ईरान क्या सच में बंद कर सकता है होर्मुज स्ट्रेट, भारत पर क्या होगा असर, जानें क्या कहते हैं विश्लेषक?
इजरायल-ईरान युद्ध का दायरा लगातार बढ़ रहा है. दोनों देश एक-दूसरे के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बना रहे हैं. ऑयल डिपो और रिफायनरी भी हमलों की जद में आ चुकी हैं. ऐसे में ये बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या ईरान सच में होर्मुज स्ट्रेट को बंद कर सकता है. अगर ऐसा हुआ, तो इसका भारत पर क्या असर होगा?
ईरान की तरफ से कई बार होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की धमकी दी है. हालांकि, बार-बार धमकियों के बावजूद यह जलमार्ग खुला है. ग्लोबल ऑयल सप्लाई में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है. लेकिन, यहां अब दो बड़े सवाल उठ रहे हैं. पहला, क्या ईरान वाकई इसे बंद कर सकता है. दूसरा, अगर बंद कर दिया, तो भारत और दुनिया पर इसका क्या असर होगा. इस सवाल का कोई सीधा-सपाट जवाब नहीं हो सकता है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि इसकी संभावना काफी कम है.
ज्यादातर विश्लेषकों का कहना है कि ईरान की तरफ से होर्मुज को बंद करने की बार-बार धमकियों दिए जाने के बावजूद इसका खुला होना बताता है कि ईरान ने ये धमकियां राजनयिक दबाव बनाने के लिए दी हैं. वहीं, अगर ग्लोबल ऑयल सप्लाई पर इस रूट के बंद होने के असर की बात करें, तो OPEC के पास पर्याप्त अतिरिक्त तेल भंडार हैं. इसके अलावा अमेरिकी शेल प्रोडक्शन में भी बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, क्षेत्र में किसी भी तनाव से तेल की कीमतों पर असर पड़ना स्वाभाविक है. वहीं, भारत जैसे देश, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए होर्मुज का इस्तेमाल करते हैं इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
कौन-कौन करता है होर्मुज का इस्तेमाल?
होर्मुज स्ट्रेट उत्तर में ईरान और दक्षिण में ओमान और UAE के बीच स्थित है. सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत और यूएई से तेल निर्यात के लिए यह मुख्य मार्ग है. इसके अलावा LNG के शिपमेंट भी यहीं से होकर गुजरते हैं. इस रूट से ज्यादातर सप्लाई चीन, भारत, दक्षिण कोरिया, जापान और तमाम एशियाई देशों के लिए होती है.
डिप्लोमैटिक दबाव बनाने की रणनीति
यस सिक्योरिटीज में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च के रणनीतिकार हितेश जैन कहते हैं कि बार-बार धमकियों के बावजूद, ईरान ने रणनीतिक और आर्थिक लागतों को ध्यान में रखकर कभी भी होर्मुज को बंद नहीं किया है. यह जलसंधि ग्लोबल एजर्नी सप्लाई के लिए बेहद अहम है, जहां से ईरान के कई मित्र देशों को भी तेल की सप्लाई होती है. यह इलाका दुनिया के 20 फीसदी ऑयल एंड गैस ट्रेड को संभालता है. ईरान और इसके क्षेत्रीय सहयोगियों की अर्थव्यवस्था भी इस रूट पर निर्भर है. ऐसे में डिप्लोमैटिक दबाव बनाने के अलावा इरान की धमकी में का कोई महत्व नहीं है.
बढ़ सकता है ऑयल का दाम
वहीं, ICRA की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से ग्लोबल सप्लाई और तेल की कीमतों पर असर देखने को मिल सकता है. हालांकि, ईरान की तरफ से इस रूट को बंद किए जाने का जोखिम नजर नहीं आता है. ICRA ने अनुमान लगाया है कि यह संघर्ष कुछ और दिन खिंचा, तो कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं.
भारत के लिए क्या नुकसान?
पिछले दो-तीन वर्षों से रूस भारत का सबसे बड़ा ऑयल सप्लायर है. ऐसे में यह रूट बंद भी हो जाता है, तो इसका असर भारत की सप्लाई पर ज्यादा नहीं पड़ेगा. हालांकि, दाम बढ़ने की वजह से भारत को चालू खाता घाटे का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति बैरल 10 डॉलर बढ़ने से देश के आयात बिल में सालाना 14 अरब डॉलर तक की बढ़ोतरी हो सकती है.