म्यूचुअल फंड की रणनीति में बड़ा बदलाव, अब IPO में लगा रहे दांव; सितंबर तिमाही में 13% बढ़कर ₹6,420 करोड़ पहुंचा
सितंबर तिमाही में म्यूचुअल फंड्स ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए IPO में निवेश बढ़ा दिया है. PRIME Database के अनुसार, जून तिमाही के मुकाबले निवेश 13 फीसदी बढ़कर 6,420 करोड़ रुपये पहुंच गया. म्यूचुअल फंड्स अब Anchor Investor के रूप में भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.
Mutual fund IPO strategy: भारतीय शेयर मार्केट में पिछले कुछ समय से लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. इसी बीच म्यूचुअल फंड (MF) ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव करते हुए IPO में जोरदार दांव लगाया है. PRIME Database के आंकड़ों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड हाउसों ने जून तिमाही में IPO में 5,689 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जबकि सितंबर तिमाही में यह 13 फीसदी बढ़कर 6,420 करोड़ रुपये पहुंच गया है. हाल के महीनों में बड़े-बड़े IPO की बाढ़ ने संस्थागत निवेशकों के लिए आकर्षक अवसर पैदा किए हैं. इक्विटी स्कीमों में Systematic Investment Plan (SIP) और Lumpsum Investment के माध्यम से लगातार हो रहे इनफ्लो ने इन फंडों को IPO में भागीदारी के लिए पर्याप्त लिक्विडिटी प्रदान की है.
एंकर इनवेस्टर्स के रूप में बढ़ती भूमिका
इस तिमाही की सबसे महत्वपूर्ण प्रवृत्ति म्यूचुअल फंड्स की ‘Anchor Investor’ के रूप में बढ़ती भागीदारी रही है. Anchor Investors वे संस्थाएं होती हैं जिन्हें IPO की कीमत तय होने से पहले ही शेयर आवंटित किए जाते हैं, जिससे इश्यू को स्थिरता और विश्वसनीयता मिलती है. सितंबर तिमाही में म्यूचुअल फंड्स ने Anchor Investor के तौर पर 5,129 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो जून तिमाही के 3,871 करोड़ रुपये के मुकाबले 32 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी है.
IPO की बढ़ी संख्या
हालांकि, एक दिलचस्प तथ्य यह है कि Qualified Institutional Buyers (QIB) के रूप में म्यूचुअल फंड्स की सीधी भागीदारी (ex-anchor) में 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. यह भागीदारी सितंबर तिमाही में घटकर 1,290 करोड़ रुपये रह गई, जो जून तिमाही में 1,817 करोड़ रुपये थी. इसके पीछे एक कारण यह हो सकता है कि फंड मैनेजर अब एंकर अलॉटमेंट को अधिक फायदेमंद मान रहे हैं.
इस तिमाही में नए IPO इश्यू की संख्या में भी भारी उछाल देखा गया. सितंबर तिमाही में कुल 46 नए इश्यू सामने आए, जबकि जून तिमाही में यह संख्या केवल 15 थी. इश्यू की इस बढ़ती संख्या ने म्यूचुअल फंड्स के लिए निवेश के अवसरों का दायरा बढ़ा दिया है.
लॉक-इन पीरियड का प्रभाव
IPO में निवेश की रणनीति लॉक-इन शर्तों से भी प्रभावित होती है. Anchor QIB के रूप में किए गए निवेश पर 30 दिनों की लॉक-इन अवधि (आवंटित शेयरों के 50 फीसदी हिस्से के लिए) और 90 दिनों की अवधि (बाकी 50 फीसदी शेयरों के लिए) लागू होती है. वहीं, Non-Anchor QIB पर ऐसी कोई अनिवार्य लॉक-इन अवधि नहीं होती है.