म्युचुअल फंड से पैसा निकालने पर एग्जिट लोड के तहत कटता है इतना पैसा, जानें कैसे होता है कैलकुलेट

म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड वह शुल्क होता है, जो निवेशक द्वारा एक निश्चित अवधि से पहले यूनिट्स बेचने पर लिया जाता है. इसका उद्देश्य जल्दबाजी में निकासी को रोकना, लेन-देन खर्च को कवर करना और मौजूदा निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. एग्जिट लोड की दर फंड के प्रकार और होल्डिंग अवधि पर निर्भर करती है.

इसे पूरा रिडेम्पशन अमाउंट पर लगाया जाता है, Image Credit: GETTY IMAGE

Mutual Funds Exit Load: म्यूचुअल फंड में निवेशक अपनी जरूरत के अनुसार निवेश कर सकते हैं और जब चाहें, इसे निकाल भी सकते हैं. लेकिन कुछ योजनाओं में एग्जिट लोड लगाया जाता है. यह एक शुल्क होता है, जो तब लागू होता है जब निवेशक एक निश्चित समय से पहले अपनी यूनिट्स बेच देता है. इसका मुख्य उद्देश्य जल्दबाजी में निकासी को रोकना और फंड की स्थिरता बनाए रखना होता है. म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय एग्जिट लोड को समझना जरूरी है. तो आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है.

एग्जिट लोड क्यों लगाया जाता है?

एग्जिट लोड की कैलकुलेशन कैसे होती है?

निकासी राशि के प्रतिशत के रूप में

अगर एग्जिट लोड 1फीसदी है और आप 10,000 रुपये की यूनिट्स निकालते हैं, तो एग्जिट लोड ऐसे निकलेगा:
₹10,000 × 1फीसदी = 100 रुपये
इसका मतलब आपको 9,900 रुपये मिलेंगे.

समय के आधार पर

एग्जिट लोड अक्सर होल्डिंग अवधि के अनुसार तय होता है, जैसे:

नो एग्जिट लोड पीरियड

कुछ म्यूचुअल फंड एक निश्चित समय बाद बिना किसी शुल्क के निकासी की सुविधा देते हैं.

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विभिन्न प्रकार के फंड में एग्जिट लोड

SIP में एग्जिट लोड कैसे काम करता है?

कई निवेशक यह गलती करते हैं कि अगर उनकी SIP को एक साल हो गया है, तो उन्हें एग्जिट लोड नहीं देना होगा. लेकिन हर SIP किस्त की होल्डिंग अवधि अलग होती है. उदाहरण: आपने जनवरी से जून 2023 तक SIP में निवेश किया और 10 मार्च 2024 को स्कीम बेच दी. NAV ₹110 है और एग्जिट लोड 1 फीसदी है.