इस मल्टीबैगर डिफेंस स्टॉक का BEL-HAL के साथ शुरू हुआ JV, जल-थल सेना के लिए बनाती है खतरनाक मिसाइलें

देश की सुरक्षा की पहली पंक्ति में खड़ी एक सरकारी कंपनी अब मिसाइलों से लेकर ड्रोन तक का गेम बदल रही है. सिर्फ भारतीय सेना ही नहीं, विदेशी ग्राहक भी इसपर भरोसा बढ़ा रही है. इस रिपोर्ट में पढ़ें कि कंपनी बाजार और देश में कैसा प्रदर्शन कर रही है.

ये PSU है भारत की मिसाइल फैक्ट्री! Image Credit: Money9 Live

जब भारत की सीमाओं की रक्षा की बात होती है, तो सिर्फ जवानों की ताकत ही नहीं बल्कि उनके हाथों में मौजूद तकनीक और हथियारों की गुणवत्ता भी उतनी ही अहम मानी जाती है. इन्हीं हथियारों में से कई ऐसे हैं जो भारत में ही बनते हैं और उन्हें बनाने वाली कुछ चुनिंदा सरकारी कंपनियों में से एक है Bharat Dynamics Limited यानी BDL. ये वही PSU कंपनी है जो सेना के लिए मिसाइल, टॉरपीडो और कई तरह के आधुनिक हथियार तैयार करती है. अब यह कंपनी सिर्फ देश के लिए नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपने हथियार भेज रही है और शेयर बाजार में भी इसने बीते सालों में अपने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया है.

सेना की जरूरतों की सीधी साझेदार

BDL का मुख्य काम है भारतीय सेना के लिए मिसाइलें, पानी के नीचे चलने वाले हथियार, हवा से दागे जाने वाली मिसाइलें (SAM), एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल्स (ATGM) जैसे इनवार, नाग, हेलिना, स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड हथियार, ग्रैड रॉकेट्स, लाइटवेट टॉरपेडो, एंटी-टॉरपेडो काउंटरमेशर्स डिस्पेंसिंग सिस्टम और आकाश वेटर सिस्टम बनाती है. साथ ही, यह कंपनी पुराने हो चुके हथियारों को सुधारने और उनकी उम्र बढ़ाने का काम भी करती है. यह सब काम भारत सरकार की निगरानी में होता है.

साल 2024 में BDL की आमदनी का 81 फीसदी हिस्सा सिर्फ सरकार से आया, यानी रक्षा मंत्रालय इसका सबसे बड़ा ग्राहक है. दो साल पहले यही हिस्सा 68 फीसदी था. दिलचस्प बात ये भी है कि अब कंपनी ने निर्यात भी शुरू कर दिया है. जहां 2022 में विदेशी बिक्री ना के बराबर थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 7 फीसदी हो गई है. अब कंपनी विदेशी देशों में अपने दफ्तर खोलने की योजना भी बना रही है.

बड़े ऑर्डर और मजबूत योजना

BDL के पास इस वक्त 19,434 करोड़ रुपये का ऑर्डर है, जो कि 2022 की तुलना में लगभग दोगुना है. इसके अलावा 20,000 करोड़ रुपये के और ऑर्डर लाइन में हैं, जो अगले 2-3 सालों में मिलने की उम्मीद है. इन ऑर्डर्स में सेना के लिए मीडियम रेंज मिसाइल, टैंक से चलने वाली मिसाइलें (इनवार और नाग), हेलिना, एयरफील्ड को निशाना बनाने वाले हथियार और पुराने हथियारों की मरम्मत जैसी चीजें शामिल हैं.

अभी BDL के तीन बड़े निर्माण केंद्र हैदराबाद, भानूर और विशाखापत्तनम में हैं. लेकिन अब कंपनी देश के और हिस्सों में जैसे कि अमरावती (महाराष्ट्र) और झांसी (उत्तर प्रदेश) में भी नए कारखाने बना रही है. इसका मकसद है कि और ज्यादा हथियार बनाए जा सकें और विदेशी चीजों पर निर्भरता कम हो. इसके लिए कंपनी इस साल करीब 100 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है.

