FD पर कम मिलेगा ब्याज! SBI ने की बड़ी कटौती, जानें आपके जेब पर कितना पड़ेगा असर
अगर आपने भी अपनी कमाई बैंक में जमा कर रखी है, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसका असर करोड़ों खाताधारकों की जेब पर पड़ने वाला है. जानिए क्या बदलने वाला है आपके निवेश पर…
SBI FD Interest rates: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने आम जनता और खासतौर पर सीनियर सिटीजन को बड़ा झटका दिया है. बैंक ने 15 जून से सेविंग्स अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दरों में कटौती कर दी है. यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती के ठीक बाद आया है. इससे छोटे निवेशकों और ब्याज पर निर्भर पेंशनधारकों की आय पर असर पड़ सकता है.
सभी सेविंग्स खातों पर अब 2.5% ब्याज
SBI ने सभी सेविंग्स बैंक खातों पर ब्याज दर घटाकर अब 2.5 प्रतिशत कर दी है. पहले यह दर 10 करोड़ रुपये से कम बैलेंस वाले खातों पर 2.7 प्रतिशत और 10 करोड़ या उससे अधिक बैलेंस वालों के लिए 3 प्रतिशत थी. अब कोई भी बैलेंस हो, सभी पर एक समान 2.5 प्रतिशत ब्याज मिलेगा.
फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी घटी ब्याज दरें
- SBI ने 3 करोड़ रुपये से कम की एफडी पर ब्याज दरें 25 बेसिस पॉइंट तक घटा दी हैं.
- 211 दिन से कम एक साल की FD पर ब्याज अब 6.05% मिलेगा, पहले यह 6.3% था.
- सीनियर सिटिजन को इसी अवधि के लिए अब 6.55% मिलेगा, पहले 6.8% मिलता था.
- 1 से 2 साल की FD पर अब 6.25% और वरिष्ठ नागरिकों को 6.75% ब्याज मिलेगा, पहले ये क्रमशः 6.5% और 7% था.
- 2 से 3 साल की FD पर अब आम ग्राहकों को 6.45% और सीनियर सिटिजन्स को 6.95% मिलेगा, जो पहले क्रमशः 6.7% और 7.2% था.
- 3 से 5 साल और 5 से 10 साल की FD पर अब ब्याज दर क्रमशः 6.3% और 6.05% हो गई है.
लोन दरों में भी बदलाव
SBI ने अपनी रेपो-लिंक्ड एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) भी 50 बेसिस पॉइंट घटाकर होम लोन की ब्याज दरें 7.5% से 8.45% के बीच कर दी हैं.
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अन्य बैंकों की प्रतिक्रिया
SBI के अलावा कई अन्य सरकारी बैंकों ने भी ब्याज दरें घटाई हैं. इनमें केनरा बैंक, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा ने MCLR में 5 बेसिस पॉइंट की कटौती की है और FD की दरों में भी बदलाव किया है. ब्याज दरों में यह कटौती खासकर रिटायर्ड और फिक्स्ड इनकम पर निर्भर लोगों के लिए चिंता का विषय है. कम ब्याज दरों से उनकी मासिक आमदनी पर असर पड़ेगा, जिससे घरेलू बजट प्रभावित हो सकता है.