पटरी पर लौट रहे भारत-कनाडा के रिश्ते, राजदूत बहाल करने पर बनी सहमति; जी-7 में ऐसे बनी बात
G7 सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी और कनाडा के पीएम मार्क कार्ने की पहली मुलाकात में रिश्तों की बहाली, उच्चायुक्तों की वापसी और EPTA-CEPA जैसे व्यापार समझौतों पर फिर से चर्चा शुरू करने का फैसला लिया है. दोनों देशों ने क्लाइमेट एक्शन, ऊर्जा सहयोग और इंडो-पैसिफिक में साझेदारी पर भी सहमति जताई है.
India-Canada Diplomatic Talks 2025: करीब दो साल से चल रही कूटनीतिक तनातनी के बाद भारत और कनाडा ने रिश्तों में सामान्य स्थिति की ओर पहला कदम बढ़ा दिया है. दरअसल यह तनाव उस वक्त गहराया था जब एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या के मामले में कनाडा ने भारत पर उंगली उठाई थी. लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्ने (Mark Carney) ने जी7 सम्मेलन के मौके पर द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें कई अहम समझौते हुए. बैठक में दोनों नेताओं ने उच्चायुक्तों की जल्द वापसी और रुकी हुई व्यापार वार्ताओं को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है. इस दौरान उन्होंने यह भी स्वीकारा कि द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए म्यूचुअल रिस्पेक्ट यानी कि एक-दूसरे की संवेदनाओं और चिंताओं का सम्मान जरूरी है. इसके साथ ही आम लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया.
वहीं विदेश सचिव विक्रम मिस्री के मुताबिक, 40 मिनट की इस बैठक को सकारात्मक माना गया है. दोनों देशों ने भरोसा बहाली के लिए सीनियर लेवल की व्यापार वार्ताओं के साथ-साथ मंत्रीस्तरीय और दूसरी कार्य-स्तरीय बातचीत फिर से शुरू करने का संकल्प लिया है.
नहीं उठा खलिस्तान का मुद्दा
हालांकि बैठक में सुरक्षा चिंताओं पर भी चर्चा हुई, जैसे कि भारत की ओर से ओटावा से भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की अपेक्षा. लेकिन इसे सार्वजनिक रूप से जाहिर नहीं किया गया ताकि खालिस्तान मुद्दा बैठक का मुख्य विषय न बन पाए. यह बैठक दोनों नेताओं के बीच पहली सीधी मुलाकात थी. कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्ने ने ट्रांसनेशनल क्राइम और दमन पर चिंता जताई, जो कनाडा के लिए जी7 में एक बड़ी प्राथमिकता रही है. लेकिन इसमें हारदीप सिंह निज्जर की हत्या का कोई सीधा जिक्र नहीं किया गया, जिस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया था.
EPTA और CEPA पर फिर से बातचीत की हुई शुरुआत
इसके अलावा दोनों नेताओं ने भारत-कनाडा संबंधों की महत्ता को दोहराया है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और संप्रभुता-संपत्ति की अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित है. नेताओं ने यह भी माना कि अर्ली प्रोग्रेस ट्रेड एग्रीमेंट (EPTA) पर रुकी हुई वार्ताओं को फिर से शुरू करना जरूरी है ताकि कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (CEPA) का रास्ता बन सके. दोनों ने इस दिशा में अपने अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपने पर सहमति भी जताई है. बता दें साल 2023 में जब द्विपक्षीय संबंध तनाव में थे, तब कनाडा ने इन वार्ताओं से खुद को अलग कर लिया था. हालांकि ओटावा के बयान में व्यापार वार्ता का जिक्र नहीं था, लेकिन आर्थिक साझेदारी, सप्लाई चेन और ऊर्जा संक्रमण जैसे मुद्दों की चर्चा की गई.
संबंधों में होगा फिर से सुधार
पिछले साल ट्रूडो सरकार ने भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और कई दूसरे भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था, जिसके जवाब में भारत को भी ऐसी ही कार्रवाई करनी पड़ी. भारत ने शुरू से यह स्पष्ट किया था कि यह ट्रूडो और उनकी वोटबैंक की राजनीति थी, जिसने संबंधों को बिगाड़ा है. अब दोनों देशों ने नए वरिष्ठ राजनयिकों की पहचान कर ली है और वे जल्द ही अपना कार्यभार संभालेंगे. कनाडा के अनुसार, इससे दोनों देशों के नागरिकों और व्यवसायों को नियमित सेवाएं दोबारा मिलने लगेंगी.
क्लाइमेट चेंज पर मिलकर करेंगे काम
भारत और कनाडा अब जलवायु परिवर्तन, समावेशी विकास और सतत विकास जैसे वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम करेंगे. दोनों ने मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता भी दोहराई है. वहीं विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि नेताओं ने कनेक्टिविटी, जन-जन के संबंध और स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, खाद्य सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग को फिर से शुरू करने की बात पर सहमति जताई है.
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