Azad Engineering और Unimech Aerospace & Manufacturing दो ऐसी कंपनियां हैं, जिन पर बाजार की नजर टिकी हुई है. दोनों ने अपने-अपने सेगमेंट में मजबूत उपस्थिति बनाई है और दोनों ही तेजी से क्षमता बढ़ाने में लगी हैं. निवेशक यह जानना चाहते हैं कि आने वाले वर्षों में एयरोस्पेस सप्लाई चेन में ज्यादा बड़ा खिलाड़ी कौन बन सकता है.
Greenlam Industries में दिन की सबसे बड़ी संस्थागत हलचल दिखी. DSP Mutual Fund ने 28.02 लाख शेयर, यानी 1.10 प्रतिशत हिस्सेदारी, रुपये 243.5 प्रति शेयर पर खरीदे. इसके ठीक उलट, HDFC Mutual Fund ने 26.25 लाख शेयर, यानी 1.03 प्रतिशत हिस्सेदारी, उसी कीमत पर बेच दी.
मंगलवार को भी IndiGo का शेयर 2 फीसदी गिरकर रुपये 5,595.50 पर बंद हुआ था. एक हफ्ते में शेयर 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है. हालांकि, पिछले छह महीनों में इसमें 2 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त भी देखने को मिली है. कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक स्टॉक 20 फीसदी से ज्यादा ऊपर रहा है. 5 दिसंबर तक इसके शेयरों का भाव 5282.50 रुपये था.
ओपनिंग में BSE सेंसेक्स 79 अंक या 0.09 प्रतिशत फिसलकर 85187 पर था, जबकि निफ्टी 12 अंक या 0.05 प्रतिशत नीचे 26021 के स्तर पर ट्रेड कर रहा था. ब्रॉडर मार्केट में निफ्टी मिडकैप इंडेक्स 0.09 प्रतिशत कमजोर रहा और निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स 0.29 प्रतिशत गिरा.
कई कंपनियां अभी भी अपनी 52-वीक हाई से 20 फीसदी से 32 फीसदी तक नीचे ट्रेड कर रही हैं, जिससे मजबूत वैल्यू पर खरीदारी का मौका बन रहा है. सेमीकंडक्टर डिमांड में सुधार, घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर जोर और MNCs के भारत की ओर झुकाव के बीच ये स्टॉक्स आने वाले क्वार्टर्स में रडार पर रह सकते हैं.
Shukra Pharma ने पिछले कुछ वर्षों में निवेशकों को चौंका देने वाले रिटर्न दिए हैं. पिछले तीन साल में इस स्टॉक ने लगभग 4,600 प्रतिशत रिटर्न दिया है, जबकि पांच साल में यह आंकड़ा 21,500 प्रतिशत तक पहुंच गया. यानी छोटी रकम को भी इस स्टॉक ने कई गुना बढ़ाया है, और इसी वजह से यह पेनी स्टॉक अब मार्केट में एक मजबूत मल्टीबैगर के रूप में पहचाना जा रहा है.
शेयर बाजार में आज कई कंपनियां खबरों में रहने वाली हैं. कहीं बड़े ऑर्डर मिले हैं, तो कहीं प्रमोटर एक्टिविटी, फंड रेजिंग, नई डील्स और ओपन ऑफर की वजह से ट्रेडर्स इन स्टॉक्स पर नजर बनाए रखेंगे. आइए जानते हैं कौन से स्टॉक्स आज की ट्रेडिंग में फोकस में रहेंगे.
भारत से सीधे US में बने म्युचुअल फंड्स खरीदना संभव तो है, लेकिन नियमों और प्रोसेस की वजह से यह काफी कठिन माना जाता है. भारतीय निवेशकों के लिए ज्यादा आसान तरीका यह है कि वे उन इंडियन म्युचुअल फंड्स में निवेश करें जो फीडर फंड या ETF के जरिए ग्लोबल मार्केट में पैसा लगाते हैं.
प्री-ओपन के दौरान सभी ऑर्डर एक कॉल ऑक्शन पूल में जमा होते हैं. सिस्टम उस कीमत को ओपनिंग प्राइस बनाता है जहां अधिक से अधिक वॉल्यूम मैच हो सके. जो लिमिट ऑर्डर मैच नहीं होते, वे सीधे नॉर्मल सेशन में ले जाए जाते हैं. मैचिंग के दौरान ऑर्डर में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता.
गुरुवार को रुपया लुढ़ककर 90.43 के नए ऑल-टाइम लो पर गया. बड़े स्तर पर विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने रुपये पर सीधा दबाव डाला. इसके अलावा, आयात करने वाले की ओर से लगातार डॉलर खरीद ने भी मांग बढ़ा दी, जिससे रुपये में कमजोरी गहराती चली गई.