चीन शिपकी-ला दर्रे से सीमा व्यापार खोलने पर हुआ सहमत, कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भी खुल सकती नई राह

हिमाचल प्रदेश से जुड़ा एक ऐसा कदम उठने जा रहा है, जो न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे देश के लिए अहम साबित हो सकता है. लंबे समय से ठप पड़ी एक ऐतिहासिक राह से अब नई संभावनाओं का द्वार खुलने की उम्मीद है. आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव संभव है.

भारत-चीन रिश्ता Image Credit: Canva

भारत और चीन के रिश्तों में हाल ही में एक सकारात्मक संकेत सामने आया है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने जानकारी दी है कि चीन ने सिद्धांत रूप में शिपकी-ला (किन्नौर) दर्रे से व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है. यह सहमति चीन के विदेश मंत्री वांग यी की हालिया भारत यात्रा के दौरान बनी. 2020 में कोविड महामारी के कारण यह व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया था. अब चार साल बाद दोनों देशों के बीच इस मार्ग से आर्थिक गतिविधियों के फिर से शुरू करने की संभावना दिख रही है.

केंद्र और राज्य सरकार की पहल

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल सरकार का कहना है कि इस दिशा में लगातार की गई कोशिशें अब असर दिखाने लगी हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस ऐतिहासिक व्यापार मार्ग को फिर से खोलने की मांग की थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से इस मुद्दे को चीन के सामने रखा और हाल ही में एक सहमति बनी. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्य सरकार को सूचित किया कि भारत-चीन वार्ता में शिपकी-ला के साथ ही लिपुलेख (उत्तराखंड) और नाथु ला (सिक्किम) से व्यापार बहाली पर भी चर्चा चल रही है.

ऐतिहासिक महत्व का रास्ता

शिपकी-ला दर्रा कभी प्राचीन सिल्क रूट का हिस्सा रहा है. 1994 में भारत-चीन के द्विपक्षीय समझौते के बाद इसे औपचारिक रूप से सीमा व्यापार बिंदु घोषित किया गया था. यह मार्ग न केवल व्यापार बल्कि हिमालय पार सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान का भी एक अहम जरिया रहा है. किन्नौर जिले से होकर गुजरने वाला यह रास्ता आज भी स्थानीय समुदायों की यादों और परंपराओं में जुड़ा हुआ है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा की संभावनाएं

व्यापार के साथ-साथ इस मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली को लेकर भी सकारात्मक संकेत मिले हैं. हिमाचल सरकार ने केंद्र को बताया है कि शिपकी-ला से होकर यात्रा का रास्ता तिब्बत की ओर अपेक्षाकृत छोटा है. यहां तक की राज्य में रामपुर बुशहर और पूह होते हुए सड़क मार्ग पहले से मौजूद है, जिससे आधार शिविर और जरूरी ढांचे का विकास करना आसान होगा. विदेश मंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सूचित किया है कि पांच साल बाद यात्रा लिपुलेख और नाथु ला से शुरू हो चुकी है और शिपकी-ला को भी एक अतिरिक्त मार्ग के रूप में शामिल करने पर चर्चा हो रही है.

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नए अवसरों की उम्मीद

हिमाचल सरकार का मानना है कि शिपकी-ला से व्यापार और यात्रा की बहाली न केवल सीमावर्ती इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को गति देगी बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी नए आयाम देगी. स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर मिलेंगे और राज्य को विकास की नई दिशा मिलेगी.

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