टैक्स में भी फायदा चाहते हैं, तो डेट फंड बेहतर विकल्प हो सकता है.
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