सोने की तेजी छिपा रही डिफ्लेशन का खतरा? अगले दो महीने महंगाई में नेगेटिव रहेगी महंगाई; रिपोर्ट में दावा
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार भारत में रिटेल इनफ्लेशन सोने को हटाने पर अगले दो महीनों तक निगेटिव रह सकता है. अक्टूबर में CPI इनफ्लेशन घटकर 0.25 फीसदी पर आ गया है, जबकि सोने को निकालकर यह निगेटिव 0.57 फीसदी रहा. कई राज्यो में इनफ्लेशन निगेटिव है, जिससे RBI की दिसंबर पॉलिसी चुनौतीपूर्ण बन सकती है.
भारत में रिटेल इनफ्लेशन एक नए निचले स्तर पर पहुंच गया है. अगर सोने की कीमतों को महंगाई के हिसाब से हटा दिया जाए तो, भारत में रिटेल इनफ्लेशन अगले दो महीनों तक माइनस यानी निगेटिव में रहने की संभावना है. SBI रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार देश में कम इनफ्लेशन का माहौल बना हुआ है. अक्टूबर में CPI इनफ्लेशन घटकर 0.25 फीसदी पर आ गया है. खाद्य पदार्थो की कीमत कम होने का सबसे बड़ा असर दिखा है. हालांकि सोने की तेजी ने कुछ कैटेगरी मे इनफ्लेशन को बढ़ाया है. ऐसी स्थिति में RBI के लिए अगली पॉलिसी चुनौतीपूर्ण रहने वाली है.
राज्यो में इनफ्लेशन का अलग अलग पैटर्न
देश के कई राज्य अलग इनफ्लेशन स्तर दिखा रहे है. केरल में इनफ्लेशन सबसे ज्यादा 8.56 फीसदी दर्ज हुआ. जम्मू कश्मीर और कर्नाटक में यह 3 फीसदी से नीचे रहा. कुल 22 राज्यो में से 12 राज्य निगेटिव इनफ्लेशन में है. केवल केरल को छोड़कर सभी राज्य 3 फीसदी के नीचे दिखाई दे रहे है.
सोने को हटाने पर CPI निगेटिव में गया
अक्टूबर में सोने की कीमत तेज रही और पर्सनल केयर और इफेक्ट्स कैटेगरी में इनफ्लेशन 57 फीसदी से ज्यादा पहुंच गया. लेकिन सोने को निकालकर देखा जाए तो हेडलाइन CPI निगेटिव 0.57 फीसदी पर आ गया है. फ्रूट और ऑयल एंड फैट में भी नरमी दिखी है.
कोर CPI में मामूली बदलाव
रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर में कोर CPI 4.33 फीसदी रहा जो सितंबर के 4.36 फीसदी के बराबर ही है. लेकिन जब सोने को कोर CPI से हटाया गया तो यह घटकर 2.6 फीसदी आ गया. GST दरों में हाल की कमी का असर भी इनफ्लेशन पर सकारात्मक दिखा है.
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RBI के लिए दोहरी चुनौती
कम इनफ्लेशन और 7 फीसदी से ज्यादा GDP ग्रोथ के कारण RBI के सामने संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है. दिसंबर की पॉलिसी में यह सबसे बड़ा सवाल रहेगा कि RBI ग्रोथ को समर्थन दे या दर घटाने से परहेज करे. रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे के आंकड़े जैसे नवंबर दिसंबर का इनफ्लेशन और Q3 GDP पॉलिसी पर असर डालेंगे.
लिक्विडिटी और क्रेडिट सप्लाई पर भी दबाव
क्रेडिट की मांग डिपॉजिट से ज्यादा बढ़ रही है. ऐसे में SBI रिपोर्ट में कहा गया है कि लिक्विडिटी मैनेजमेंट और बैलेंस्ड क्रेडिट सप्लाई अहम भूमिका निभाएंगे. FY27 में भी CPI कम रहने की संभावना है जिससे RBI को आगे की पॉलिसी में बहुत सावधानी से कदम बढ़ाने होंगे.