दिल की बीमारी अब बड़ी टेंशन! 5 साल में दवाइयों की मांग 50 फीसदी तक बढ़ी; जानें किनकी मांग ज्यादा

पिछले कुछ सालों में भारत में दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं. इसका असर फार्मा सेक्टर पर भी दिख रहा है. जून 2021 से जून 2025 के बीच हार्ट दवाओं की बिक्री 50 फीसदी तक बढ़ गई है. डॉक्टरों के मुताबिक, बढ़ती उम्र, खराब जीवनशैली, तनाव और बेहतर जागरूकता इसके मुख्य कारण हैं.

भारत में बढ़ रहे हैं हार्ट संबंधित मामले? Image Credit: @AI/Money9live

Heart Diseases and Medicine Demand Surges: भारत में दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हर दिन किसी न किसी की मौत हार्ट अटैक या दूसरे हृदय रोगों के कारण होने की खबरें आ रही हैं. इसका सीधा असर दवाइयों के बाजार पर भी दिख रहा है. पिछले 5 सालों में हार्ट की दवाओं की बिक्री में 50 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. लेकिन असल सवाल ये है कि अचानक आखिर ऐसा क्या हुआ कि हार्ट से संबंधित दवाइयों या कह लें कि इससे जुड़ी बीमारियों में इतनी तेजी से बढ़ोतरी हुई.

हार्ट की दवाओं की बिक्री में जबरदस्त उछाल

टाइम्स ऑफ इंडिया ने फार्मारैक की एक हालिया रिपोर्ट के हवाले से बताया कि जून 2021 से जून 2025 के बीच भारत में कार्डियक दवाओं की बिक्री 1,761 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,645 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. यानी हर साल औसतन 10.7 फीसदी की दर से इस क्षेत्र में ग्रोथ हो रही है. ये आंकड़े देश की 17 बड़ी फार्मा कंपनियों से मिले हैं, जो इस बाजार का आधे से ज्यादा हिस्सा संभालती हैं.

आखिर क्यों बढ़ रही है हार्ट दवाओं की खपत?

रिपोर्ट के मुताबिक, हार्ट की दवाइयों में हुई बढ़ोतरी को लेकर डॉक्टरों का मानना है कि इसके कई कारण हैं-

कौन सी दवाएं सबसे ज्यादा बिक रही हैं?

हार्ट की दवाएं अब केवल कोलेस्ट्रॉल घटाने तक सीमित नहीं हैं. अब हार्ट फेलियर, अनियमित धड़कनों और सीने के दर्द के इलाज के लिए भी दवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है. इसके लिए इन दवाइयों की मांग बढ़ी है-

सेलिब्रिटीज की मौत और बढ़ती सतर्कता

हाल के कुछ सालों में कई नामी हस्तियों और फिटनेस के शौकीन युवाओं की हार्ट अटैक से मौत ने लोगों को और सतर्क कर दिया है. डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में हार्ट अटैक के पीछे कोई एक वजह नहीं होती. यह तनाव, खराब आदतें और जीवनशैली का मिलाजुला असर होता है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में कुल मौतों का 63 फीसदी हिस्सा Non-Communicable Diseases यानी NCDs का है. इनमें से 27 फीसदी मौतें दिल की बीमारियों के कारण होती हैं.

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