बाजार की तेजी से रहें सावधान! रिजर्व बैंक ने बताईं तीन बड़ी वजहें, जिनसे लग सकता है जोरदार झटका
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता को लेकर रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कई चिंताएं जाहिर की हैं. खासतौर पर शेयर बाजार के निवेशकों को रिपोर्ट की फाइंडिंग्स पर गौर करना, चाहिए क्योंकि रिपोर्ट में उन वजहों को बताया गया है, जिनसे वित्तीय बाजार को अचानक झटका लग सकता है, जिसका असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है.
RBI Financial Stability Report: रिजर्व बैंक ने सोमवार 30 जून को फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ ही फाइनेंशियल और इक्विटी मार्केट से जुड़ी चिंताओं को उजागर किया है. केंद्रीय बैंक ने अपनी नीति में बदलाव और बदलते वैश्विक राजनीतिक माहौल के कारण सरकारी बॉन्ड मार्केट पर विशेष ध्यान देते हुए भारतीय बाजार को लेकर चिंता जाहिर की है. चूंकि इक्विटी और फाइनेंशियल मार्केट आपस में गुंथे हुए हैं. ऐसे में फाइनेंशियल मार्केट की अस्थिरता का असर इक्विटी मार्केट पर भी हो सकता है.
इन तीन वजहों से झटका संभव
रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, वित्तीय बाजार अस्थिर बने हुए हैं, खासकर कोर सरकारी बॉन्ड मार्केट में बदलती नीतियों और वैश्विक राजनीतिक माहौल के कारण अस्थिरता बनी हुई है. रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ते सार्वजनिक कर्ज, इन्फ्लेटेड एसेट वैल्यूएशन, और वैश्विक राजनीतिक तनावों की वजह से भारतीय बाजार को अचानक झटका लग सकता है. इसके साथ ही रिपोर्ट में सरकारी बॉन्ड मार्केट की अस्थिरता को भी रेखांकित किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है, लेकिन वैश्विक जोखिमों से सावधानी बरतने की जरूरत है.
अनुमान से ज्यादा सार्वजनिक कर्ज
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्रीय बजट के आंकड़ों से पता चला है कि भारत का सार्वजनिक कर्ज वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत में 196.78 लाख करोड़ को पार कर जाएगा, जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंत में इसके लिए संशोधित अनुमान 181.74 लाख करोड़ रुपये का रखा गया था.
NBFC पर जताई चिंता
रिजर्व बैंक ने इस रिपोर्ट में NBFC सेक्टर में बहुत ज्यादा जोखिम उठाए जाने पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे इकोनॉमी की कमज़ोरियां बढ़ रही हैं, जो संभावित रूप से वित्तीय बाजार को झकझोर सकती हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश विकास और मुद्रास्फीति के बीच से निकल रहा है, ऐसे में मौद्रिक नीति के लिए अलग-अलग ट्रैजेक्टरी पर काम करना जरूरी है.
मजबूत स्थिति में इकोनॉमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल इकोनॉमी से जुड़ी तमाम चुनौतियों के बीच भारत की इकोनॉमी मजबूत बनी हुई है. भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ व्यापक रूप से बुनियादी आर्थिक सिद्धांतों के साथ-साथ देश की व्यापक आर्थिक नीतियों के बल पर जारी है. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्वस्थ गति से आगे बढ़ रही है, जो मुद्रास्फीति में लगातार कमी के साथ मिलकर व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए जरूरी है.
झेल लेंगे टैरिफ का झटका
रिजर्व बैंक ने रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया है कि भारतीय वित्तीय प्रणाली किसी भी टैरिफ-संबंधी झटके को झेलने की अच्छी स्थिति में है. हालांकि, इसके वैश्विक नतीजों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है, जिसकी वजह से भू-राजनीतिक संघर्षों का जोखिम बढ़ गया है.