250 साल पुरानी Mazagaon Dock, विदेशी कंपनियों को कर रही अपने नाम, 1.27 लाख करोड़ का बिजनेस, अब ऑर्डरबुक पर बड़ा दांव

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने हाल ही में श्रीलंका की कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी में 52.96 मिलियन डॉलर में कंट्रोल्ड स्टेक खरीदने का फैसला किया है. यह कंपनी का पहला अंतरराष्ट्रीय कदम है. यह कंपनी को हिंद महासागर क्षेत्र में मजबूत बनाएगा. कोलंबो डॉकयार्ड श्रीलंका का सबसे बड़ा शिपयार्ड है. इस डील से दोनों कंपनियां अपने अनुभव और रिसोर्सेज को शेयर करेंगी. ऐसे में आइए जानते है कि मझगांव डॉक कितनी पुरानी है, क्या करती है और कंपनी का ऑर्डर बुक कितनी बड़ी है?

विदेशी कंपनियों को कर रही अपने नाम Image Credit: Money 9

Mazagaon Dock: मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने हाल ही में श्रीलंका की कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी में 52.96 मिलियन डॉलर में कंट्रोल्ड स्टेक खरीदने का फैसला किया है. यह कंपनी का पहला अंतरराष्ट्रीय कदम है. यह कंपनी को हिंद महासागर क्षेत्र में मजबूत बनाएगा. कोलंबो डॉकयार्ड श्रीलंका का सबसे बड़ा शिपयार्ड है. इस डील से दोनों कंपनियां अपने अनुभव और रिसोर्सेज को शेयर करेंगी.

यह कदम भारत की रिजनल इम्पैक्ट बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है, खासकर जब चीन श्रीलंका में अपना पैर पसार रही है. यह कंपनी आज भारत की सबसे मेजर शिप मैन्यूफ्कैचरिंग कंपनियों में से एक है, लेकिन इसकी शुरुआत बहुत पुरानी और छोटी थी. ऐसे में आइए जानते है कि मझगांव डॉक कितनी पुरानी है, क्या करती है और कंपनी का ऑर्डर बुक कितनी बड़ी है? आज के हमारे इस आर्टिकल में इन सभी सवालों के जवाब तलाशेंगे.

मझगांव डॉक की शुरुआत

मझगांव डॉक की नींव साल 1774 में पड़ी थी, जब मुंबई के मझगांव इलाके में एक छोटा सा ड्राई डॉक बनाया गया. उस समय यह केवल जहाजों की मरम्मत के लिए एक छोटी जगह थी. धीरे-धीरे यह जगह बढ़ती गई और साल 1934 में इसे एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में रजिस्टर किया गया. लेकिन असली बदलाव साल 1960 में आया, जब भारत सरकार ने इसे अपने कंट्रोल में लिया. इसके बाद मझगांव डॉक ने तेजी से तरक्की की और आज यह भारत का गौरव बन चुकी है. 250 साल से भी ज्यादा पुरानी यह कंपनी अब विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना रही है.

कंपनी क्या करती है?

मझगांव डॉक का मुख्य काम है जहाज बनाना और उनकी मरम्मत करना है. यह कंपनी भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए युद्धपोत, पनडुब्बियां और अन्य खास जहाज बनाती है. इसके अलावा, यह कार्गो जहाज, यात्री जहाज, सप्लाई जहाज, टग बोट, मछली पकड़ने वाली नौकाएं और तेल रिग जैसे ढांचे भी बनाती है. कंपनी ने साल 1960 से अब तक 805 से ज्यादा जहाज बनाए हैं. इनमें 30 युद्धपोत और 8 पनडुब्बियां शामिल हैं. यह केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशी ग्राहकों के लिए भी जहाज बनाती है.

शेयर बाजार में प्रदर्शन

पिछले एक साल में मझगांव डॉक के शेयरों ने 85% की शानदार बढ़त हासिल की है. 29 मई 2025 को शेयर की कीमत 3,778 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंची थी, जबकि 19 फरवरी 2025 को यह 1,917.95 रुपये के निचले स्तर पर थी. हालांकि, पिछले एक महीने में शेयर की कीमत में 12% की गिरावट आई है और यह 27 जून 2025 को 3,188 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. कंपनी का मार्केट कैप 1.27 लाख करोड़ है.

कितनी बड़ी है ऑर्डर बुक?

मझगांव डॉक की ऑर्डर बुक बहुत बड़ी है. वर्तमान में कंपनी के पास 32,260 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं. कंपनी को उम्मीद है कि साल 2026 तक यह ऑर्डर बुक बढ़कर 1,25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाएगी. इसमें दो बड़े पनडुब्बी प्रोजेक्ट्स – P75 और P75I – शामिल हैं. इसके अलावा, कंपनी P17 ब्रावो फ्रिगेट्स जैसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए भी बोली लगाने की तैयारी कर रही है. कंपनी के पास ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स और मल्टीपर्पज सपोर्ट वेसल्स जैसे कई तरह के ऑर्डर भी हैं.

कंपनी की ताकत और भविष्य

मझगांव डॉक की ताकत इसकी तकनीक, अनुभव और भारत सरकार का समर्थन है. सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने इसे और मजबूत किया है, क्योंकि यह आत्मनिर्भर भारत के लिए रक्षा उपकरण बनाने में अहम भूमिका निभाती है. कंपनी अपनी क्षमता बढ़ाने और नई तकनीकों को अपनाने में भी जुटी है. हालांकि, यह ज्यादातर सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स पर निर्भर है.