कब और कहां फंसकर रह गया NSE का IPO, अब क्यों फिर से जगी उम्मीद? जानें- कितना बड़ा हो सकता है साइज
NSE IPO: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का आईपीओ भारत में सबसे उम्मीद वाले पब्लिक ऑफर्स में से एक माना जाता है. नॉन-लिस्टेड शेयरों की वैल्यू वर्तमान में 5.98 लाख करोड़ रुपये है. जब मंजूरी मिल जाएगी, तो एनएसई के शेयर बीएसई पर लिस्ट होंगे.
NSE IPO: सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे की हालिया टिप्पणी ने बहुप्रतीक्षित नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की उम्मीदों को फिर से जगा दिया है, जिससे नॉन लिस्टेड मार्केट में हलचल मच गई है. पांडे ने कहा कि NSE आईपीओ का आवेदन का मुद्दा ऐसा नहीं है, जिसे सुलझाया न जा सके. इससे ट्रेडर्स में उम्मीद जगी है. नॉन-लिस्टेड NSE के शेयर 2,400-2,420 रुपये के स्तर पर पहुंच गए – जो कि महज दो सप्ताह पहले 1,500 रुपये से 60 फीसदी अधिक है.
लंबे समय से हो रहा इस IPO का इंतजार
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का आईपीओ भारत में सबसे उम्मीद वाले पब्लिक ऑफर्स में से एक माना जाता है. स्टॉक एक्सचेंज ने सबसे पहले 2016 में सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर दाखिल किए थे, जिसका लक्ष्य 10,000 करोड़ रुपये में 22 फीसदी हिस्सेदारी बेचना था. हालांकि, इसे आगे बढ़ने के लिए सेबी से अनिवार्य NOC कभी नहीं मिली.
देरी क्यों हुई?
2015 में कुछ हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडर्स पर NSE के को-लोकेशन सर्वर तक अनुचित एक्सेस प्राप्त करने का आरोप लगने के बाद IPO पटरी से उतर गया था. इसके कारण SEBI ने स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा फोरेंसिक ऑडिट का आदेश दिया. NSE की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, NSE और उसके कर्मचारियों को 2017 और 2018 में को-लोकेशन विवाद, डार्क फाइबर के उपयोग, गवर्नेंस में चूक और हितों के टकराव की चिंताओं से संबंधित SEBI से तीन अलग-अलग कारण बताओ नोटिस मिले.
को-लोकेशन का मुद्दा लंबे समय से पेडिंग है. सेबी ने NSE की कॉम्पोसिशन प्रैक्टिस, टेक्नोलॉजी गवर्नेंस और क्लियरिंग कॉरपोरेशन में इसकी नियंत्रणकारी हिस्सेदारी के बारे में भी चिंता व्यक्त की.
अब क्या बदल रहा है?
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में हाल ही में दावा किया गया है कि NSE विवाद को निपटाने के लिए SEBI को 1,000 करोड़ रुपये की पेशकश कर सकता है, जिस पर जल्द ही फैसला होने की उम्मीद है. SEBI के सितंबर 2024 के आदेश के बाद उम्मीद बढ़ गई, जिसमें NSE और सात पूर्व अधिकारियों – जिनमें पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण शामिल हैं – के खिलाफ 2019 के को-लोकेशन मामले में पर्याप्त सबूतों के अभाव में आरोपों को खारिज कर दिया गया.
हालांकि, SEBI ने सेकेंडरी सर्वर एक्सेस के लिए उचित नीति की कमी और उल्लंघनकर्ताओं को दंडित करने में विफल रहने के लिए NSE की आलोचना की और कहा कि यह बाजार के रेगुलेशन की पहली पंक्ति के रूप में अपने कर्तव्यों में विफल रहा.
एनएसई ने सरकारी मदद मांगने से किया इनकार
एनएसई ने पिछले महीने रॉयटर्स की उस रिपोर्ट का खंडन किया था जिसमें कहा गया था कि उसने अपने आईपीओ में तेजी लाने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग की है. एक्स पर एक पोस्ट में उसने कहा कि एनएसई ने इस खबर का खंडन किया है. उसने स्पष्ट किया कि उसने पिछले 30 महीनों में इस मामले में भारत सरकार से संपर्क नहीं किया है.
लिस्टिंग डिटेल्स
जब मंजूरी मिल जाएगी, तो एनएसई के शेयर बीएसई पर लिस्ट होंगे, क्योंकि सेबी के नियम एक्सचेंजों को अपने खुद के प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होने से रोकते हैं. हितों के टकराव से बचने के लिए बीएसई 2017 में एनएसई पर लिस्ट हुई थी. बिजनेस टुडे ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि सेबी की मंजूरी के बाद एनएसई को आईपीओ पेपर्स लाने में कम से कम छह महीने लगेंगे.
वैल्यूएशन और संभावित साइज
नॉन-लिस्टेड शेयरों की वैल्यू वर्तमान में 5.98 लाख करोड़ रुपये है. 10 फीसदी इक्विटी से लगभग 60,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं, जिससे यह भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ बन जाएगा.यह एलआईसी की 21,000 करोड़ रुपये की लिस्टिंग और अक्टूबर 2024 में हुंडई इंडिया के 28,870 करोड़ रुपये के आईपीओ को पीछे छोड़ देगा.