कर्ज में बड़े शहरों की हिस्सेदारी घटी, पांच साल में घटकर 58.7 फीसदी हुई : रिजर्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक देश में पिछले पांच वर्ष के दौरान बैंकों की तरफ से जारी किए गए कर्ज में बड़े शहरों की हिस्सेदारी कम हो गई है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक पांच वर्ष में महानगरों की कर्ज में हिस्सेदारी घटकर 58.7 फीसदी रह गई है.

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Reserve Bank Report: रिजर्व बैंक ने देश के व्यावसायिक बैंकों की तरफ से बांटे गए कर्ज पर आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्ष में बैंक कर्ज के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है. बड़े शहरों की कुल कर्ज में हिस्सेदारी कम हो रही है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले पांच वर्षों में बैंकों की तरफ से जारी कर्ज में महानगरों की हिस्सेदारी घटकर 58.7% रह गई है. जबकि, पांच साल पहले यह हिस्सेदारी 63.5 फीसदी थी.

कर्ज में क्यों घट रही शहरों की हिस्सेदारी?

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि कर्ज के इस पैटर्न में बदलाव के पीछे असल में ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हो रहा विकास है. इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां तीव्र हुई हैं, जिससे कर्ज की हिस्सेदारी में भी बढ़ोतरी हो रही है.

जमा करने में कौन आगे?

कर्ज में भले ही बड़े शहरों की हिस्सेदारी घट रही है. लेकिन, बैंकों में रकम जमा कराने के मामले में बड़े शहर आगे हैं. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक जमा के मामले में महानगरों में अभी भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि जमाराशि में महानगरीय क्षेत्रों में स्थित बैंक शाखाओं ने मार्च, 2025 में 11.7 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर्ज की है. वहीं, ग्रामीण केंद्रों 10.1 फीसदी, अर्द्ध शहरी केंद्रों में 8.9 फीसदी और शहरी केंद्रों में 9.3 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है.

कर्ज और जमा दोनों की ग्रोथ का क्या हाल?

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 में बैंकों के कुल कर्ज में वृद्धि घटकर 11.1 फीसदी रह गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 15.3 फीसदी रही थी. इसके अलावा इस अवधि में कुल जमा की ग्रोथ भी कम हुई है, जो घटकर 10.6 प्रतिशत रह गई है, जबकि 2023-24 में यह ग्रोथ 13 फीसदी रही थी.

क्यों घटी बैंक के सेविंग अकाउंट में जमा की ग्रोथ?

रिपोर्ट में बताया गया है कि फिक्स्ड डिपोजिट की ऊंची जमा दरों के कारण बचत खातों में जमा की हिस्सेदारी घटकर 29.1 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले 30.8 प्रतिशत और दो साल पहले 33 प्रतिशत थी. आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में सभी बैंक समूहों के कर्ज की ग्रोथ में गिरावट देखी गई है.