सरकारी कंपनियों की डीलिस्टिंग हुई आसान, सेबी ने बदले नियम, जानें कितने PSU इस दायरे में शामिल
सेबी ने सरकारी कंपनियों को बाजार से डीलिस्टि करने की प्रक्रिया को आसान कर दिया है. बैंक, बीमा और NBFC कंपनियों को छोड़कर अन्य सभी सरकारी कंपनियां अब स्वैच्छिक विनिवेश प्रक्रिया के तहत आसानी से शेयर बाजार से बाहर हो पाएंगी.
भारतीय शेयर बाजार के नियामक सेबी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की डीलिस्टिंग प्रक्रिया को आसान कर दिया है. नए नियमों के तहत सरकार की 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी वाली सार्वजनिक कंपनियों को आसानी से शेयर बाजार से बाहर किया जा सकता है. सेबी ने एक सर्कुलर जारी कर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि 90 फीसदी ज्यादा सरकारी हिस्सेदारी वाली PSUs यानी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिए स्वैच्छिक विनिवेश प्रक्रिया को आसान बनाने के उपायों को मंजूरी दी गई है. हालांकि, यह बदलाव बैंक, बीमा और एनबीएफसी कंपनियों पर लागू नहीं होगा.
इस मामले में सेबी ने पिछले महीने इसके संबंध में एक डिस्कशन पेपर जारी किया था और 26 मई तक सलाह और टिप्पणियां मांगी थी. डिस्कशन पेपर पर हितधारकों की तरफ से मिली प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए सेबी ने 18 जून को PSUs की डीलिस्टिंग को आसान बनाने वाले उपायों को मंजूरी दी है. हालांकि, सेबी ने सार्वजनिक बैंकों, NBFC और बीमा कंपनियों को इसके दायरे से बाहर रखा है, क्योंकि ये कंपनियां वित्तीय और बीमा क्षेत्र के नियामक रिजर्व बैंक और IRDAI की निगरानी में आते हैं.
क्यों किया गया यह बदलाव?
बाजार नियामक की तरफ से जारी डिस्कशन पेपर में बताया गया था कि इस कदम का मकसद निश्चित मूल्य पर डीलिस्टिंग के जरिये ऐसे सार्वजनिक उपक्रमों को शेयर बाजार से बाहर निकलने की सुविधा देना है, जो कि पारंपरिक रिवर्स बुक-बिल्डिंग मेथड के विपरीत है. रिवर्स बुक बिल्डिंग में कयासबाजी हावी होती है, जिसकी वजह से कंपनी का मूल्य निर्धारण सही तरीके से नहीं हो पाता है.
कितनी कंपनियां इस दायरे में
प्राइम डाटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के 10 उपक्रम ऐसे हैं, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी इस सीमा से अधिक है. इन कंपनियों में केआईओसीएल, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, एचएमटी, पंजाब एंड सिंध बैंक, स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन, यूको बैंक, आईटीआई और फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर जैसे नाम शामिल हैं. इस ये कंपनियां अब आसानी से शेयर बाजार बाहर निकल सकती हैं.