VI के यूजर को देर से मिल सकती है सैटेलाइट कम्यूनिकेशन सुविधा, JIO और एयरटेल इस रेस में आगे
Vodafone Idea (Vi) ने AST SpaceMobile के साथ भारत में सैटेलाइट-आधारित डायरेक्ट-टू-मोबाइल कनेक्टिविटी शुरू करने की योजना बनाई है. लेकिन AST को नियामक और कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सेवा में देरी हो सकती है. विश्लेषकों का कहना है कि यह समझौता तब तक लटका रहेगा जब तक DoT और TRAI स्पेक्ट्रम के साझा उपयोग और लीज के लिए स्पष्ट नियम नहीं लागू करते.
Satellite Communication: Vodafone‑Idea (Vi) ने हाल ही में AST (AST SpaceMobile) के साथ साझेदारी की है ताकि सैटेलाइट‑आधारित डायरेक्ट‑टू‑मोबाइल कनेक्टिविटी सर्विस की शुरुआत की जा सके. लेकिन अब AST को रेगुलेटरों के साथ कानूनी दांव‑पेंच का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें कई नियामक और पॉलिसी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे इस सेवा की शुरुआत में काफी देरी हो सकती है. विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता तब तक अटका रहेगा जब तक दूरसंचार विभाग (DoT) और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) हाइब्रिड सैटेलाइट‑टेरेस्ट्रियल नेटवर्क के लिए स्पेक्ट्रम साझा करने और लीज पर देने संबंधी नियम स्पष्ट रूप से नहीं बनाते. वर्तमान में भारत में स्पेक्ट्रम को सैटेलाइट सेवा के लिए लीज पर देने या साझा करने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए इस पहल को आगे बढ़ने में समय लग सकता है.
Jio एयरटेल से अलग होगा VI का सैटेलाइट कम्युनिकेशन
18 जून को हुए इस पार्टनरशिप को सैटेलाइट कम्यूनिकेशन के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है. इसका उद्देश्य अंतरिक्ष आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से स्मार्टफोन को सीधे ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देना है. भारती एयरटेल और जियो ने भी हाल ही सैटेलाइट कम्यूनिकेशन फैसिलिटी मुहैया कराने के लिए एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के साथ एग्रीमेंट किया है. जियो और एयरटेल छतों पर लगने वाले फिक्सड वायरलेस एक्सेस (FWA) के माध्यम से सेवा शुरू करने की योजना बना रही है. लेकिन वोडाफोन आइडिया-एएसटी इस तरह के किसी भी इक्विपमेंट की जरूरत को खत्म करना चाहती है, जिसे घर के छतों पर लगाने की जरूरत हो.
ब्रॉडबैंड के लिए Ku, Ka, Q और V का करें इस्तेमाल – TRAI
यह मॉडल AST स्पेसमोबाइल पर निर्भर करता है जो वोडाफोन-आइडिया के मौजूदा टेलकॉम स्पेक्ट्रम का उपयोग करता है जैसे कि 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz और 2500 MHz बैंड. सैटेलाइट के माध्यम से मोबाइल कवरेज को उन दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंचाना है, जहां वोडाफोन के पास टेरेस्ट्रियल कवरेज नहीं है. हालांकि, इस स्पेक्ट्रम का लाइसेंस वर्तमान में केवल टेरेस्ट्रियल उपयोग के लिए है. इसके बजाय, रेगुलेटर ने ब्रॉडबैंड के लिए हायर फ्रीक्वेंसी वाले Ku, Ka, Q और V बैंड और नैरोबैंड मोबाइल सेवाओं के लिए L और S बैंड का उपयोग करने की सलाह दी है.
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