Gold खरीदना है, तो जमा कर लो पैसे, भाव होने वाला है धड़ाम, इतना सस्ता हो जाएगा सोना!

सोना खरीदने वाले लोगों के लिए अगले कुछ महीने में बड़ा मौका बन सकता है. अमेरिकी फर्म मॉनिंगस्टार के बाद अब दूसरे ब्रोकरेज और फंड हाउस की तरफ से सोने के दाम धड़ाम होने का अनुमान लगाया जा रहा है. अगर आप भी सोना खरीदना चाहते हैं, तो इस मौके लिए तैयार रहें. फिलहाल, यहां जानें सोना कितने दिन में कितना नीचे जा सकता है?

सोने में मॉनिंग्स्टार ने भी बड़ी गिरावट का अनुमान लगाया है Image Credit: money9live

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान की वजह से इस साल जनवरी से अप्रैल तक दुनियाभर के शेयर बाजार दबाव में रहे. इस दौरान सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की जमकर खरीदारी हुई. इसका नतीजा यह हुआ कि सोना ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया. लेकिन, जैसे-जैसे ट्रंप के टैरिफ प्लान की हवा निकल रही है, सोने के भाव में नरमी का रुख लौट रहा है.

कितना गिर सकता है दाम?

सोने की मांग और आपूर्ति जैसे पहलुओं को लेकर मॉर्निंगस्टार ने पहले ही दावा किया है कि सोने के दाम में बड़ी गिरावट हो सकती है. अगर भारतीय बाजार में देखें, जो इसका भाव 1 लाख प्रति 10 ग्राम से घटकर 55-60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम की रेंज में आ सकता है.

क्या है नया अनुमान?

अब क्वांट म्यूचुअल फंड ने भी इस यह अनुमान जाहिर किया है कि आने वाले कुछ महीनों के भीतर सोने की कीमत में 12 से 15 फीसदी की गिरावट हो सकती है. ET की एक रिपोर्ट क्वांट के मुताबिक अगले दो महीनों में सोने की कीमतों में 12-15% तक की गिरावट आएगी. क्वांट का दावा है कि वैश्विक इक्विटी बाजारों में चुनौतियां बनी रहेंगी, जबकि क्रिप्टोकरेंसी में मध्यम अवधि का दृष्टिकोण सकारात्मक है.

कहां करें निवेश?

क्वांट म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को चेतावनी देते हुए कहा है कि सोना अपने शिखर पर पहुंच चुका है और अगले दो महीनों में डॉलर के लिहाज से इसमें 12-15% तक गिरावट आने की संभावना है. हालाकि, मिडियम और लॉन्गटर्म में गोल्ड कोई बहुत बड़ी गिरावट नहीं दिखेगी. शॉर्ट टर्म के लिए क्वांट की रिपोर्ट में बिटकॉइन में निवेश की सलाह दी है.

क्या बाजार में आ सकती है गिरावट?

ग्लोबल लेवल पर शेयर बाजारों पर अपना नजरिया रखते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि शॉर्ट टर्म में बाजार में एक पुलबैक दिख सकता है, लेकिन मीडियम टर्म में यह काम करता नहीं दिख रहा है. वहीं, लॉन्ग टर्म में ग्लोबल इक्विटी मार्केट के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है.