RBI की रडार पर आया ये बड़ा बैंक, डेरिवेटिव्स बिक्री में गड़बड़ी, छोटे कारोबारियों को बेचा गलत प्रोडक्‍ट!

डेरिवेटिव प्रोडक्‍ट्स की बिक्री में मिली गड़बड़ी के चलते आरबीआई एक बड़े बैंक की जांच कर रहा है. हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर केंद्रीय बैंक ने इस पर कोई टिप्‍पणी नहीं की है. ये बैंक 165 साल पुराना है. यह भारत में संचालित होने वाला एक विदेशी बैंक है.

RBI के शिकंजे में घिरा ये बड़ा बैंक Image Credit: money9

RBI scrutiny over derivatives sales: डेरिवेटिव प्रोडक्‍ट्स बिक्री में मिली गड़बड़ी के चलते एक बड़ा विदेशी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की रडार पर आ गया है. बैंक पर आरोप है कि उसने उसने छोटे और मझोले कारोबारियों (SMEs) को ऐसे जटिल डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स बेचे, जिनमें भारी नुकसान का जोखिम था, लेकिन ग्राहकों को इसकी पूरी जानकारी नहीं दी गई. इसके अलावा बैंक के रिस्क कंट्रोल्स में भी खामियां पाई गई हैं.

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, जो भारत में 165 साल से ज्यादा समय से कारोबार कर रहा है, RBI को इसके कुछ डेरिवेटिव्स प्रोडक्ट्स, खासकर टारगेट रिडेम्पशन फॉरवर्ड्स की बिक्री में गड़बड़ी मिली है. ये प्रोडक्ट्स छोटे कारोबारियों के लिए नहीं बने थे, क्योंकि इनमें बड़े नुकसान का खतरा होता है. सूत्रों के मुताबिक, बैंक ने इन प्रोडक्ट्स को बेचते वक्त जोखिम की पूरी जानकारी नहीं दी, जिससे कारोबारी मुश्किल में पड़ सकते हैं. इतना ही नहीं, RBI ने बैंक के रिजर्व मैनेजमेंट और पिछले वित्तीय वर्षों में फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट ट्रेड्स के अकाउंटिंग में भी खामियां पकड़ी हैं.

बैंक ने दी ये सफाई

RBI की जांच अभी चल रही है, और इसका फोकस डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स और रिस्क गवर्नेंस पर है. हालांकि, अभी तक कोई औपचारिक कार्रवाई की बात सामने नहीं आई है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक स्टैंडर्ड चार्टर्ड के मुंबई स्थित प्रवक्ता का कहना है कि RBI हर साल बैंकों की जांच करता है, लेकिन अगर कोई कमी पाई जाती है, तो उसे सामान्य प्रक्रिया के तहत ठीक किया जाता है.

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165 साल पुराना है बैंक

स्टैंडर्ड चार्टर्ड भारत में सबसे पुराने विदेशी बैंकों में से एक है, जिसके 42 शहरों में 100 शाखाएं हैं. इसका मुख्य कारोबार कॉरपोरेट और इनवेस्टमेंट बैंकिंग, साथ ही वेल्थ और रिटेल बैंकिंग में है. अगर RBI को गंभीर खामियां मिलती हैं, तो स्टैंडर्ड चार्टर्ड पर जुर्माना या सख्त दिशा-निर्देश लागू हो सकते हैं. लेकिन अभी सबकी नजर इस बात पर है कि क्या बैंक इन कमियों को जल्द ठीक कर पाएगा.