NSE vs BSE: वीकली एक्सपायरी के गेम में सेंसेक्स पर भारी पड़ा निफ्टी, सेबी ने दिन बदलने को दी मंजूरी
देश के दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज के बीच वीकली एक्सपायरी को लेकर लंबे समय से जारी जंग खत्म हो गई है. सेबी ने दोनों एक्सचेंज के लिए वीकली एक्सपायरी के दिन तय कर दिए हैं. नए नियमों के तहत अब NSE के लिए वीकली एक्सपायरी मंगलवार को होगी.

NSE-BSE Weekly Option Expiry: बाजार नियामक सेबी ने वीकली ऑप्शन एक्सपायरी को लेकर NSE-BSE के बीच जारी जंग को खत्म कर दिया है. मंगलवार 17 जून को सेबी ने NSE को निफ्टी की वीकली एक्सपायरी मंगलवार को करने की मंजूरी दे दी है. वहीं, BSE के सेंसेक्स के लिए वीकली एक्सपायरी का दिन गुरुवार तय कर दिया है.
किसे मिला फायदा?
वीकली एक्सपायरी के डे को लेकर NSE-BSE के बीच जंग असल में ऑप्शन ट्रेडिंग के वॉल्यूम को लेकर है. सेबी की तरफ से NSE को निफ्टी के ऑप्शन की वीकली एक्सपायरी मंगलवार करने से NSE को अपने बेंचमार्क इंडेक्स के ऑप्शन ट्रेड में वॉल्यूम बढ़ाने का मौका मिल पाएगा. वहीं, सेबी ने BSE को भी इसके बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स की ऑप्शन वीकली एक्सपायरी गुरुवार को रखने की मंजूरी दी है. बदले हुए दिन 1 सितंबर, 2025 से प्रभावी होंंगे. जबकि, मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स की वीकली एक्सपायरी यथावत बनी रहेगी.
क्यों हुआ विवाद?
इस साल की शुरुआत में BSE ने सेंसेक्स की वीकली एक्सपायरी को शुक्रवार से बदलकर मंगलवार कर दिया था. इसकी वजह से , NSE ने सेबी से निफ्टी की वीकली एक्सपायरी को मंगलवार करने की मांग की थी. NSE का कहना था कि सेंसेक्सी की वीकली एक्सपायरी को मंगलवार किए जाने से उसके ऑप्शन वॉल्यूम पर भारी असर पड़ रहा है.
सिंगल डे एक्सपायरी होगी
अब तक अलग-अलग ऑप्शन के लिए एक्सचेंज अलग-अलग एक्सपायरी रखते थे. खासतौर पर बेंचमार्क इंडेक्स के ऑप्शन ट्रेड और बाकी इंडेक्स व स्टॉक्स के लिए एक्सपायरी अलग रखी जाती थी. लेकिन इस साल मई में सेबी ने एक सर्कुलर जारी कर दोनों एक्सचेंज को कहा कि वे अपने सभी इक्विटी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए सिंगल डे वीकली, मंथली, क्वार्टरली और सेमी-एनुअल एक्सपायरी रखें, ताकी बाजार में स्थिरता लाई जा सके.
सेबी ने सर्कुलर में क्या कहा?
सेबी के सर्कुलर में NSE को कहा गया है कि 31 जुलाई, 2025 से जारी किए जाने वाले सभी इक्विटी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट नई एक्सपायरी के साथ जारी किए जाएं. इसके अलावा जो कॉन्ट्रैक्ट 1 सितंबर को खत्म हो रहे हैं, उन्हें मंगलवार तक बढ़ाया जाए. इसके साथ ही सेबी ने तय किया है कि सभी मंथली कॉन्ट्रैक्ट महीने के आखिरी मंगलवार को एक्सपायर होंगे. वहीं, BSE को इसी तरह 1 सितंबर को खत्म हो रहे कॉन्ट्रैक्ट्स को गुरुवार को शिफ्ट करने के लिए कहा है. इसके साथ ही दोनों एक्सचेंज को कहा गया है कि वे सेबी की मंजूरी के बिना अब एक्सपायरी का दिन नहीं बदल सकते हैं.
क्या है ऑप्शन का वॉल्यूम गेम?
वीकली ऑप्शन ट्रेडिंग किसी भी एक्सचेंज के कारोबार का सबसे अहम हिस्सा होता है. पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में NSE के 5,860 करोड़ रुपये के स्टैंडअलोन रेवेन्यू में आधा योगदान ट्रांजैक्शन फीस का था. 2,939 करोड़ की ट्रांजैक्शन फीस ऑप्शन ट्रेडिंग का योगदान करीब 76 फीसदी था. इस तरह यह एक्सचेंज के लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया है. बीएसई ने जब अपनी वीकली एक्सपायरी मंगलवार को शिफ्ट की, तो इंडेक्स डेरिवेटिव्स में उसकी बाजार हिस्सेदारी अप्रैल-जून 2025 की अवधि में 12.6% तक बढ़ गई, जो एक साल पहले सिर्फ 3.1% थी. इसी वजह से NSE-BSE के बीच वीकली एक्सपायरी को लेकर जंग हुई.
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