Israel-Iran War: B2 बॉम्बर की एंट्री से एकतरफा हो जाएगी जंग, हवा में तैरता हथियार डिपो है ये प्लेन

B2 बॉम्बर अमेरिकी सेना का सबसे ताकतवर स्ट्रैटिजिक हथियार है. यह 20 टन कन्वेंशनल हथियारों के साथ ही न्युक्लियर वेपन लेकर लगातार 18 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी उड़ान भर सकता है. अगर इजरायल-ईरान युद्ध में इसकी एंट्री होती है, तो माना जा सकता है यह युद्ध एकतरफा हो जाएगा.

B2 बॉम्बर एक बार में 18 हजार किमी तक उड़ सकता है Image Credit: X/northropgrumman

Israel-Iran War भीषण होता जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों से संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका सीधे तौर पर जल्द इस युद्ध में उतर सकता है. अगर अमेरिका इस युद्ध में उतरता है, तो अमेरिकी हमले का आगाज B2 बॉम्बर ही करेगा. इतिहास इस बात का गवाह है कि जब-जब अमेरिकी सेना कहीं युद्ध में उतरती है, तो उससे ठीक पहले B2 बॉम्बर उस देश पर हमला करने पहुंच जाता है. ईराक, अफगानिस्तान, सर्बिया हर जगह अमेरिकी हमले की अगुवाई B2 बॉम्बर ने ही की है.

किसने बनाया B2 बॉम्बर?

अमेरिकी सेना के सबसे ताकतवर हथियारों में से एक B2 बॉम्बर को अमेरिकी वायुसेना के एडवांस्ड टेक्नोलॉजी बॉम्बर प्रोग्राम के तहत तैयार किया गया. इसके मास प्रोडक्शन के लिए Northrop Grumman को प्राइम कॉन्ट्रैक्ट दिया गया. इस तरह कहा जा सकता है कि नॉर्थरोप ग्रुमैन इस विशालकाय बॉम्बर का निर्माण करती है. इसके अलावा बोइंग मिलिट्री एयरप्लेन, हग्स रडार सिस्टम, जनरल इलेक्ट्रिक और वॉट एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज इसके सब-कॉन्ट्रैक्टर हैं.

कहां तैनात है B-2?

B2 बॉम्बर व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस पर तैनात हैं. यह एयर बेस अमेरिकी राज्य मिजूरी के नॉब नॉस्टर में है. इसे यूएस एयरफोर्स की ग्लोबल स्ट्राइक कमांड भी कहा जाता है. व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस की वेबसाइट के मुताबिक B-2 Spirit एक मल्टीरोल बॉम्बर है, जो कन्वेंशनल और न्यूक्लियर दोनों तरह के हथियारों से हमला करने में सक्षम है.

अमेरिकी वायुसेना में क्या है भूमिका?

यूएस एयरफोर्स के मुताबिक B2 बॉम्बर टेक्नोलॉजी के लिहाज से ऊंची छलांग है. इस बॉम्बर की वजह से अमेरिकी वायुसेना दुनिया से दशकों आगे है. खासतौर पर पहला हमला करने के लिहाज से यह अमेरिकी वायुसेना को अनोखी ताकत देता है. इससे अमेरिका अभेद्य समझी जाने वाली जगहों पर भी सटीक हमले कर सकता है.

कितनी है एक विमान की कीमत?

अमेरिका ने B2 बॉम्बर प्रोग्राम पर करीब 45 अरब डॉलर खर्च किए. एक अनुमान के मुताबिक एक B2 बॉम्बर की कीमत 1.57 अरब डॉलर से 2 अरब डॉलर के बीच में है. इसे दुनिया का सबसे महंगा एयरक्राफ्ट माना जाता है. 1980 के दशक में जब इस विमान को बनाने की शुरुआत हुई, तो 132 विमान बनाने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन, 1990 में सोवियत संघ के विघटन तक अमेरिका ऐसे 20 विमान ही बना पाया और इसके बाद इनकी मैन्युफैक्चरिंग रोक दी गई.

कितने हथियार ले जा सकता है?

B-2 बॉम्बर 50,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरकर आसानी से किसी भी इलाके में पहुंच सकता है. यह एक बार में 20 टन तक हथियार ले जाने में सक्षम है. इसकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी इसे काफी हद तक दुश्मन की नजर में आने से बचाती है. बिना रिफ्यूलिंग के यह एक बार में 6,000 नॉटिकल माइल यानी करीब 11 हजार किलोमीटर उड़ सकता है. वहीं, हवा में रिफ्यूलिंग के बाद यह 18 हजार किमी तक उड़ान भर सकता है. 2001 में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले की शुरुआत करने गए B2 बॉम्बर ने लगातार 70 घंटे उड़ान भरी. इस दौरान प्लेन का एक बार क्रू बदला गया.

ईरान में कैसे पलट सकता है गेम?

ईरान में अब भी कई ऐसी अंडरग्राउंड न्यूक्लियर और वेपन साइट्स हैं, जहां तक पहुंचना इजरायल के लिए लगभग नामुमकिन है. खासतौर पर ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमले के लिए इजरायल लगातार अमेरिका से मांग कर रहा है कि वह B2 बॉम्बर को भेजे. दुनिया में सिर्फ अमेरिकी B2 बॉम्बर ही हैं, जिनसे GBU-57 बंकर बम लॉन्च किए जा सकते हैं. अगर अमेरिका की तरफ से ईरान पर B2 बॉम्बर से हमला किया जाता है, तो एक ही बार में यह प्लेन ईरान के कई ठिकानों को नष्ठ करने की क्षमता रखता है.