टाटा और शापूरजी में क्‍या है रिश्‍ता, 89 साल पुराने संबंधों में आई दरार, जानें कैसे टूट गया भरोसा

टाटा ग्रुप और शापूरजी परिवार की दोस्‍ती कॉरपोरेट घरानों के लिए एक मिसाल थी, लेकिन अब उनकी दोस्‍ती के बीच दरार आ गई है. कर्ज से छुटकारा पाने के लिए SP ग्रुप टाटा में मौजूद हिस्‍सेदारी बेचने की प्‍लानिंग कर रहा है. मगर इस तनाव से पहले दोनों ग्रुप में कैसे दोस्‍ती हुई और कैसे ये रिश्‍तेदारी में ब‍दली आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.

tata and shapoorji के रिश्‍तों में दरार, जानें कैसे शुरू हुई थी दोस्‍ती Image Credit: money9 live

TATA and Shapoorji Pallonji group relationship: भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास में टाटा ग्रुप और शापूरजी परिवार की साझेदारी को भरोसे की मिसाल माना जाता था, लेकिन टाटा और शापूरजी ग्रुप के बीच 89 साल का ये पुराना रिश्‍ता टूटने की कगार पर है. रतन टाटा के निधन के बाद से ग्रुप में हलचल मची हुई है. शापूरजी पालोनजी ग्रुप (SP Group), जो 1936 से Tata Sons का सबसे बड़ा और पुराना शेयरहोल्डर है. अब ये एग्जिट की सोच रहा है. पिछले चार सालों से दोनों ग्रुप के बीच तनातनी बढ़ गई है. मगर इस विवाद से पहले दोनों कंपनियों के रिश्‍तों में बेहद मिठास थी, दोनों के बीच पारिवारिक रिश्‍ते भी हैं. तो कैसे पड़ी थी रिश्‍ते की नींव और क्‍यों शुरू हुआ विवाद जानें पूरी डिटेल.

1930 से हुई थी दोस्‍ती की शुरुआत

टाटा ग्रुप और शापूरजी पालोनजी ग्रुपी की दोस्‍ती की शुुरुआत साल 1930 में हुई थी, जब शापूरजी मिस्त्री ने फ्रामरोज़ एडुलजी दिनशॉ के वारिसों से टाटा सन्स में 12.5% हिस्सेदारी खरीदी थी. दिनशॉ एक बिजनेसमैन थे. उन्‍होंने 1920 के दशक में टाटा हाइड्रो और टाटा स्टील को दो करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जो बाद में टाटा सन्स की इक्विटी में बदल गया. यही हिस्सेदारी बाद में शापूरजी के हाथ आई. शापूरजी मिस्त्री, जो उस दौर के प्रतिष्ठित बिल्डर थे और जिनकी कंपनी ने मुंबई के आरबीआई, ताजमहल पैलेस, ओबेरॉय होटल जैसी इमारतें बनाई थीं, उन्होंने अगले कुछ वर्षों में JRD टाटा के भाइयों और बहनों की हिस्सेदारी भी खरीद ली. इसी के साथ टाटा सन्स में उनकी हिस्सेदारी 18% से ज्‍यादा हो गई.

मौत के बाद बेटे ने संभाली कमान

1975 में शापूरजी के निधन के बाद, यह विरासत उनके बेटे पलोनजी मिस्त्री ने संभाली. पलोनजी, जो इंपीरियल कॉलेज लंदन से पढ़े थे, हमेशा परदे के पीछे रहते हुए भी टाटा ग्रुप की नीतियों और निर्णयों में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं. इसी वजह से उन्हें “फैंटम ऑफ बॉम्बे हाउस” कहा जाने लगा. उन्‍होंने टाटा ग्रुप के साथ रिश्‍तों को बढ़ाने के लिए और प्रयास किए.

रिश्‍तेदारी में बदली दोस्‍ती

टाटा ग्रुप और शापूरजी पालोनजी के बीच की दोस्‍ती इतनी मजबूत थी कि रतन टाटा ने 1991 में टाटा ग्रुप का कार्यभार संभालने के बाद पलोनजी को व्यक्तिगत पत्र लिखकर उनका आभार जताया था. बाद में ये दोस्‍ती रिश्‍तेदारी में तब्‍दील हो गई. पलोनजी की बेटी अलू मिस्त्री की शादी रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा से हुई, जिससे रिश्तों में और गहराई आई. नोएल टाटा, जो अलू मिस्त्री के पति हैं, वे टाटा स्टील और टाइटन के वाइस चेयरमैन हैं और ट्रेंट तथा टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन के चेयरमैन भी हैं. वे टाटा ट्रस्‍ट के चेयरमैन की जिम्‍मेदारी भी संभाल रहे हैं.

साइरस मिस्‍त्री की एंट्री से आया ट्विस्‍ट

दोनों कंपनियों के रिश्‍ते काफी मजबूत थे, दोस्‍ती के रिश्‍तेदारी में बदलने से मामला और बढि़या हो गया, लेकिन कहानी में बड़ा मोड़ तब आया जब 2012 में पलोनजी मिस्त्री के बेटे साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया. 74 साल में ऐसा पहला मौका था जब कोई टाटा परिवार से बाहर का व्यक्ति इस पद पर काबिज हुआ हो. रतन टाटा खुद साइरस मिस्‍त्री के काम और व्‍यवहार से प्रभावित थे, जिसके चलते उन्‍होंने खुद कई बार उनकी तारीफ की है. मगर साइरस के टाटा समूह में एंट्री से टाटा ग्रुप के सदस्‍य नाखुश थे, लिहाजा ज्‍वाइनिंग के चार साल बाद यानी 2016 में साइरस मिस्त्री को अचानक चेयरमैन पद से हटा दिया गया था.

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विवादों की जड़

साइरस मिस्‍त्री के पद से हटाए जाने के बाद कानूनी और व्यावसायिक संघर्ष शुरू हुआ, जिसने दोनों परिवारों के बीच दरार और गहरी कर दी. मिस्त्री ने टाटा ग्रुप पर भारी घाटे और अव्यवस्थित अधिग्रहणों का आरोप लगाया, जबकि टाटा ग्रुप ने मिस्त्री पर ग्रुप पर नियंत्रण पाने की कोशिश का आरोप लगाया. मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल और फिर एनसीएलएटी तक पहुंचा, जिसने 2019 में मिस्त्री को फिर से चेयरमैन नियुक्त करने का आदेश दिया. हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया और मिस्त्री का दावा खारिज हो गया. आज मिस्त्री परिवार की टाटा सन्स में 18% से ज्‍यादा हिस्सेदारी बरकरार है.

एग्जिट करने की वजह

SP ग्रुप के पास टाटा सन्स में 18.37% हिस्सेदारी है. न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, SP ग्रुप अपने भारी कर्ज संकट से निपटने के लिए यह हिस्सेदारी बेचना चाहती है. वहीं टाटा सन्‍स SP ग्रुप की हिस्सेदारी खरीदकर अपना दबदबा बढ़ाना चाहती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ट्रस्ट के भीतर दो धड़े बन गए हैं. एक धड़ा नोएल टाटा के समर्थन में है, जिन्हें रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया. दूसरा धड़ा चार ट्रस्टीज का है, जिनकी अगुवाई मेहली मिस्त्री कर रहे हैं. मेहली का ताल्लुक शापूरजी पल्लोनजी परिवार से हैं. मुख्य विवाद टाटा सन्स के बोर्ड की सीट्स और गवर्नेंस स्ट्रक्चर को लेकर है.

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