‘सिंध एक दिन फिर भारत का हिस्सा बन सकता है’, राजनाथ सिंह का बड़ा बयान, कहा- सीमाएं बदलती रहती हैं
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि भौगोलिक सीमाएं स्थायी नहीं होतीं और भविष्य में सिंध भी भारत से दोबारा जुड़ सकता है. उन्होंने सिंध की सांस्कृतिक जड़ों, सिंधु नदी की पवित्रता और विभाजन के दर्द का उल्लेख किया. साथ ही 2019 में सिंधी शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने के अपने प्रयासों और CAA के संदर्भ का भी जिक्र किया.
Rajnath Singh Sindh India Border: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार, 23 नवंबर को एक कार्यक्रम में ऐतिहासिक और राजनीतिक संकेतों से भरा बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि भौगोलिक सीमाएं स्थायी नहीं होतीं और समय के साथ बदल सकती हैं. इसी संदर्भ में उन्होंने इशारा किया कि विभाजन के समय पाकिस्तान में शामिल हुआ सिंध एक दिन दोबारा भारत में शामिल हो सकता है. राजनाथ सिंह ने कहा कि आज सिंध की भूमि भले ही भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन सभ्यता और संस्कृति के स्तर पर सिंध हमेशा भारत से जुड़ा रहेगा और जहां तक जमीन का सवाल है, सीमाएं बदलती रहती हैं. कौन कह सकता है कि कल को सिंध फिर से भारत का हिस्सा न बन जाए.
सिंध की सांस्कृतिक जड़ें भारत से जुड़ी
कार्यक्रम में सिंह ने सिंध प्रांत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को उजागर किया. उन्होंने कहा कि सिंधु नदी और सिंध क्षेत्र भारतीय सभ्यता का अविभाज्य हिस्सा रहे हैं. उन्होंने बताया कि 1947 के विभाजन के बाद बड़ी संख्या में सिंधी परिवार भारत आए थे और उनमें से कई आज भी अपने मूल स्थान के अलग होने को दिल से स्वीकार नहीं कर पाए हैं. उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का हवाला देते हुए कहा, “आडवाणी जी ने लिखा है कि सिंधी हिंदुओं की पुरानी पीढ़ी अब तक सिंध के अलग होने को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाई. यह उनके दिल का घाव है.”
सिंधु नदी को लेकर भावनात्मक जुड़ाव
राजनाथ सिंह ने कहा कि सिंधु नदी न सिर्फ भौगोलिक महत्व रखती है, बल्कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत से भी गहराई से जुड़ी है. उन्होंने कहा, “भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते हैं. यहां तक कि सिंध के मुस्लिम भी इसे बेहद पवित्र मानते थे. कई लोग तो इसे मक्का के ‘आब-ए-जमजम’ जितना पवित्र समझते थे. यह आडवाणी जी का ही कथन है.”
2019 में सिंधी शरणार्थियों के लिए नागरिकता देने के प्रयास का जिक्र
रक्षा मंत्री ने 2019 में दिल्ली के सिंधी शरणार्थी परिवारों से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि वे बेहद खराब हालात में रह रहे थे. इसके बाद उन्होंने उन्हें नागरिकता देने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा, “मैंने खुद सिंधी और दूसरे गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को झुग्गियों में बेहद खराब हालात में रहते देखा.
इसके बाद मैंने नागरिकता देने संबंधी बिल तैयार किया और लोकसभा में पेश किया. लोकसभा से यह पास भी हो गया, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से आगे नहीं बढ़ सका. बाद में जब अमित शाह गृह मंत्री बने, तो उन्होंने इस दिशा में काम जारी रखा.” यह बयान नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की ओर संकेत माना जा रहा है.
PoK पर भी दिया था आश्वस्त करने वाला संदेश
इसी वर्ष सितंबर में मोरक्को में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) बिना किसी संघर्ष के खुद ही भारत में शामिल होगा. उन्होंने कहा था, “PoK के लोग खुद ही भारत में शामिल होने की मांग कर रहे हैं. उनकी आवाजें अब खुलकर सामने आ रही हैं.”
राजनीतिक संदेश या कूटनीतिक संकेत?
रक्षा मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पड़ोसी देशों की राजनीतिक स्थिति लगातार बदल रही है और भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत होती दिख रही है. सिंध का संदर्भ न सिर्फ सांस्कृतिक जुड़ाव है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और जियोपॉलिटिकल संकेतों का भी हिस्सा हो सकता है.
ये भी पढ़ें- बड़े मर्जर की तैयारी में बीमा सेक्टर, इन तीन कंपनियों का हो सकता है विलय; जानें क्या है सरकार का सुपर प्लान