कार चलाते वक्त नहीं होगी पंचर! बस रखना होगा डैशबोर्ड में बने TPMS पर नजर, जानें कैसे करता है काम

क्या कभी टायर पंचर या फटने की वजह से सफर में रुकना पड़ा है? अब इस परेशानी से बचाएगा TPMS यानी टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम, जो टायर की हवा की रियल टाइम जानकारी देता है. डायरेक्ट और इनडायरेक्ट दो प्रकारों में आने वाला यह सिस्टम गाड़ी की सुरक्षा, माइलेज और टायर की उम्र बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है.

क्या है टीपीएमएस, कैसे करता है ये सिस्टम काम? Image Credit: @Money9live

What is TPMS and How it Works: क्या आपने कभी सफर के दौरान अचानक टायर पंचर होने या टायर फटने जैसी समस्या का सामना किया है? यह ना सिर्फ परेशानी भरा होता है बल्कि खतरनाक भी साबित हो सकता है. इससे डील करने के लिए आजकल गाड़ियों में एक स्मार्ट फीचर आ रहा है जिसका नाम TPMS यानी टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम है. इसकी मदद से ड्राइवर को टायर के प्रेशर की रियल टाइम जानकारी मिलती रहती है. TPMS एक सेफ्टी फीचर है जो ड्राइवर को समय रहते बताता है कि किस टायर में हवा कम है या ज्यादा. इससे वाहन की परफॉर्मेंस, ईंधन की खपत और सबसे बढ़कर आपकी सुरक्षा पर सिक्योरिटी का नया लेयर चढ़ जाता है.

TPMS कैसे करता है काम?

TPMS में लगे सेंसर लगातार टायर के अंदर की हवा के दबाव (Air Pressure) और तापमान को मापते हैं. इसके लिए टायर अंदर लगे सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे ही किसी टायर में प्रेशर तय सीमा से कम या अधिक होता है सेंसर यह सूचना गाड़ी के ऑनबोर्ड कंप्यूटर या डैशबोर्ड पर भेज देता है. इसके बाद वाहन चालक को एक वार्निंग लाइट, अलार्म या डिजिटल मैसेज के जरिए वार्न कर दिया जाता है. इसी जानकारी के आधार पर ड्राइवर वार्निंग की दिशा में काम करता है.

TPMS के प्रकार

TPMS के दो प्रकार के होते हैं, पहला डायरेक्ट टीपीएमएस और दूसरा इनडायरेक्ट टीपीएमएस. एक-एक कर इसके बारे में समझते हैं.

डायरेक्ट TPMS- इस तकनीक में हर टायर के अंदर एक छोटा सा प्रेशर सेंसर लगाया जाता है. यह सेंसर वायरलेस तरीके से ECU (Electronic Control Unit) को सटीक जानकारी भेजता है. यह सिस्टम न केवल प्रेशर बताता है बल्कि टायर का टेंपरेचर की भी जांच कर सकता है. इसकी सटीकता बहुत ज्यादा होती है.

इनडायरेक्ट TPMS- यह सिस्टम टायर के रोटेशन के आधार पर काम करता है. अगर किसी टायर का प्रेशर कम हो जाए तो वह बाकी टायरों की तुलना में थोड़ा अलग घूमता है. ABS (Anti-lock Braking System) और Wheel Speed Sensor के जरिए यह सिस्टम फर्क पहचानता है और अलर्ट भेजता है.कीमत में ये सस्ता जरूर होता है लेकिन डायरेक्ट TPMS की तरह उतना सटीक नहीं होता.

TPMS के फायदे क्या हैं?

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सभी गाड़ियों में होता है TPMS?

भारत में यह सुविधा अभी हर गाड़ी में नहीं आती, लेकिन कई नई SUV, सेडान और इलेक्ट्रिक गाड़ियों में यह फीचर अब स्टैंडर्ड बन रहा है. इसके अलावा, आफ्टरमार्केट TPMS किट्स भी बाजार में उपलब्ध हैं जिन्हें पुरानी गाड़ियों में भी फिट किया जा सकता है. इनमें स्मार्टफोन से कनेक्ट होने वाले वायरलेस सेंसर भी आते हैं जो ब्लूटूथ से अलर्ट भेजते हैं.