सप्लाई चेन से आई दिक्कतें

बीते कुछ वक्त में यूरोप और मध्य-पूर्व के हालातों की वजह से BDL को अपने कच्चे माल और जरूरी सामान समय पर नहीं मिल पाया. इसका असर ऑर्डर की डिलीवरी पर पड़ा और कंपनी की कमाई भी घटी. FY22 से FY24 के बीच कंपनी की बिक्री में 16 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

हालांकि, कंपनी ने इस चुनौती का हल खुद ढूंढ़ लिया. उसने 98 ऐसे सामानों को अब भारत में ही बनाना शुरू कर दिया है, जिन्हें पहले बाहर से मंगाना पड़ता था. इससे विदेशी मुद्रा की बचत तो हुई ही साथ ही अब कंपनी भारत में बनी चीजों के दम पर सेना को सस्ते और भरोसेमंद हथियार दे पा रही है.

शेयर बाजार में प्रदर्शन और मुनाफे की तस्वीर

6 जून 2025 को BDL का शेयर 1,933 पर रहा. मौजूदा वक्त में कंपनी की कुल मार्केट वैल्यू 70,866 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है. कंपनी लगभग कर्जमुक्त है और अच्छी कमाई के चलते हर साल शेयरधारकों को मुनाफे का हिस्सा यानी डिविडेंड भी देती है. इस बार कंपनी ने 46 फीसदी का डिविडेंड दिया है. बीते एक साल में कंपनी ने 45 फीसदी का रिटर्न दिया वहीं 5 साल का डेटा देखें तो कंपनी ने निवेशकों को 1478 रुपये का रिटर्न दिया है.

हालांकि, कंपनी की कीमत उसकी बुक वैल्यू के मुकाबले 17.7 गुना ज्यादा है, जो यह दिखाता है कि बाजार में इसके शेयर काफी महंगे हो चुके हैं. इसके अलावा पिछले पांच सालों में कंपनी की बिक्री में औसतन सिर्फ 1.5 फीसदी की ही बढ़ोतरी हुई है. FY24 में कंपनी की कमाई में 350 करोड़ रुपये की ‘दूसरी आमदनी’ भी शामिल थी, जो इसकी असली बिक्री से नहीं जुड़ी थी.

R&D और नई योजनाएं

कंपनी सिर्फ प्रोडक्शन ही नहीं कर रही, बल्कि खुद को बेहतर बनाने के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट में भी निवेश कर रही है. FY24 में इसके लिए कुल आमदनी का 3 फीसदी खर्च किया गया, जबकि दो साल पहले यह खर्च 2 फीसदी था. BDL अब देश की अन्य बड़ी रक्षा कंपनियों जैसे BEL, HAL और तमिलनाडु इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के साथ मिलकर एक नया ज्वाइंट वेंचर (JV) बना रही है, जो इलेक्ट्रॉनिक डिफेंस सिस्टम के लिए टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करेगा.

यह भी पढ़ें: रेलवे-BHEL का इस कंपनी पर मजबूत भरोसा! 3 साल में दिया 770% रिटर्न, अब डिफेंस-एयरोस्पेस में कर दी एंट्री

BDL अब सिर्फ मिसाइल बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहती. कंपनी अब ड्रोन से चलने वाले हथियार, गाइडेड बम, रॉकेट, स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़ी चीजें और क्रूज मिसाइलों के इंजन जैसे नए क्षेत्रों में कदम रखने की तैयारी में है.

फायदेकमजोरियां
कंपनी पर कोई भारी कर्ज नहीं है.कंपनी के सेल्स में बीते 5 साल में ज्यादा तेजी नहीं दिखी.
सरकार और सेना का लगातार भरोसा मिल रहा है.शेयर की कीमत काफी ऊंची है, जो जोखिम भी बना सकती है.
डिविडेंड पॉलिसी मजबूत है.अन्य आमदनी के भरोसे मुनाफा ज्यादा दिख रहा है.
विदेशों में भी अब कंपनी के ग्राहक बनने लगे हैं.ग्राहकों से पैसे मिलने में देरी बढ़ रही है.

डिसक्लेमर: यह सामग्री केवल सूचना के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है और इसे निवेश सलाह या सिफारिश के रूप में न माना जाए. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें. बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन होता है.

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