सुप्रीम कोर्ट ने Vantara की जांच के लिए SIT का किया गठन, जानवरों को लाने और मौत के कारण समेत इन मुद्दों की होगी जांच

सुप्रीम कोर्ट ने Vantara की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई है. यह जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज Justice J Chelameswar की अगुवाई में होगी. कोर्ट ने यह आदेश दो जनहित याचिकाओं (PIL) के आधार पर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SIT का काम केवल तथ्यों की जांच करना है ताकि सही स्थिति का पता चल सके.

सुप्रीम कोर्ट ने Vantara की जांच के लिए SIT का किया गठन Image Credit: x

SIT on Vantara: सुप्रीम कोर्ट ने Vantara की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई है. यह जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज Justice J Chelameswar की अगुवाई में होगी. कोर्ट ने यह आदेश दो जनहित याचिकाओं (PIL) के आधार पर दिया. इनमें से एक वकील सी आर जया सुकिन और दूसरी देव शर्मा ने दायर की थी. ये याचिकाएं कोल्हापुर के एक मंदिर से हाथी ‘महादेवी’ को जुलाई में वनतारा ले जाने के विवाद के बाद दायर की गई थीं. आपको बता दें कि Vantara गुजरात के जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन का वन्यजीव बचाव और पुनर्वास का केंद्र है.

SIT को कई मुद्दों पर जांच करने और 12 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. ये मुद्दे इस प्रकार है-

SIT में जस्टिस राघवेंद्र चौहान (उत्तराखंड और तेलंगाना हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश), हेमंत नागराले (मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त) और अनीश गुप्ता (अतिरिक्त आयुक्त, सीमा शुल्क) शामिल होंगे. SIT को तुरंत जांच शुरू करने और वनतारा का दौरा करने का आदेश दिया गया है. गुजरात के वन विभाग के सचिव को SIT को पूरा सहयोग देने के लिए कहा गया है.

केवल तथ्यों की जांच करना है SIT का काम

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SIT का काम केवल तथ्यों की जांच करना है ताकि सही स्थिति का पता चल सके. कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाओं में लगाए गए आरोपों पर कोई राय नहीं दे रहा है और न ही वनतारा या किसी अन्य संस्था के कामकाज पर संदेह जता रहा है. कोर्ट ने बताया कि दोनों याचिकाएं समाचार पत्रों, सोशल मीडिया और गैर-सरकारी संगठनों की शिकायतों पर आधारित हैं. इनमें वनतारा पर जानवरों के अवैध अधिग्रहण, उनके साथ दुर्व्यवहार, वित्तीय अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

याचिकाओं में नहीं दिए गए हैं कोई ठोस सबूत

कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority), CITES और यहां तक कि अदालतों पर भी सवाल उठाए गए हैं. हालांकि, इन आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं दिए गए हैं. कोर्ट ने सामान्य रूप से ऐसी याचिकाओं को खारिज कर दिया होता, लेकिन इन गंभीर आरोपों की वजह से एक स्वतंत्र जांच जरूरी समझी गई. SIT को वनतारा का दौरा कर वहां की स्थिति की जांच करने और सभी संबंधित पहलुओं पर अपनी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस जांच का मकसद केवल तथ्यों को स्पष्ट करना है ताकि आगे उचित फैसला लिया जा सके. यह जांच वनतारा के कामकाज पर कोई अंतिम राय नहीं है, बल्कि केवल तथ्यों को सामने लाने का प्रयास है.

ये भी पढ़े: 15777 करोड़ का ऑर्डर बुक… अब मिला एक और प्रोजेक्ट , रेखा झुनझुनवाला का भी लगा है पैसा; 3 साल में दिया 530% रिटर्न