ITR 2025-26 में बदलाव: इन 5 केस में इनकम टैक्स विभाग करेगा जांच, 30 जून तक मिल सकता है नोटिस!
इनकम टैक्स विभाग आकलन वर्ष 2025-26 में कुल पांच मामलों में इनकम टैक्स रिटर्न की पूरी तरह से जांच करने जा रहा है. इसको लेकर इनकम टैक्स विभाग नोटिस भी भेजेगा. इसमें ITR को लेकर इनकम, छूट, निवेश और टैक्स छूट की जांच की जाएगी.
ITR Filling Rule: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने वालों के लिए आकलन वर्ष 2025-26 कुछ खास बदलने वाला है. इस बार ITR की प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव हुए हैं जैसे नए फॉर्म्स आए हैं, टैक्स स्लैब्स अपडेट हुए हैं और नियमों में भी कई अहम सुधार हुए हैं. लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि अब कई मामलों में इनकम टैक्स विभाग कम्प्लीट स्क्रूटनी करने वाला है यानी जांच करने वाला है. ये बात 14 जून 2025 को CBDT (Central Board of Direct Taxes) ने एक नई गाइडलाइन में स्पष्ट की है.
क्या होगा इस जांच में
इनकम टैक्स विभाग आपके ITR को बारीकी से परखेगा. आपकी आमदनी, छूट, निवेश, टैक्स में मिली छूट, हर जानकारी का मिलान किया जाएगा. यानी अगर कोई गड़बड़ होगी, तो पकड़ी जा सकती है.
किन मामलों को लेकर होगी जांच
- सर्वे वाले केस: अगर 1 अप्रैल 2023 के बाद आपके यहां इनकम टैक्स का सर्वे हुआ है (धारा 133A के तहत, 2A को छोड़कर), तो आपकी ITR की जांच तय है.
- सर्च या जब्ती वाले केस: अगर 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2025 के बीच आपके यहां रेड या दस्तावेजों की जब्ती (धारा 132 या 132A) हुई है, तो आपकी रिटर्न की जांच होगी.
- रजिस्ट्रेशन रद्द होने के बाद भी छूट का दावा: अगर किसी ट्रस्ट या संस्था की 12A, 12AB, 10(23C) या 35(1)(ii)/(iii) रजिस्ट्रेशन रद्द हो चुकी है (31 मार्च 2024 तक) और फिर भी वह टैक्स छूट का दावा कर रही है, तो ये केस जांच में आएगा.
- बार-बार जोड़े गए इनकम वाले केस: अगर पहले असेसमेंट में आपकी इनकम में 50 लाख (मेट्रो सिटी) या 20 लाख (अन्य जगहों) से अधिक की बढ़ोतरी की गई थी और आपने अपील नहीं की या अपील में हार गए, तो उस केस की स्क्रूटनी भी होगी.
- जांच एजेंसियों से जानकारी मिलने वाले केस: अगर CBI, ED या किसी अन्य एजेंसी ने आपके टैक्स चोरी से जुड़ी जानकारी दी है और आपने ITR फाइल किया है, तो आपका केस भी स्क्रूटनी में जाएगा.
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अगर ऊपर बताई गई कोई भी स्थिति लागू होती है, तो 30 जून 2025 तक जांच का नोटिस भेजा जाएगा. किसी केस को जांच से बाहर करने के लिए Principal CIT (PCIT) की मंजूरी अनिवार्य होगी. इंटरनेशनल टैक्स मामलों और सेंट्रल सर्कल्स पर NaFAC (नेशनल फेसलेस असेसमेंट) प्रक्रिया लागू नहीं होगी.